स्त्री का श्राप

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गाँव धनौरा अपनी शांति और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता था। हर साल वहाँ एक मेला लगता था, जिसमें दूर-दूर से लोग आते। लेकिन इस बार का मेला आख़िरी साबित हुआ लक्षिता के लिए। लक्षिता गाँव की सबसे होशियार और सुंदर लड़की थी। वह पढ़ी-लिखी थी और महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाने वाली एकमात्र लड़की थी। गाँव में कई लोग उसकी इज़्ज़त करते थे, पर कुछ लोग उसकी आज़ादी और आत्मनिर्भरता से जलते थे — खासकर बलराज। बलराज, सरपंच का बेटा था। वह लक्षिता को अपने "अधिकार" की तरह देखता था। जब उसने उसे मेला रात में अकेले जाते देखा, तो वह अपने साथियों के साथ मिलकर उसे अगवा कर ले गया।

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स्त्री का श्राप - भाग 1

गाँव धनौरा अपनी शांति और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता था। हर साल वहाँ एक मेला लगता था, दूर-दूर से लोग आते। लेकिन इस बार का मेला आख़िरी साबित हुआ लक्षिता के लिए।लक्षिता गाँव की सबसे होशियार और सुंदर लड़की थी। वह पढ़ी-लिखी थी और महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाने वाली एकमात्र लड़की थी। गाँव में कई लोग उसकी इज़्ज़त करते थे, पर कुछ लोग उसकी आज़ादी और आत्मनिर्भरता से जलते थे — खासकर बलराज।बलराज, सरपंच का बेटा था। वह लक्षिता को अपने "अधिकार" की तरह देखता था। जब उसने उसे मेला रात में अकेले जाते ...Read More