गाँव धनौरा अपनी शांति और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता था। हर साल वहाँ एक मेला लगता था, जिसमें दूर-दूर से लोग आते। लेकिन इस बार का मेला आख़िरी साबित हुआ लक्षिता के लिए। लक्षिता गाँव की सबसे होशियार और सुंदर लड़की थी। वह पढ़ी-लिखी थी और महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाने वाली एकमात्र लड़की थी। गाँव में कई लोग उसकी इज़्ज़त करते थे, पर कुछ लोग उसकी आज़ादी और आत्मनिर्भरता से जलते थे — खासकर बलराज। बलराज, सरपंच का बेटा था। वह लक्षिता को अपने "अधिकार" की तरह देखता था। जब उसने उसे मेला रात में अकेले जाते देखा, तो वह अपने साथियों के साथ मिलकर उसे अगवा कर ले गया।
स्त्री का श्राप - भाग 1
गाँव धनौरा अपनी शांति और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता था। हर साल वहाँ एक मेला लगता था, दूर-दूर से लोग आते। लेकिन इस बार का मेला आख़िरी साबित हुआ लक्षिता के लिए।लक्षिता गाँव की सबसे होशियार और सुंदर लड़की थी। वह पढ़ी-लिखी थी और महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाने वाली एकमात्र लड़की थी। गाँव में कई लोग उसकी इज़्ज़त करते थे, पर कुछ लोग उसकी आज़ादी और आत्मनिर्भरता से जलते थे — खासकर बलराज।बलराज, सरपंच का बेटा था। वह लक्षिता को अपने "अधिकार" की तरह देखता था। जब उसने उसे मेला रात में अकेले जाते ...Read More
स्त्री का श्राप - भाग 2
5 साल बाद…गाँव अब भी वैसा ही था — चुपचाप, रहस्यमय, और डर से भरा हुआ। लोग अब वहाँ नहीं थे, सिर्फ पुराने लोग ही बचे थे जो कहीं और नहीं जा सकते थे। गाँव के बीचोंबीच खड़ा वह पीपल का पेड़ अब भी वैसा ही था — भय और रहस्य का प्रतीक।लेकिन अब एक नई कहानी की शुरुआत होने वाली थी...राघव — एक यूट्यूब वीडियो ब्लॉगर और पैरा-साइकोलॉजी का छात्र — अपने चैनल “Haunted Truths” के लिए भारत के सबसे डरावने गाँवों की खोज कर रहा था। उसे लक्षिता वाले गाँव की कहानी पता चली।“ये सिर्फ अफवाहें हैं,” ...Read More
स्त्री का श्राप - भाग 3 (अंतिम भाग)
(बरगद के ताबीज़ पर पड़ी दरार के तीन महीने बाद)गाँव में सावन उतर चुका था, लेकिन बादलों की गड़गड़ाहट पीछे एक अनसुनी दहशत गूँज रही थी। बरगद के नीचे बँधी ताबीज़ अब पूरी-की-पूरी दरक चुकी थी। हर रात कोई सूखी-सी हँसी हवा के साथ बहती—और वही पुराना ठंडा सन्नाटा लौट आया।एक शाम, छोटा-सा बालक मोहन बरगद के पेड़ के पास खेलते-खेलते गिर पड़ा। जब उसने उठने को हाथ बढ़ाया, उसकी उँगलियाँ ताबीज़ के टूटे टुकड़े को छू गईं। बिजली-सी सनसनी उसके बदन से गुज़री, और मोहन की आँखें पल भर को काली पड़ गईं।उस पल, जंगल की ओर से ...Read More