हवा बहती थी और ब्रिटिश साम्राज्य की छाया गहराती जा रही थी। उन्हीं गलियों के एक कोने में जन्मी थी अंजलि शास्त्री – एक नेत्रहीन बच्ची। आँखों से दुनिया कभी देखी नहीं, लेकिन उसकी आत्मा में जैसे रोशनी का समंदर बहता था। अंजलि के जन्म पर बहुतों ने अफसोस जताया। "बेचारी अंधी पैदा हुई है। जिंदगी तो अंधेरे में ही कटेगी।" लेकिन उसकी माँ, दुर्गा शास्त्री, ने कभी हार नहीं मानी। वह खुद थोड़ी बहुत पढ़ी-लिखी थी और आज़ादी की बातों से जुड़ी हुई थी। वह रोज रात को अंजलि को अपनी गोद में लेकर गीत सुनाया करती थी— "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..."
Full Novel
अंधेरे की अंजली - भाग 1
हवा बहती थी और ब्रिटिश साम्राज्य की छाया गहराती जा रही थी। उन्हीं गलियों के एक कोने में जन्मी अंजलि शास्त्री – एक नेत्रहीन बच्ची। आँखों से दुनिया कभी देखी नहीं, लेकिन उसकी आत्मा में जैसे रोशनी का समंदर बहता था।अंजलि के जन्म पर बहुतों ने अफसोस जताया। "बेचारी अंधी पैदा हुई है। जिंदगी तो अंधेरे में ही कटेगी।" लेकिन उसकी माँ, दुर्गा शास्त्री, ने कभी हार नहीं मानी। वह खुद थोड़ी बहुत पढ़ी-लिखी थी और आज़ादी की बातों से जुड़ी हुई थी। वह रोज रात को अंजलि को अपनी गोद में लेकर गीत सुनाया करती थी—"सरफ़रोशी की तमन्ना ...Read More
अंधेरे की अंजली - भाग 2
साल 1942...पूरा देश गांधी जी के "भारत छोड़ो आंदोलन" के आह्वान से उबल रहा था। हर गली, हर नुक्कड़, दिल में क्रांति की आग धधक रही थी। और इसी आग की तपिश में अंजलि शास्त्री की आत्मा भी तप रही थी। अब वह 12 साल की हो चुकी थी। नेत्रहीनता उसकी कमजोरी नहीं, उसका शस्त्र बन चुकी थी।पटना के पास एक छोटे से गाँव में रहते हुए भी अंजलि की बातें आस-पास के इलाकों में फैलने लगी थीं। लोग कहते – “वो अंधी लड़की है, पर बोलती है तो जैसे देश की आत्मा बोल रही हो।”अंजलि अब न सिर्फ ...Read More
अंधेरे की अंजली - भाग 3
1945 की शुरुआत...भारत छोड़ो आंदोलन को तीन साल हो चुके थे। देश के कई हिस्सों में स्वतंत्रता की लौ रही थी, लेकिन अंग्रेजों का शिकंजा अभी ढीला नहीं हुआ था। इसी बीच, अंजलि की टोली की गतिविधियाँ तेज़ हो गई थीं। अंग्रेज अफसरों को शक होने लगा था कि कहीं कोई नेत्रहीन बच्चों की टुकड़ी ही तो गुप्त संदेशवाहक नहीं बन गई?जिस दिन अंजलि के गुप्त केंद्र पर छापा पड़ा और वह गिरफ़्तार हुई, वह बारिशों का दिन था। हवा में अजीब बेचैनी थी। सिपाहियों ने उसे बाँधकर जीप में डाला और पटना के ब्रिटिश खुफिया दफ्तर ले गए। ...Read More