जुलाई की पहली बारिश ?️ जैसे कोई राज़ बनकर गिरी थी अरावली हिल्स की शांत गलियों में। ये कोई मशहूर शहर नहीं था — ना बड़ी इमारतें ?, ना तेज़ ट्रेनें ?, ना ही कोई शाही कैफे ☕। मगर यहां की हवा में कुछ तो था… जैसे हर ईंट, हर पेड़ कुछ जानता था — पर बताना नहीं चाहता था ??। अनन्या रॉय, 21 साल की पत्रकारिता की छात्रा ?, अपने कॉलेज हॉस्टल से समर ब्रेक पर घर लौटी थी ?। बचपन से यहीं पली-बढ़ी थी, फिर भी हर बार लौटने पर कुछ अजीब सा एहसास होता… जैसे कुछ बदल गया हो — हल्का सा, पर डराने वाला ?। वो खिड़की की सीट पर बैठी थी ?, तकिया गले लगाकर ?, बाहर गुलाब की झाड़ियों पर गिरती बूंदों को देखती रही ?। > “इस बार जल्दी आ गई?” माँ ने चाय का कप थमाते हुए पूछा
कैमरे वाला अजनबी - 1
जुलाई की पहली बारिश ️ जैसे कोई राज़ बनकर गिरी थी अरावली हिल्स की शांत गलियों में। ये कोई शहर नहीं था — ना बड़ी इमारतें , ना तेज़ ट्रेनें , ना ही कोई शाही कैफे । मगर यहां की हवा में कुछ तो था… जैसे हर ईंट, हर पेड़ कुछ जानता था — पर बताना नहीं चाहता था ।अनन्या रॉय, 21 साल की पत्रकारिता की छात्रा , अपने कॉलेज हॉस्टल से समर ब्रेक पर घर लौटी थी । बचपन से यहीं पली-बढ़ी थी, फिर भी हर बार लौटने पर कुछ अजीब सा एहसास होता… जैसे कुछ बदल गया ...Read More