शापित हवेली का रहस्य

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छह दोस्त — तीन जोड़े — एक रहस्यमयी छुट्टी पर एक पुरानी, वीरान हवेली में पहुँचते हैं, जो वर्षों से खाली पड़ी है। वो सोचते हैं कि ये एक एडवेंचर होगा... लेकिन हवेली उनकी सोच से कहीं ज़्यादा ज़िंदा है। हर दीवार, हर दरवाज़ा, हर आईना एक राज़ छुपाए हुए है। हँसी डर में बदल जाती है, और रातें अंतहीन लगने लगती हैं। हवेली का एक शाप उन्हें घेरने लगता है। क्या वे इसकी सच्चाई को उजागर कर पाएँगे? या हमेशा के लिए उसी हवेली का हिस्सा बन जाएँगे? Ch 1. तेज़ हवाएँ पहाड़ों की टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों पर सीटी बजा रही थीं, जब आर्यन ने सावधानी से SUV को मोड़ा। धुंध धीरे-धीरे घनी होती जा रही थी, और हर मोड़ पर दृश्यता और घटती जा रही थी। पीछे की सीट पर कबीर पहले ही पांचवीं बार निशी को डराने के लिए भूतों की आवाज़ें निकाल रहा था। "बस कर यार!" निशी ने उसे चिढ़ते हुए मारा। "तू ही सबसे बड़ा भूत है यहाँ, और बहुत बोरिंग भी।"

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शापित हवेली का रहस्य - 1

Introduction:छह दोस्त — तीन जोड़े — एक रहस्यमयी छुट्टी पर एक पुरानी, वीरान हवेली में पहुँचते हैं, जो वर्षों खाली पड़ी है। वो सोचते हैं कि ये एक एडवेंचर होगा... लेकिन हवेली उनकी सोच से कहीं ज़्यादा ज़िंदा है। हर दीवार, हर दरवाज़ा, हर आईना एक राज़ छुपाए हुए है। हँसी डर में बदल जाती है, और रातें अंतहीन लगने लगती हैं। हवेली का एक शाप उन्हें घेरने लगता है। क्या वे इसकी सच्चाई को उजागर कर पाएँगे? या हमेशा के लिए उसी हवेली का हिस्सा बन जाएँगे?Ch 1. तेज़ हवाएँ पहाड़ों की टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों पर सीटी बजा रही ...Read More

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शापित हवेली का रहस्य - 2

दरवाज़ा ज़ोर से बंद हुआ, और एक तेज़ चीख हवेली की दीवारों से टकराकर गूंज उठी। लालटेन की लौ चुकी थी, और कमरे में अब सिर्फ़ स्याह अंधेरा था।रिया दीवार के पास सिमटी खड़ी थी, उसकी साँसें तेज़ हो चुकी थीं। "किसने चीखा?" उसकी आवाज़ काँप रही थी।"मैं नहीं था," कबीर की घबराई हुई आवाज़ आई। "किसी और की थी...""दरवाज़ा खोलो!" निशी ने घबराते हुए कहा। वो तेजी से दरवाज़ा खींचने लगी, लेकिन वो जैसे किसी अदृश्य ताक़त से जड़ा हुआ था — टस से मस नहीं हो रहा था।आर्यन ने ज़मीन से गिरी हुई लालटेन उठाई और उसकी ...Read More

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शापित हवेली का रहस्य - 3

कमरे के बाहर दीवार पर खून से लिखा वह वाक्य — “जो यहाँ आता है, वो लौटता नहीं” — साँसें रोक चुका था। आर्यन ने हाथ से तारा को पीछे किया और धीरे-धीरे दरवाज़े की ओर बढ़ा। कबीर का चेहरा पूरी तरह ज़र्द पड़ गया था, लेकिन फिर भी वो डर के मारे आर्यन के पीछे-पीछे चलता गया।रिया रोती हुई सीढ़ियों पर बैठ गई थी। उसका दिल तेज़-तेज़ धड़क रहा था, लेकिन डर से ज़्यादा उसे इस बात की चिंता थी कि देव कहाँ गया था? क्या वो ठीक था?“दरवाज़ा तो खोलो आर्यन,” कबीर ने धीमे से कहा।“तू खोलेगा?” ...Read More