Introduction:
छह दोस्त — तीन जोड़े — एक रहस्यमयी छुट्टी पर एक पुरानी, वीरान हवेली में पहुँचते हैं, जो वर्षों से खाली पड़ी है। वो सोचते हैं कि ये एक एडवेंचर होगा... लेकिन हवेली उनकी सोच से कहीं ज़्यादा ज़िंदा है। हर दीवार, हर दरवाज़ा, हर आईना एक राज़ छुपाए हुए है। हँसी डर में बदल जाती है, और रातें अंतहीन लगने लगती हैं। हवेली का एक शाप उन्हें घेरने लगता है। क्या वे इसकी सच्चाई को उजागर कर पाएँगे? या हमेशा के लिए उसी हवेली का हिस्सा बन जाएँगे?
Ch 1.
तेज़ हवाएँ पहाड़ों की टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों पर सीटी बजा रही थीं, जब आर्यन ने सावधानी से SUV को मोड़ा। धुंध धीरे-धीरे घनी होती जा रही थी, और हर मोड़ पर दृश्यता और घटती जा रही थी। पीछे की सीट पर कबीर पहले ही पांचवीं बार निशी को डराने के लिए भूतों की आवाज़ें निकाल रहा था।
"बस कर यार!" निशी ने उसे चिढ़ते हुए मारा। "तू ही सबसे बड़ा भूत है यहाँ, और बहुत बोरिंग भी।"
आर्यन ने रियरव्यू मिरर में देखा और हल्का मुस्कराया। "जब हवेली पहुँचेंगे तब तुझे डराने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। फिर असली भूत तुझे मिलेंगे।"
तारा, जो आर्यन के बगल में बैठी थी, खिड़की से बाहर देखती रही। बाहर के पेड़ कुछ ऐसे लग रहे थे जैसे वो रास्ते को अपनी टेढ़ी टहनियों से पकड़ने की कोशिश कर रहे हों।
“ऐसा लग रहा है जैसे ये जंगल ही नहीं चाहता कि हम यहाँ आएं,” तारा ने बुदबुदाया।
कबीर ने आगे झुकते हुए कहा, "और यही तो असली मज़ा है! पुरानी हवेली, नेटवर्क नहीं, डरावनी कहानियाँ — असली हॉरर का स्वाद!"
"चुप कर कबीर," देव ने पहली बार गाड़ी में कुछ बोला। वो अब तक शांत बैठा था, खिड़की से बाहर एकटक देखता हुआ। रिया, जो उसके पास बैठी थी, ने हल्का सा उसे कोहनी मारी।
"इतने सीरियस क्यों हो रहे हो मिस्टर सस्पेंस? तुम तो लग रहे हो जैसे हॉरर फिल्म के आख़िरी में सबको मारने वाला वही विलेन हो।"
"बहुत मज़ाकिया हो," देव ने ठंडे स्वर में जवाब दिया।
इस ट्रिप की प्लानिंग महीनों से हो रही थी। आर्यन ने इंटरनेट पर एक आर्टिकल पढ़ा था एक 200 साल पुरानी हवेली के बारे में — जो हिमाचल के पहाड़ों में कहीं छुपी थी। वहाँ के गांववाले उस हवेली को “शापित हवेली” कहते थे। कई अफ़वाहें थीं — किसी राजा का काला जादू, आत्माएँ, लापता लोग। और यही इस ग्रुप को वहाँ खींच लाया था।
शाम ढलते-ढलते वे हवेली के फाटक तक पहुँच चुके थे। एक जंग लगा हुआ लोहे का दरवाज़ा, जिस पर बेलें चढ़ी हुई थीं, सामने खड़ा था। आर्यन ने उतर कर उसे खोला — वो दरवाज़ा दर्द भरी चीख की तरह चरमराया।
अंदर एक पतली सी मिट्टी की पगडंडी हवेली की ओर जाती थी, जो पेड़ों के पीछे छिपी थी।
जब सबने पहली बार हवेली को देखा — तो सब चुप हो गए।
वो हवेली जैसे किसी दूसरे युग की निशानी थी। दीवारें काई से ढँकी हुई थीं, खिड़कियाँ टूटी हुई, बालकनियाँ गिरने की कगार पर, और दरवाज़े हवा से झूलते हुए। वहां की ख़ामोशी डरावनी थी — जैसे पूरा जंगल अपनी साँस रोककर हमें देख रहा हो।
“मुझे नहीं लग रहा कि हमें यहाँ रुकना चाहिए,” तारा ने धीमे से कहा।
"स्वागत है हमारे शानदार शापित हॉस्टल में," कबीर ने फोन निकालते हुए कहा और सेल्फी लेने लगा।
"यहाँ नेटवर्क की तलाश मत करना," आर्यन ने कहा। "हम अब पूरी तरह ऑफ-ग्रिड हैं।"
सबने अपने बैग्स उठाए और अंदर चले गए। मुख्य दरवाज़ा धीरे-धीरे कराहते हुए खुला। अंदर एक अजीब सी गंध थी — जैसे धूल, सड़ी लकड़ी और... कुछ और, जैसे लोहे में लिपटा खून।
ऊपर झूमर अभी भी लटका था — लेकिन बुरी हालत में। दीवारों पर उखड़ा हुआ वॉलपेपर, फटी हुईं पेंटिंग्स, और टूटे हुए शीशे लगे थे। पुराने जमाने की तस्वीरें अब भी दीवारों से उन्हें घूर रही थीं।
"ये पेंटिंग्स अजीब हैं," तारा ने कहा, "ऐसा लग रहा है जैसे इनकी आँखें हमें देख रही हैं।"
"शायद देख भी रही हों," रिया ने हँसते हुए कहा। "हैलो भूतों! शुक्रिया हमें ठहरने देने के लिए!"
देव ने उसे घूरा। "उन चीज़ों का मज़ाक मत उड़ाओ जिन्हें तुम नहीं समझतीं।"
रिया ने भौंहें चढ़ाई। "ओह हो! राज़ों से भरा हमारा देव बाबू। कुछ छिपा रहे हो क्या?"
देव ने कोई जवाब नहीं दिया। वो चुपचाप एक टॉर्च लेकर आगे बढ़ गया।
वे सब मुख्य हॉल में रुके। वहाँ एक पुराना फायरप्लेस था, जिसे आर्यन ने अपने साथ लाए लकड़ी के टुकड़ों से फिर से जलाने की कोशिश की। surprisingly, कुछ पुराने सोफे अब भी इस्तेमाल के लायक थे। आर्यन ने लाए हुए मोमबत्तियाँ और लालटेनें जलाईं।
"इस जगह में भूतिया कहानियाँ सुनाने का परफेक्ट माहौल है," कबीर बोला। "चलो शुरू करें डरावनी रात!"
तारा कैमरा निकाल चुकी थी और सबकी रिकॉर्डिंग कर रही थी। कबीर को रिया ने बेसमेंट में अकेले जाने की चुनौती दी, जो वो दो मिनट में ही भागता हुआ वापस आया, यह कहते हुए कि किसी ने फुसफुसाकर उसका नाम लिया।
रिया ने हँसते हुए कहा, "तुझे तो अपनी परछाई भी डराती है।"
लेकिन सबके चेहरों पर धीरे-धीरे एक अजीब सी गंभीरता आ गई थी। हवेली की फिजा में कुछ था — जैसे कोई छुपकर सबको देख रहा हो। ऊपर की मंज़िल से चलने की आवाज़ें आ रही थीं, जबकि कोई वहां गया ही नहीं था। एक शीशा अचानक दरारों में बंट गया, बिना छुए।
रात के करीब बारह बजे आर्यन ने एक कागज़ निकाला।
“अब सुनो, इस हवेली की असली कहानी,” उसने कहा।
सब नज़दीक आ गए।
“इस हवेली का मालिक था राजा देवनारायण। कहते हैं, उसकी रानी की मृत्यु के बाद उसने काले जादू का सहारा लिया। महीनों खुद को कमरे में बंद करके, उसने आत्माओं से संपर्क करने की कोशिश की। फिर एक-एक कर नौकर गायब होने लगे। रातों में चीखें सुनाई देती थीं। और एक दिन, पूरी रियासत गायब हो गई। केवल दीवारों पर खून के निशान बचे थे।”
"क्या बात है! क्या क्लासिक हॉरर कहानी है!" रिया ने तालियाँ बजाईं।
"अभी खत्म नहीं हुआ," आर्यन बोला। “जो भी यहाँ रुका — पुलिस, घोस्ट हंटर्स, पर्यटक — कोई एक रात से ज़्यादा नहीं टिक पाया। कुछ पागल हो गए, कुछ कभी लौटे ही नहीं।”
"अब तो मैं वाकई डर गई," निशी ने कहा, उसकी आँखें फैल गई थीं।
तभी ऊपर की मंज़िल से ज़ोर की धमक सुनाई दी।
सभी चौंक गए।
कबीर खड़ा हो गया, "भाई मैं नहीं था, सीरियसली।"
आर्यन ने लालटेन उठाई। “चलो, देखते हैं।”
सब मिलकर ऊपर जाने लगे। देव पहले ही सीढ़ियाँ चढ़ चुका था। रिया पीछे-पीछे चली गई। दूसरी मंज़िल और भी ठंडी थी। फर्श चरमरा रहा था। एक कमरे का दरवाज़ा थोड़ा खुला हुआ था।
कमरे के अंदर सब कुछ साफ-सुथरा था। बेड सजा हुआ, शीशा चमकदार, ड्रेसिंग टेबल पर एक ज्वेलरी बॉक्स।
"क्या ये किसी ने अभी साफ़ किया है?" तारा ने फुसफुसाया।
“यहाँ तो दशकों से कोई नहीं आया,” आर्यन ने जवाब दिया।
रिया शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बाल ठीक करने लगी।
"कर्स्ड लाइटिंग में भी मैं सुंदर लग रही हूँ," उसने मजाक किया।
लेकिन उसका चेहरा अचानक डर से सख्त हो गया।
उसके प्रतिबिंब ने मुस्कराना बंद कर दिया था — जबकि वह खुद हँस रही थी।
वो एक कदम पीछे हटी। "क्या तुम सबने देखा?"
कुछ कहने से पहले दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया।
लालटेन बुझ गई।
और किसी की चीख गूंज उठी।
अँधेरा — सब कुछ निगल गया।