बारिश की बूँदें दिल्ली के कनॉट प्लेस की सड़कों पर बेरहमी से गिर रही थीं। रात के १२:१५ बज रहे थे, और सर्द हवा में एक अजीब-सी खामोशी पसरी थी। शहर की चमकदार लाइट्स बारिश के पानी में डूब रही थीं, और कनॉट प्लेस का आउटर सर्कल, जो दिन में चहल-पहल से भरा रहता था, अब अंधेरे में डूबा हुआ था। एक बंद दुकान के सामने, एक गंदा सा प्लास्टिक का थैला बारिश के पानी में तैर रहा था। थैला हल्का-सा हिल रहा था, जैसे उसमें कोई साँस ले रहा हो। लेकिन वहाँ साँसें नहीं थीं। वहाँ सिर्फ़ मौत थी।
सिक्कों का रहस्य - 1
बारिश की बूँदें दिल्ली के कनॉट प्लेस की सड़कों पर बेरहमी से गिर रही थीं। रात के १२:१५ बज थे, और सर्द हवा में एक अजीब-सी खामोशी पसरी थी। शहर की चमकदार लाइट्स बारिश के पानी में डूब रही थीं, और कनॉट प्लेस का आउटर सर्कल, जो दिन में चहल-पहल से भरा रहता था, अब अंधेरे में डूबा हुआ था। एक बंद दुकान के सामने, एक गंदा सा प्लास्टिक का थैला बारिश के पानी में तैर रहा था। थैला हल्का-सा हिल रहा था, जैसे उसमें कोई साँस ले रहा हो। लेकिन वहाँ साँसें नहीं थीं। वहाँ सिर्फ़ मौत थी।सीबीआई ...Read More
सिक्कों का रहस्य - 2
सुबह के ७:३० बजे थे, और आगरा का आसमान धुंध से भरा था। यमुना नदी के किनारे ताजमहल की मीनारें धीरे-धीरे सूरज की रोशनी में चमक रही थीं। लेकिन इस खूबसूरत नज़ारे के नीचे एक भयानक हकीकत छिपी थी। ताजमहल के पीछे, एक सुनसान गली में, जहाँ पर्यटक कम ही आते थे, एक और लाश पड़ी थी। और उस लाश के पास वही खौफनाक निशान – एक ‘एम’, खून से लिखा हुआ, और एक छोटी-सी शीशे की बोतल, जिसमें १५ एक रुपये के सिक्के चमक रहे थे।विक्रम राठौर की जीप आगरा के संकरी सड़कों से गुजर रही थी। दिल्ली ...Read More