इतिहास से छेड़छाड़.

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निषेधमात्रवाद क्या है? “निषेधमात्रवाद का मतलब है—मानवता के खिलाफ ऐतिहासिक अपराधों को नकारना। यह ज्ञात तथ्यों की पुनर्व्याख्या नहीं है, बल्कि ज्ञात तथ्यों को पूरी तरह से नकारना है। ‘निषेधमात्रवाद’ शब्द को महत्ता तब से मिली है, जब से मानवता के विरुद्ध किए गए एक बड़े अपराध, वर्ष 1941-45 के दौरान नाजियों द्वारा यहूदियों के किए गए नर-संहार, जिसे सर्वनाश (holocaust) के रूप में भी जाना जाता है, को खारिज करने का प्रयास किया गया।” —कोनराड एल्स्ट (के.ई./3)

Full Novel

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इतिहास से छेड़छाड़.. - 1

निषेधमात्रवाद क्या है? “निषेधमात्रवाद का मतलब है—मानवता के खिलाफ ऐतिहासिक अपराधों को नकारना। यह ज्ञात तथ्यों की पुनर्व्याख्या नहीं बल्कि ज्ञात तथ्यों को पूरी तरह से नकारना है। ‘निषेधमात्रवाद’ शब्द को महत्ता तब से मिली है, जब से मानवता के विरुद्ध किए गए एक बड़े अपराध, वर्ष 1941-45 के दौरान नाजियों द्वारा यहूदियों के किए गए नर-संहार, जिसे सर्वनाश (holocaust) के रूप में भी जाना जाता है, को खारिज करने का प्रयास किया गया।”—कोनराड एल्स्ट (के.ई./3)निषेधमात्रवाद ऐतिहासिक तथ्यों या फिर रिकॉर्ड के नाजायज तरीके से जानते-बूझते विरूपित करना या फिर उसे नकारना है। भारत के संदर्भ में यह उन ...Read More

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इतिहास से छेड़छाड़.. - 2

पाश्चात्य रंग में रँगे और आंग्ल-रागी नेहरू ने भारतीय विरासत एवं ऐतिहासिक अतीत को पश्चिमी चश्मे से देखा व तथा उनके लेखन में भी वही पूर्वाग्रह और गलत निरुपण परिलक्षित होते हैं। यहाँ पर ‘द डिस्कवरी अ‍ॉफ इंडिया’ में नेहरू द्वारा की गई एक सरल, लगभग नासमझी भरी, टिप्पणी प्रस्तुत है, जो अभिमानी धृष्टता और दूसरों को नीचा दिखाने वाले पश्चिमी दृष्टिकोण से भरी हुई है—“इसके बावजूद मैंने उसे (भारत को) एक बाहरी आलोचक की नजर से देखना शुरू किया। एक ऐसा आलोचक, जो वर्तमान के साथ-साथ अतीत के बहुत से अवशेषों, जिन्हें उसने देखा था, को नापसंद करता ...Read More

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इतिहास से छेड़छाड़.. - 3

इतिहास के साथ ‘रचनात्मक’ होना (विकृत करना)जबरदस्ती से की गई नेहरूवादी-मार्क्सवादी विकृतियाँपिछले उप-अध्याय/भूल में जिस चीज को उजागर किया है, उसे करने के बजाय संबंधित प्रतिष्ठान सिर्फ अपना सोचनेवाले बाबू-शिक्षाविदों के कब्जे में रहा और इसके साथ ही नेहरूवादियों, मार्क्सवादियों एवं समाजवादियों के भी, जिन्होंने शिक्षा का नौकरशाहीकरण कर दिया और मार्क्सवादी विश्व-दृष्टि एवं स्थापना की सुविधा के अनुकूल दिशा का अनुकरण सुनिश्चित किया गया। हमारे पास जो मौजूद हैं, वे सक्षम विद्वान् न होकर राजनीतिक पिछलग्गू हैं।उपर्युक्त की बदौलत पश्चिम द्वारा लिखित इतिहास का पक्षपाती, विकृत संस्करण अभी भी प्रयोग में है। इसे समाप्त करने के बजाय हमारे ...Read More