खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप

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महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव का नाम था कुंडवा। गाँव छोटा था, लेकिन उसका नाम आस-पास के कई इलाकों में मशहूर था — किसी अच्छे कारण से नहीं, बल्कि डर की वजह से। गाँव से करीब एक किलोमीटर दूर एक पक्की सड़क थी, जिसे लोग बस "सुनसान सड़क" कहते थे। उस सड़क के दोनों तरफ इतने घने और पुराने पेड़ थे कि दिन के उजाले में भी वहाँ अंधेरा छाया रहता था। हवा जब चलती तो पेड़ों की टहनियां एक-दूसरे से टकराकर ऐसी आवाज़ करतीं मानो कोई फुसफुसा रहा हो। रात में तो ये सड़क और भी भयानक हो जाती — इतनी शांत कि अपने दिल की धड़कन तक सुनाई दे।

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खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 1

Part 1 – डर की सड़क(कहानी: “खून की प्यास – सुनसान सड़क का श्राप”)महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव नाम था कुंडवा।गाँव छोटा था, लेकिन उसका नाम आस-पास के कई इलाकों में मशहूर था — किसी अच्छे कारण से नहीं, बल्कि डर की वजह से।गाँव से करीब एक किलोमीटर दूर एक पक्की सड़क थी, जिसे लोग बस "सुनसान सड़क" कहते थे।उस सड़क के दोनों तरफ इतने घने और पुराने पेड़ थे कि दिन के उजाले में भी वहाँ अंधेरा छाया रहता था।हवा जब चलती तो पेड़ों की टहनियां एक-दूसरे से टकराकर ऐसी आवाज़ करतीं मानो कोई फुसफुसा रहा हो।रात ...Read More

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खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 2

Part 2 – रात का पीछा(कहानी: “खून की प्यास – सुनसान सड़क का श्राप”)गाँव में उस दिन का माहौल भी भारी था।रामकिशन ने सबके सामने जो कहा — “आज रात… मैं खुद सच देखूंगा” — उससे सब चौंक गए थे।धरमपाल ने तुरंत कहा,“पागल हो गया है क्या? रात में उस सड़क पर जाना मौत को न्योता देने जैसा है।”रामकिशन ने धीमे, मगर ठोस लहज़े में जवाब दिया,“अगर सच नहीं पता चला, तो कल ये भीड़ मेरी बीवी को जिंदा नहीं छोड़ेगी। मुझे देखना होगा।”गाँववाले आपस में फुसफुसाने लगे। कुछ को लगा कि रामकिशन बहादुर है, कुछ को लगा कि ...Read More