माया नगरी का प्रेम

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न्यूयॉर्क की हवा में एक अलग तरह की ठंडक थी, जो हड्डियों तक उतरकर भी अजीब सी ताजगी दे जाती है। आरव सिंह ने जब टर्मिनल के घूमते दरवाज़े से बाहर कदम रखा, तो उसके सूटकेस के पहिए काँच की फर्श पर हल्की-सी चीं-चीं करते हुए आगे बढ़े। आँखों के सामने टैक्सियों की पीली कतार, कानों में हॉर्न और लोगों की तेज़-तेज़ अंग्रेज़ी, और मन में—एक साथ उत्साह, डर और उम्मीद। उसने पिताजी की पुरानी घड़ी को कलाई पर ठीक किया, फिर अपनी माँ की बाँधी हुई लाल ऊनी डोरी को उँगलियों में घुमाकर एक पल के लिए आँखें बंद कर लीं, जैसे भीतर कहीं किसी मंदिर की घंटी बज उठी हो—“मेहनत करना, सच बोलना, और अपने दिल को गंदा मत होने देना।”

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माया नगरी का प्रेम - 1

न्यूयॉर्क की हवा में एक अलग तरह की ठंडक थी, जो हड्डियों तक उतरकर भी अजीब सी ताजगी दे है। आरव सिंह ने जब टर्मिनल के घूमते दरवाज़े से बाहर कदम रखा, तो उसके सूटकेस के पहिए काँच की फर्श पर हल्की-सी चीं-चीं करते हुए आगे बढ़े। आँखों के सामने टैक्सियों की पीली कतार, कानों में हॉर्न और लोगों की तेज़-तेज़ अंग्रेज़ी, और मन में—एक साथ उत्साह, डर और उम्मीद। उसने पिताजी की पुरानी घड़ी को कलाई पर ठीक किया, फिर अपनी माँ की बाँधी हुई लाल ऊनी डोरी को उँगलियों में घुमाकर एक पल के लिए आँखें बंद ...Read More