तुम मेरे हो

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सुबह की किरणें कमरे में फैल चुकी थीं। लगभग 45-46 का चौबे, पहलवान जैसा गठीला शरीर लिए, आँगन में कसरत कर रहा था। उसकी भारी आवाज़ गूँजी— “नीचे आ जा और कसरत कर, वरना नाश्ता नहीं मिलेगा!” बिस्तर में पड़ी अठारह-उन्नीस साल की मुस्कान ने करवट बदली और गहरी नींद में डूबे रहने का नाटक किया। चौबे ने जब देखा कि वह नीचे नहीं आई, तो चौबे को बहुत गुस्सा से लाल हो गया‌ और गुस्से में ऊपर पहुँचा और एक बाल्टी पानी मुस्कान पर उँड़ेल दिया।

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तुम मेरे हो - 1

सुबह की किरणें कमरे में फैल चुकी थीं। लगभग 45-46 का चौबे, पहलवान जैसा गठीला शरीर लिए, आँगन में कर रहा था। उसकी भारी आवाज़ गूँजी—“नीचे आ जा और कसरत कर, वरना नाश्ता नहीं मिलेगा!”बिस्तर में पड़ी अठारह-उन्नीस साल की मुस्कान ने करवट बदली और गहरी नींद में डूबे रहने का नाटक किया। चौबे ने जब देखा कि वह नीचे नहीं आई, तो चौबे को बहुत गुस्सा से लाल हो गया‌ और गुस्से में ऊपर पहुँचा और एक बाल्टी पानी मुस्कान पर उँड़ेल दिया।मुस्कान चीख पड़ी—“ यह क्या कर रहे हो?"चौबे ने एक सांस में कहा "कसरत करना..'' तभी ...Read More

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तुम मेरे हो - 2

(चौबे अपनी बेटी मुस्कान पर सख्त अनुशासन थोपता है, लेकिन बेफिक्र मुस्कान अपनी दुनिया में जीती है। कॉलेज में कपड़ों और रूप-रंग के लिए ताने सुनने पड़ते हैं, फिर भी वह चुटीले अंदाज़ से सबको जवाब देती है। सहेलियाँ उसे बॉयफ्रेंड न होने पर चिढ़ाती हैं, पर मुस्कान अपने अकेलेपन को किताबों और खाने में छिपा लेती है। उसके मन में सवाल है कि क्या कोई उसे वैसे ही चाहेगा जैसी वह है—बिना दिखावे और बनावट के। कहानी एक ऐसी लड़की की है जो समाज और पिता की अपेक्षाओं के बीच अपनी असली पहचान और सच्चे प्रेम की तलाश ...Read More