सूरज हमेशा से एक साधारण लड़का था— दिल का सच्चा, बातें कम और एहसास ज़्यादा… ज़िंदगी में बहुत कुछ नहीं था उसके पास, लेकिन जो था, वो दिल से दिया हुआ था। उसकी दुनिया छोटी थी, लेकिन उस दुनिया में एक लड़की थी — माहीं जिसने उसकी ज़िंदगी को रंगों से भर दिया था।
मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 1
PART — 1 :सूरज हमेशा से एक साधारण लड़का था—दिल का सच्चा, बातें कम और एहसास ज़्यादा…ज़िंदगी में कुछ नहीं था उसके पास, लेकिन जो था, वो दिल से दिया हुआ था।उसकी दुनिया छोटी थी, लेकिन उस दुनिया में एक लड़की थी — माहीं ️जिसने उसकी ज़िंदगी को रंगों से भर दिया था। पहली मुलाक़ातवो दिन कॉलेज का पहला दिन था। भीड़ बहुत थी, शोर था, हँसी थी, नए चेहरे थे… मगर इसी भीड़ में एक चेहरा ऐसा आया जिसने सूरज की धड़कनों को रोक दिया।वो थी — माहीं।कोई फ़िल्मी सीन नहीं था, न हवा चली, न बैकग्राउंड ...Read More
मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 2
PART — 2 :रात बहुत लंबी थी…पर उस रात सूरज सो नहीं पाया।उसके कमरे में अंधेरा था, पर अंदर उससे भी गहरा अंधेरा था। उसकी आंखें रो-रो कर सूज चुकी थीं। सांसें भारी थीं। दिल बिखर चुका था।"सब खत्म हो गया…"उसने खुद से कहा।लेकिन अंदर कहीं एक सवाल बार-बार जल रहा था— "मैंने उसका क्या बिगाड़ा था…?"️ दर्द का दूसरा दिन…सुबह हुई, लेकिन सूरज के अंदर अब भी रात थी।कॉलेज जाना, लोगों से मिलना, हंसना—सब अब बोझ लग रहा था।फिर भी वो कॉलेज गया…क्योंकि शायद उसका दिल अभी भी उम्मीद में था कि माहीं उससे मिलेगी… सब ठीक ...Read More
मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 3
PART — 3 :माहीं की आंखों में डर था…वो पहले वाली माहीं नहीं थी —जो हँसती थी, खिलखिलाती खुद को हसीन समझती थी।आज वो असुरक्षित थी… टूटी हुई… और सबसे बड़ी बात —पछताई हुई।सूरज चुपचाप उसे देख रहा था।दिल में तूफ़ान था, पर आवाज़ शांत।"क्या हुआ, माहीं?"उसने धीमे लेकिन सख्त लहजे में पूछा।माहीं ने होंठ दबाए, फिर बोल पड़ी—“सचिन… वो वैसा नहीं था जैसा मैंने समझा था।”सूरज ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन वो दर्द भरी थी।"तो अब तुम वापस उस इंसान के पास आई हो…जिसे तुमने पैसों के लिए छोड़ दिया…?"माहीं रोने लगी।"सूरज, प्लीज़… मुझे सुनो। मैंने सचिन ...Read More