Main bikhra nahi ....Bas badal gaya ..1 in Hindi Love Stories by vikram kori books and stories PDF | मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 1

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मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 1

‎💔 PART — 1 :

‎सूरज हमेशा से एक साधारण लड़का था—
‎दिल का सच्चा, बातें कम और एहसास ज़्यादा…
‎ज़िंदगी में बहुत कुछ नहीं था उसके पास, लेकिन जो था, वो दिल से दिया हुआ था।
‎उसकी दुनिया छोटी थी, लेकिन उस दुनिया में एक लड़की थी — माहीं ❤️
‎जिसने उसकी ज़िंदगी को रंगों से भर दिया था।
‎🌸 पहली मुलाक़ात
‎वो दिन कॉलेज का पहला दिन था। भीड़ बहुत थी, शोर था, हँसी थी, नए चेहरे थे… मगर इसी भीड़ में एक चेहरा ऐसा आया जिसने सूरज की धड़कनों को रोक दिया।
‎वो थी — माहीं।
‎कोई फ़िल्मी सीन नहीं था, न हवा चली, न बैकग्राउंड में गाना बजा…
‎लेकिन दिल में कुछ ऐसा हुआ जिसे सूरज समझ नहीं पाया।
‎माहीं ने जैसे ही उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा, सूरज को लगा —
‎"बस… यही है वो।"
‎😶‍🌫️💘
‎कई दिन सूरज बस उसे दूर से देखता रहा — उसकी हँसी, उसका अंदाज़, उसका मासूमियत भरा चेहरा… सब दिल पर असर कर रहे थे।
‎एक दिन कैंटीन में माहीं अचानक ठोकर खाकर गिर गई। उसके हाथ में कॉफी थी जो फर्श पर फैल गई।
‎सूरज तुरंत भागकर उसके पास पहुँचा।
‎"तुम ठीक हो?" उसने घबराए सुर में पूछा।
‎माहीं हल्की सी हँसकर बोली,
‎"हाँ… सिर्फ कॉफी शहीद हुई है।"
‎दोनों हँसे… और वहीं से उनकी कहानी की शुरुआत हुई। ☕❤️
‎💬 पहली बात, पहला नशा
‎उस दिन के बाद सूरज और माहीं की बातें ज़्यादा होने लगीं—
‎पहले दोस्ती, फिर आदत… और फिर मोहब्बत।
‎कई बार रात के 2 बजे तक चैट चलती रहती…
‎💬 "सोई क्या?"
‎💬 "नहीं… तुम?"
‎💬 "नींद कैसे आएगी..?"
‎💬 "क्यों?"
‎💬 "तुम दिमाग़ में हो, दिल में हो… सोने की जगह कहाँ?"
‎माहीं blush कर मुस्कुरा देती…
‎और सूरज खुश हो जाता। 🌙💞
‎समय बीता… और धीरे-धीरे यह रिश्ता चार साल पूरा कर गया।
‎इन चार सालों में सूरज ने बहुत कुछ सहा—
‎कभी माहीं नाराज़ होती, कभी चुप रहती, कभी गुस्सा करती…
‎पर सूरज हमेशा माफी मांग लेता।
‎क्योंकि उसके लिए इगो से ज़्यादा माहीं ज़रूरी थी।
‎जब भी माहीं मुश्किल में होती, सूरज उसके साथ खड़ा होता।
‎वो उसका सपोर्ट था, उसकी हिम्मत… उसके दर्द और उसकी मुस्कुराहट दोनों का साथी।
‎माहीं अक्सर कहती—
‎"तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ सूरज। तुम ही सब हो मेरा।"
‎और सूरज उस पर जान छिड़क देता। 💕✨
‎⚠️ लेकिन किस्मत को कुछ और मंज़ूर था…
‎एक दिन उनकी लाइफ में कोई नया आया—
‎एक लड़का… जिसके पास पैसा था, शोहरत थी, चीज़ें खरीदने की ताकत थी…
‎उसका नाम था — सचिन।
‎शुरुआत में सूरज ने इसे मज़ाक समझा।
‎उसे लगा, "माहीं तो मेरी है… वो कभी किसी पैसे वाले के पीछे कैसे जाएगी?"
‎लेकिन धीरे-धीरे माहीं बदलने लगी—
‎पहले मेसेज कम हुए… फिर कॉल कम हुई…
‎फिर बहाने शुरू हो गए।
‎"नेटवर्क नहीं था।"
‎"मैं बिज़ी थी।"
‎"तुम हर चीज़ का गलत मतलब निकालते हो!"
‎और सूरज समझ नहीं पा रहा था कि उसकी दुनिया में ये तूफ़ान क्यों आ रहा है। 🌪️😔
‎एक शाम माहीं ने अचानक कहा —
‎"सूरज… मुझे तुमसे बात करनी है।"
‎उसकी आवाज़ आज अजनबी थी।
‎सूरज का दिल धड़क उठा।
‎"बोलो माहीं…"
‎माहीं ने गहरी सांस ली और कहा—
‎"हम दोनों एक-दूसरे के लिए सही नहीं हैं अब… मुझे लगता है… हमें इस रिश्ते को खत्म कर देना चाहिए।"
‎सूरज का दिल जैसे धड़कना भूल गया।
‎उसकी आँखें भर आईं।
‎"क्यों माहीं..? मैंने क्या गलत किया..?"
‎माहीं ने नज़रें चुराकर कहा—
‎"गलत तुमने नहीं… हालात ने किया है। सचिन… वो मुझे समझता है… और हाँ… वो मुझे एक बेहतर ज़िंदगी दे सकता है।"
‎ये सुनकर सूरज के अंदर कुछ टूट गया…
‎टूटना भी हल्का शब्द था —
‎जैसे उसकी आत्मा चिर गई हो। 💔🥀
‎😢 वो रात…
‎उस रात सूरज खूब रोया।
‎उसने खुद से सिर्फ एक सवाल पूछा—
‎"क्या मेरी मोहब्बत पैसों से कम थी?"
‎दिल में दर्द था, सांस भारी थी…
‎जिंदगी जैसे रुक गई थी।
‎उसका फोन बजा—
‎माहीं का मैसेज था…
‎💬 "Take care… aur please contact naa krna."
‎और उन छः शब्दों ने सूरज की रूह को जला दिया।
‎उसने मोबाइल एक तरफ फेंक दिया,
‎खुद को कमरे में बंद कर लिया…
‎और धीरे-धीरे उसकी सांसें कांपने लगीं।
‎उसकी आँखें लाल थीं, और दिमाग में सिर्फ एक बात—
‎"शायद… अब जीना ज़रूरी नहीं है।"
‎😞🕯️

To Be continue..........

‎.....................................................
‎लेकिन…
‎ज़िंदगी इतनी आसान नहीं होती।
‎क्योंकि टूटे हुए लोग हमेशा हारते नहीं—
‎कुछ लोग अपने दर्द से नया जन्म लेते हैं।
‎और सूरज भी अब…
‎वो सूरज बनने वाला था, जो जलकर पूरी दुनिया को रोशन करेगा।
‎....................................................
‎लेकिन कैसे…?
‎क्या वो बदला लेगा?
‎क्या माहीं कभी पछताएगी?
‎क्या सच में सच्चा प्यार हार गया… या कहानी अभी बाकी है?
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‎   waiting for next part ........
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writer:-...............
‎                      ....................Vikram kori