Daanav the risky love - 1 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 1

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दानव द रिस्की लव - 1

"भैया ! कितनी देर करोगे चलने मैं "
"आया अदिति !"
"भैया ! आपको अजीब नही लगता नाम सुनने में ..पैहरगढ़"
"लगता तो है पर क्या करे मां ने बुलाया है जाना तो पड़ेगा न चल अब "
"हां ! .....भैया कितना टाइम लगेगा वहां पहुचने में "
"कम से कम एक घंटा "
"क्यू बुला रही है मां "
"सारे सवाल यही पुछ लेगी क्या मां से पुछिओ क्यु बुलाया है "
"ठीक है !"
दोनो पैहरगढ़ पहुंचते है
"मां ....!"
"मासी भाई और अदिति गये "
"आ गये आदित्य "
"हां मां !"
"जल्दी अंदर आओ दोनो "
"कांजी ! पानी दो "
"जी ! मासी "
नाश्ता वगैरह करने के बाद सब शाम को मिलते है
"मां एक बात बताओ "
"हां !बोल अदिति "
"मां अचानक हमे क्यू बुला लिया जब हम कह रहे थे मां हम गांव आऐंगे तब तो तुमने मना कर दिया था आज अचानक क्यू ?"
"हां ....मैं बताने ही वाली थी ...गांव में दो दिन बाद मेला है और तुम दोनो के लिए सुरक्षा घेरा पूजा भी है "
"सुरक्षा घेरा किस चीज का "
"अब ज्यादा सवाल मत कर सो जा "
"मां इसके दिमाग में यही सवाल है बस "
"कोई बात नही ...अब सो जाओ "
अगली सुबह
"मां ! पूजा तो परसो है न "
"हां तो "
"क्या मैं गांव घुम लूं "
"ठीक है ...कांजी इसे गांव दिखा दे पर ध्यान रखना पुराने किले पर मत जाना "
"जी ! मासी चलो अदिति"
दोनो गांव घुम लेते अदिति को जगह अच्छी लगी
"रुको अदिति इससे आगे नही जाना वहां पुराना किला है मासी ने मना किया है जाने से "
"क्यु वहां ऐसा क्या है ?"
"पता नही ...चलो यहां से "
"चलो देखते अंदर थोड़े ही जाऐंगे बाहर से देखते है "
"नही मना किया है न तुम शहरी भी न जब देखो तब खोजबीन करते रहते हो "
"तुम बहुत डरपोक हो मैं देखकर आती हुं "
"रूको ..
तभी अदिति को एक चमगादड़ काट लेती है
" मैने मना किया था न जल्दी चलो यहां से "
" तुम इतनी घबरा क्यु रही हो हल्का सा ही तो काटा है "
" तुम अभी जानती नही हो यहां के हालात ...चलो अब "
"अब तुम मां से कुछ मत कहना परेशान हो जाती है वो हल्की सी खरोंच है ठीक हो जाऐगी कल तक "
"ठीक है नही कहूंगी "
दोनो घर पहुंचते है
" आ गयी तुम दोनो ...कांची इसे पुराने किले पर तो लेकर नही गयी "
"हनन(घबरा जाती है)
" नही मां हम र्सिफ गांव घुमकर आऐ है "
"अच्छा है "
"मां ये कौन है ?."
"सोम यही रहता है पास में "
"भाई की दोस्ती बड़ी जल्दी हो गयी इससे "
"तो तू कांची के साथ चली गयी और मुझे पुछा भी नही भैय्या चलोगे के नही "
" साॅरी "
"जाओ अब सब अंदर अंधेरा होने लगा है "
"ठीक है मां"
"भैय्या ये क्या है "
"क्या अदिति "
"यही की पुराने किले पर मत जाना... अंधेरा होते ही अंदर चले जाना कितना अजीब है रहां "
" है तो पर क्या करे हमे कौनसा यहां रहना है "
"ठीक कह रहे हो भाई लेकिन
" अब ज्यादा सोचे मत सो जा "
"हां ...."
उसी आधी रात एक अजीब घटना घटती है जिससे आदित्य सोच में पड़ जाता है ये सब कैसे हो गया ......continue
आगे की स्टोरीज़ अब आपको मेरे you tube channel pr hi sunne ko milegi
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