Wo Billy - 3 in Hindi Horror Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | वो बिल्ली - 3

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वो बिल्ली - 3

(भाग 3)

शोभना धार्मिक प्रवत्ति की महिला हैं। उसकी ईश्वर पर अटूट आस्था होने के कारण ही वह अब तक हुई तमाम अजीब घटनाओं के घटित होने के बावजूद भीं ख़ुद को संभाले हुए थीं । किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा को वह अपने ऊपर हावी नहीं होने देतीं थीं। जब भी वह घर पर अकेली होती थीं जब उसे अहसास होता था कि कोई औऱ उस पर हावी हो रहा हैं, अचानक उसके कान सुन्न हों जातें, सर भारी होने लगता औऱ एक अजीब सी घबराहट से दिल बेचैन हो उठता। शोभना खुद को जकड़ा हुआ सा महसूस करतीं । न वह बोल पाती न ही अपने हाथ-पैर चला पाती । ऐसी स्थिति में वह मन ही मन अपने इष्टदेव को याद करतीं औऱ ईश्वर का ध्यान करते ही वह स्वयं को बंधन मुक्त पाती । जैसे किसी ने उसे अपनी गिरफ्त से मुक्त कर दिया हों।

अब शोभना रघुनाथ को अपनी आपबीती भी नहीं सुनाती थीं । वह खुद को हर तरह से यहीं समझाती की उसके मन का वहम ही हैं जो इन सब घटनाओँ को अंजाम दे रहा हैं । शोभना अब स्वयं को किसी न किसी काम में व्यस्त रखने लगीं थीं। हर काम वह अब भजन गुनगुनाते हुए ही करतीं थीं । ऐसा करने से उसे बहुत सुकून भी मिलता था औऱ अब कोई भी अनहोनी नहीं होतीं थीं।

बात अगर वहम की होतीं तो निश्चित तौर पर शोभना की व्यस्तता से ही छुटकारा मिल जाता।

एक शाम जब शोभना रघुनाथ के ऑफिस से आने की प्रतीक्षा में आंगन में टहल रहीं थीं। तब उसे घर के अंदर किसी के होने का आभास हुआ। आज अमावस्या थी, शाम खत्म हो गई औऱ रात गहराने लगीं थीं । आंगन की दीवारें बड़ी भयानक लग रहीं थीं, कई सालों से उन पर लिपाई-पुताई नहीं हुई थीं । दीवारों पर काई के गहरे काले निशान किसी डरावनी आकृति से लग रहें थे जैसे कोई साया हों। दीवारों पर पीपल के पेड़ उग आए थे, जिनके सुखे पत्ते आंगन में जहाँ-तहां बिखरे पड़े थें ।

जब भी हवा चलती तो पीपल के पेड़ की डालियां हिलते हुए ऐसी प्रतीत होतीं मानो कोई अपने हाथ ऊपर उठाएं किसी को बुला रहा हों ।ज़मीन पर बिखरे सूखे पत्ते भी सरसराती हवा के साथ ऐसे खड़खड़ा उठते जैसे किसी के आने का उत्सव मना रहें हों । चारों तरफ रात के सन्नाटे सी ख़ामोशी पसरी हुई थीं । तभी शोभना को घर के अंदर से किसी के गुनगुनाने की आवाज़ आई । शोभना के कदम घर की औऱ बढ़ गए । धीमी गति से बढ़ती शोभना की सांसें धौकनी की तरह चल रहीं थीं । हर एक कदम पर सैकड़ों विचारों मन में आते औऱ जातें हैं। जैसे-जैसे वह आगें बढ़ती जाती आवाज़ स्पष्ट सुनाई देतीं। यह किसी महिला की आवाज़ थीं - दुश्मन न करें दोस्त ने वो काम किया हैं, उम्रभर का गम हमें ईनाम दिया हैं....

शोभना घर में प्रवेश करतीं हैं। गुनगुनाने की आवाज रुक गई । सब कुछ सामान्य था। शोभना बच्चों को आवाज़ लगाती हैं। तभी छत की सीढ़ियों से किसी के उतरने की आवाज़ आती हैं। शोभना पलटकर देखती हैं औऱ देखकर हक्की-बक्की रह जाती हैं। शोभना की बेटी किटी का हाथ थामे वहीं औरत सीढ़ी पर खड़ी थीं । औऱ किटी उसी बिल्ली को लिए खड़ी थीं जो अक्सर घर में दिखाई देतीं थीं ।

 

शेष अगले भाग में.....