Bandhan Pyar ka - 5 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बंधन प्यार का - 5

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बंधन प्यार का - 5

हिना और नरेश खाना खाने के बाद होटल से बाहर आये थे।नरेश बोला,"अगले सन्डे कही चलना है?"
"फोन पर बात कर लेंगे।"
नरेश और हिना मेट्रो से वापस किंग्स्टन लौट आये थे।फिर नरेश और हिना अपने घर चले गए थे।
नरेश और हिना ऑफिस में व्यस्त रहते थे।इसलिए रोज तो बात नही हो पाती थी लेकिन शनिवार को नरेश ने समय निकाल ही लिया था।वह फोन करके हिना से बोला,"कल सन्डे है।"
"मुझे मालूम है।"
"मालूम है तो बताओ कल घूमने चलोगी?"
क्यो नही चलेंगे।जरूर चलेंगे।तुम्हे शक है क्या?"
"हा।"नरेश बोला था।
"क्यो?"
"पिछले सन्डे को तुमने मेरे साथ चलने से मना कर दिया था।
"अरे हां।सही कह रहे हो।मेरी सहेली मतलब कम्पनी में अमारा मेरे साथ काम करती है।उसे खरीददारी करनी थी।'
"तो?'
"तो क्या?उसके साथ मार्किट गयी थी।"
"खरीदारी सहेली को करनी थी।साथ तुम गयी थी।"
"मुझे भी करनी थी।"
"ऐसी क्या खरीददारी करनी थी जो दो सहेलियां साथ मे गयी थी,?"
"पर्सनल।ये लड़कियों का निजी मामला है तुम्हे नही बताया जा सकता।"
""ओके,"नरेश बोला,"अगर निजी है तो रहने दो,"नरेश बोला,"कल चलोगी?'
"
""जरूर।"
"कहा मिलोगी?"
"साउथ किंग्स्टन ही आ जाऊंगी।"
",ठीक है।मै तुम्हारा ििइन्तजार करूंगा।"
हिना का सन्डे को ऑफ रहता था।पहले वह आराम से सोकर उठती।और फिर नित्य कर्मो से फारिग होकर नाश्ता करती।अगर किसी सहेली का फोन आ जाता तो वह उसके साथ मे चली जाती।वरना घर मे ही पड़ी रहती।लेकिन जब से नरेश के सम्पर्क में आई।उसकी दिनचर्या ही बदल गयी थी।इस सन्डे को भी वह जल्दी उठ गई और तैयार होने लगी।
नरेश की शुरू से ही आदत थी,सुबह जल्दी उठना।वह रोज सुबह कुछ देर के लिए योग करता था।आज भी उसने ऐसा ही किया था।तैयार होकर घर से निकलने से पहले उसने हिना को फोन K किया था,"मै घर से निकल रहा हूँ।तुम अभी निकली या नही।"
",बस मैं भी निकलती हूँ।"
"ठीक है।"
नरेश स्टेशन पहुंचकर हिना का इंतजार करने लगा।जब वह नही आई तो नरेश ने फोन किया था।हिना बोली,"रास्ते मे हूँ।बस आ रही हूँ।"
और कुछ देर बाद वह आ गयी थी।वह आते ही बोली,"आज कहा चलने का इरादा है?"
"तुमने कुछ सोचा है?"
"नही।"
"आज टावर ब्रिज या बिग बेन चले या दोनो जगह।"
"एक साथ दो जगह क्यो?"हिना बोली,"अभी हम यहाँ से जा नही रहे।आराम से एक बार मे एक जगह ही देखते है "
"तुम्हारी बात भी सही है,"नरेश बोला,"तो आज कहा चले?बिग बेन या टावर ब्रिज।"
"बिग बेन चलते है।,
नरेश और हिना बाते कर रहे थे तभी,"हिना "आवाज सुनाई पड़ी थी।
आवाज सुनकर हिना ने मुड़कर देखा था,"अरे जेनिफर।तुम कहा जा रही हो और तुम्हारे साथ कौन है?"
"यह विल्सन है मेरा बॉय फ्रेंड।हम दोनों तुषाद म्यूजियम देखने के लिए जा रहे है," अपने दोस्त का परिचय कराते हुए जेनिफर बोली,"तुम भी चलो।"
"यह नरेश है मेरा फ्रेंड और यह जेनिफर है।मेरे साथ कम्पनी में है,"परिचग कराते हुए बोली,"तुम दोनों जाओ।हम देख आये है "
"फिर कहां जा रहे हो।"
"हम आज बिग बेन जा रहे है।"
"ट्रेन आ गयी"विल्सन बोला था।
"बाय--जेनिफर ,विल्सन के साथ चली गयी थी।कुछ देर बाद उनकी भी ट्रेन आ गयी थी।वे भी चले गए।
बिग बेन वेस्ट मिनिस्टर में है।वे दोनों मेट्रो ट्रेन से वेस्ट मिनिस्टर पहुंचे थे।
बिग बेन पर अच्छी खासी भीड़ थी।सन्डे छुट्टी का दिन होता है।इस दिन लोग घूमते है।खाते पीते है और खूब मौज मस्ती करते है