धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे अचानक एक दिन खबर आई कि दिल का दौरा पड़ने से उसकी बुआ जी की मौत हो गई यह सुनकर तो निशा के जैसे पैरों तले जमीन खिसक गई ,
जब उसने रोते-रोते विजय को यह खबर सुनाई तो विजय ने उसे तसल्ली दी और हिम्मत बंधाई ,
तब निशा ने रोते हुए थे कहा विजय मैं अपनी बुआ का आखिरी बार मुंह देखना चाहती हूं उसके अंतिम संस्कार में जाना चाहती हूं आप भी मेरे साथ चलिए,,,,
यह सुनकर विजय ने कहा निशा मैं यहां से तुम्हें एक गाड़ी में भेज दूंगा तुम तो जानती हो ना मुझे 1 मिनट का टाइम भी नहीं रहता और आज आज तो मेरी अर्जेंट मीटिंग है,,,,,
निशा को विजय की बात सुनकर बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर वह करे भी तो क्या करें बिना समय गवाएं वह विजय द्वारा की भेजी गई एक गाड़ी में बैठकर अपनी बुआ के घर पहुंच गई,
वह बुआ की लाश को देखकर उससे लिपट कर फूट फूट कर रो पड़ी , बुआ के बेटे बहु अभी तक आए हुए नहीं थे सब उसके इंतजार में थे शाम तक वे लोग भी फ्लाइट से आ चुके थे,
जब अंतिम संस्कार की तैयारियां हो रही थी तो निशा फूट-फूट कर रो रही थी, निशा की ऐसी हालत देखकर सभी की आंखों में आंसू बह रहे थे तब उसके बुआ के बेटे व बहू ने निशा को हिम्मत बंधाई,
दाह संस्कार के बाद निशा ना चाहते हुए भी वापस अपने ससुराल आ गई,
उसे अपनी बुआ के जाने का बहुत गम था लेकिन जैसे उसका गम समझने वाला वहां कोई नहीं था क्योंकि विजय तो हमेशा काम की धुन में लगा रहता और निशा की सास भी पैसों की कम लालची नहीं थी वह भी हमेशा सिर्फ पैसे पैसे करती रहती उसे निशा के दुख दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता था, वह घर में 1 मिनट नहीं रुकती सब दिन पूरे मोहल्ले में अपने बेटे के गुणगान के फिरती,
निशा यह सब देख कर बहुत दुखी रहती थी लेकिन बुआ के जाने के बाद तो जैसे वह टूट गई थी फिर उसने अपने आप को संभाला,
एक दिन अचानक निशा को चक्कर आ गए और वह गिर गई जब उसे डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने बताया कि निशा मां बनने वाली है,,,,,
यह सुनकर निशा की खुशी का तो जैसे कोई ठिकाना ही नहीं रहा लेकिन जैसी निशा को विजय और अपने सास से उम्मीद थी ऐसा कुछ नहीं हुआ,
विजय ने बस अपना ख्याल रखना इतना कहकर वापस अपने काम में बिजी हो गया वहीं उसकी सास भी उसका खास ख्याल नहीं रखती थी,
यह देख कर निशा बहुत दुखी हो जाती फिर अपने बच्चे के बारे में सोच कर मुस्कुरा उठती और मन ही मन कहती कि मैं हूं ना अपने बच्चे की मां मैं अपने बच्चे को कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दूंगी,
धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे और निशा एक बेटे की मां बन गई लेकिन विजय की आदत में अभी कोई बदलाव नहीं था वह तो पहले से भी ज्यादा अपने काम में लगा रहता दिनों दिन उसके ऊपर पैसों का जुनून सवार जो रहता था, लेकिन अब निशा सब कुछ भूल कर अपने बेटे मैं बिजी रहने लगी और उसके साथ ही खुश रहने लगी,
इसी तरह निशा और विजय की शादी को 5 साल गुजर गए इस बीच निशा बेटे और एक बेटी की मां बन गई,
5 साल बाद विजय ने अपना काम में काफी तरक्की कर ली थी और अपने काम के सिलसिले में ही वह अक्सर शहर जाता था और लगभग 2 या 3 महीने में लौटता था,
उस पर निशा या अपने बच्चों के होने या ना होने का कोई फर्क ही नहीं पड़ता था वह तो सिर्फ पैसा पैसा पैसा हमेशा पैसा कमाना चाहता था,
लेकिन कुछ दिनों से विजय के ना तो कॉल आई और ना ही कोई खोज खबर ,जब काफी दिन बीत जाने पर भी विजय ने कोई कॉल नहीं किया तो निशा बहुत परेशान हो गई,
वह कभी विजय को आगे से कॉल नहीं करती थी क्योंकि विजय ने मना कर रखा था विजय ने कह रखा था कि वह ही आगे से कॉल कर लिया करेगा आगे से उसे कॉल कर डिस्टर्ब ना करें ,
जब निशा पर रहा नहीं गया किसी अनहोनी की आशंका में उसी दिन रात विजय की चिंता सताई रहती तो एक दिन 1 दिन निशा ने ही उसे कॉल किया तो विजय ने अभी मीटिंग में बिजी हूं बाद में बात करता हूं कहकर कर कॉल काट दिया,,,,
जब भी निशा विजय को कॉल करती तो विजय कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल जाता, निशा उसके बहाने पर ज्यादा ध्यान नहीं देती क्योंकि वह विजय की आदत को शुरू से जानती थी लेकिन धीरे-धीरे 6 महीने होने को आए लेकिन विजय अब ना कभी आगे से कॉल करता और ना ही वह अपने परिवार से मिलने आया था,
जब भी निशा उसे कॉल करती तो वह मुश्किल से एक दो बातें करके काट देता या कॉल उठाता ही नहीं था, कभी आगे से कॉल भी करता तो सिर्फ अपनी मां को करता था अपनी मां से भी थोड़ी बहुत बातें करके कॉल काट देता,
निशा अपने बच्चों में ही बिजी रहती क्योंकि वह जानती थी कि विजय कैसा है और निशा की सास वह तो बस सारे दिन अपने बेटे के ही गुणगान गाती फिरती और निशा को हमेशा ताने देती रहती, वह अपने पोते पोतियो का भी कोई ख्याल नहीं रखती थी वह भी एक नंबर की लालची थी,
एक दिन निशा केसास ने निशा को ऐसा कुछ बताया कि जिसे सुनकर निशा के पैरों तले जमीन खिसक गई उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आखिर में उसके साथ ऐसा भी हो सकता है,,,,,