inteqam, bhag- 13 in Hindi Love Stories by Mamta Meena books and stories PDF | इंतेक़ाम - भाग 13

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इंतेक़ाम - भाग 13

वही रोमी से उसकी की सास ने काफी कहा लेकिन रोमी न एक बार भी नहीं सुनी और कहा मैं इन सब को नहीं मानती और मैं यहां किसी गुड़िया की तरह बैठी रहो और तुम सब लोग यहां मेरा तमाशा देखो ,समझ क्या रखा है तुमने मुझे जाओ यहां से,,,,,,

यह सुनकर मोहल्ले की औरतें बोली कुछ भी कहो विजय की मां लेकिन यह लड़की निशा बहू की बराबरी कभी नहीं कर सकती, कहां देवी जैसी निशा बहू और कहां यह,,,,,

यह सुनकर रोमी गुस्से में बोली तुम जाते हो या नहीं,,,,

तब मोहल्ले के औरतें बोली अरे हमारा मन थोड़ी था यहां आने का तुम्हारी सास ही जबरदस्ती ही बुला कर आई थी हमें और हमारा क्या दिमाग खराब है जो अब और यहां रुककर अपनी बेइज्जती करवा दे,,,,

यह कहकर बे रोमी और उसकी सास को गाली देती हुई घर से बाहर निकल गई,,,,

निशा की सास ने सारा गुस्सा निशा पर निकाला और रोमी से कुछ नहीं कहा,,,,

रोमी अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद थी वह एकलौती थी इसलिए विजय ने पैसों के लिए उससे शादी की थी,,,,

रोमी इतने छोटे कपड़े पहनती कि निशा को तो देखकर शर्म आ जाती और उसकी सास  उसकी तारीफ करते ना थकती,,,,

रोज रोज क्लब जाना नाइट पार्टी करके वापस आना शराब पीना दोस्तों के साथ घूमना यही सब रोमी की दिनचर्या थी लेकिन उसकी सास चाहते हुए भी उससे कुछ नहीं कहती,,,,,

रोमी को देखकर निशा से उसके बच्चे पूछते मम्मा यह नई आंटी कौन है तो निशा कहती कोई नहीं बेटा तुम उससे दूर ही रहा करो,,,,

विजय को तो अपने पैसे कमाने की धुन से ही फुर्सत नहीं थी उसे तो अब  पैसों का इतना घमंड आ गया था कि वह अब अपने समान किसी और को कुछ समझता नहीं था, वह निशा की तरफ तो भूल कर भी नहीं देखता ना ही उसे रोमी से मतलब था उसे तो सिर्फ रोमी की जायदाद से मतलब था जो शायद रोमी से शादी करके उसकी होने वाली थी,,,,

वहीं विजय की मां सारा दिन रोमी के गुणगान और उसकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थकती,,,,

तब मोहल्ले की कुछ औरतें तो उसके मुंह पर ही निशा की तारीफ कर देती तो कुछ पीठ पीछे करती,,,,,

यह सुनकर विजय की मां उनसे झगड़ा कर निशा को गाली देती हुई कर वापस आ जाती,,,,

निशा के कहने पर निशा के बच्चे भी रोमी से दूरी रहते वे हमेशा अपने कमरे में बंद रहते, लेकिन उन मासूम बच्चों के दिमाग पर भी अब अपने पापा के बदले हुए रूप ने काफी ठेस पहुंचाई थी,,,,

निशा उनको समझाती जब वे पूछते मम्मी पापा उस आंटी को अपने साथ क्यों लेकर आए हैं और आंटी आपको कितना कुछ कहती है लेकिन आप कुछ कहती क्यों नहीं, ना ही पापा उससे कुछ कहते हैं, दादी भी बात बात पर आपको डांट देती है जबकि आपकी कोई गलती नहीं होती और पापा भी कुछ नहीं कहते हैं और मम्मी पापा भी हमेशा अपने काम में बिजी रहते हैं वह हमसे भी बहुत कम बातें करते हैं, मम्मा आंटी बेवजह हमें भी डांट देती है,,,,,

तब निशा कहती नहीं बेटा तुम इन सब पर ध्यान मत दो तुम अभी बच्चे हो कुछ नहीं समझोगे और हां अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो यह कहकर वह अपने बच्चों को गले लगा लेती,,,,,,