Nagendra - 17 in Hindi Fiction Stories by anita bashal books and stories PDF | नागेंद्र - भाग 17

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नागेंद्र - भाग 17

अवनी नागेंद्र और माया को लेकर काफी परेशान थी वही वह दोनों इस नाग मंदिर के सामने खड़े थे जहां पर पिछली रात को खुदाई का काम चालू था। नागेंद्र ने उसे कॉलोनी की तरफ देखा जहां पर इस वक्त चहल-पहल चालू थी। वह कॉलोनी काफी पोस कॉलोनी दिख रही थी। वहां पर घर को देखकर ऐसा लग रहा था मानो यहां पर काफी अमीर और रेप्यूटेड लोग रहते होंगे।

" माया यह कॉलोनी इस जगह से ज्यादा दूरी पर नहीं है और अगर यहां पर खुदाई का काम चालू हो रहा है तो लोगों को इसकी आवाज जानी चाहिए थी। लेकिन कल रात को तो यह गार्ड भी इतनी गहरी नींद में सोया था कि ऐसा लग रहा था जैसे कि वह नींद की गोली खाकर सोया हो।"
माया ने नागेंद्र की बात को ध्यान से सुना और सोचते हुए कहा।
" समझ में नहीं आ रहा। तुम ठीक कह रहे हो आवाज तो जानी चाहिए थी। चलो मान लो की अंदर लोग दरवाजा बंद करके आराम से सो जाते होंगे लेकिन कॉलोनी के गेट के बाहर बेटा हुआ गाड़ी तो यह सब कुछ देख ही सकता है चलो मानो कि वह सो भी गया तू भी आवाज के कारण तो उसके नींद टूटने चाहिए थी।"
नागेंद्र उसे कॉलोनी की तरफ जाने लगा जहां पर इस वक्त लोगों का आना-जाना चालू था और गार्ड भी फोन में गाने सुनकर बैठा हुआ था। जैसे ही वह गेट के पास पहुंचा गार्ड ने है उसको रोका और पूछा।
" अरे भाई तुम कौन हो और यहां क्यों जा रहे हो? किसी से कम है तो पहले अपना नाम लिखवा लो और किससे मिलने जा रहे हो वह लिखवा दो।"
माया भी नागेंद्र के पीछे-पीछे आ गई थी। नागेंद्र ने गार्ड की तरफ देखा और पूछा।
"क्या अंदर जाने वाले हर इंसान की यहां पर एंट्री होती है?"
गार्ड ने तुरंत जवाब दिया।
" और नहीं तो क्या यह कोई ऐसी वैसी कॉलोनी थोड़ी है। यहां पर बड़े-बड़े वकील और बड़े-बड़े डॉक्टर रहते हैं। यहां पर ऐसे ही कोई नहीं जा सकता। अगर आपको भी किसी से मिलना है और अपॉइंटमेंट लिया है तो मुझे बता दो मैं आपको बता दूंगा कि किसका घर कहां है वरना अंदर जाकर गुम हो जाओगे।"
" नागेंद्र इधर आकर देखो यह क्या है।"
माया की आवाज में नागेंद्र ने उसकी तरफ देखा और फिर वापस गार्ड की तरफ इशारे से 1 मिनट बोलकर उसके पास चला गया। उसने देखा की माया कुछ दूरी पर जमीन पर बैठी हुई है। नागेंद्र वहां गया और उसके पास नीचे बैठ गया और नीचे देखने लगा जहां पर कुछ राख जैसा गिरा हुआ था। 
नागेंद्र ने उसे गिरी हुई राख को अपनी उंगली और अंगूठे से पकड़ा और नाक के पास ले जाकर सुंघने लगा। 
" सुषुप्तम्। लेकिन यहां क्या कर रहा है।"
माया ने नागेंद्र की तरफ देखते हुए कहा।
" एक ऐसा पेड़ जिसका धुआं तुम्हें गहरी नींद में ले जाता है लेकिन यह तो ऐसी जगह पर उठाता है जहां पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती और जहां की गर्मी पृथ्वी के मुकाबले में कई गुना ज्यादा होती है।"
नागेंद्र ने अपने हाथों को साफ करते हुए कहा।
" इसका मतलब कि वह मार्ग जहां से नागलोक के अंदर जाया जाता है लेकिन वहां तो कोई मनुष्य जा ही नहीं सकता। और इंसानों को इन सब चीजों के बारे में तो कभी पता नहीं होता तो फिर इसे यहां किसने जलाया।"
नागेंद्र ने परेशान होते हुए कहा।
" मुझे लगता है कोई बड़ा षड्यंत्र रचाया जा रहा है। हमें सबसे पहले यह पता करना होगा कि इस मंदिर में ऐसी क्या विशेषता है जिसके कारण यहां पर सांपों की बलि दी जा रही है। क्या ऐसी कोई पूजा है जिसमें सांपों की बलि दी जाती है और उसके बदले में कुछ प्राप्त किया जा सकता है?"
सवाल पूछने के बाद नागेंद्र ने माया की तरफ उम्मीद की नजर से देखा। माया सिर्फ वह सर्पिका नहीं थी जो माया फैलाती थी बल्कि उसके पास बहुत सारा ज्ञान भी था। लेकिन माया ने नागेंद्र की उम्मीद को तोड़ते हुए कहा।
सच कहूं तो मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। लेकिन हां "मुझे यह जरूर पता है कि कौन ऐसा है जिसे इसके बारे में पता होगा।"
नागेंद्र ने सवाल लिया नजरों से माया की तरफ देखा तो माया नहीं हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा।
" वामन, सिर्फ वही है जो पृथ्वी में मौजूद हर चीज की जानकारी रखता है। उसका तो शौक ही वही है तो मुझे पूरा विश्वास है कि उसे इसके बारे में जरूर कुछ पता होगा।"
" हे भगवान बचाओ।"
नागेंद्र और माया आपस में बात कर ही रहे थे कि उनके कान में एक औरत की चीख सुनाई दी। जैसे ही आवाज आई दोनों ने उसे तरफ देखा। जांबाज कॉलोनी के अंदर से आई थी और आवाज आते ही वह गार्ड भी भागते हुए अंदर चला गया। नागेंद्र और माया ने एक दूसरे की तरफ देखा और वह दोनों भी अंदर चले गए।
कॉलोनी काफी बड़ी थी पर वहां का रस्ता भी काफी अच्छा था। कॉलोनी के मेन गेट के बाजू में ही एक बड़ा सा गार्डन था जहां पर कुछ लोगों की भीड़ जमा थी। उन दोनों ने जब वहां जाकर देखा तो वहां पर एक औरत एक बच्चे के पास बैठकर रो रही थी। हो बच्चा जिसका शरीर आकर्षण गया था और वह बार-बार अपना पैर पटक रहा था। लड़का आदि बेहोशी में था।
" काले रंग का बड़ा सा सांप था। हे भगवान कोई जल्दी से एंबुलेंस को बुलाओ।"
एक आदमी भागते हुए उसे औरत के पास गया और उसने जल्दी से एक रुमाल से बच्चों के पैर में बांधते हुए कहा।
" बहन जी इसका इलाज हॉस्पिटल में जाकर ही होगा यहां तो हमारे पास कोई ज्यादा इक्विपमेंट भी नहीं है।"
वह एक पोस्ट कॉलोनी थी जफर काफी डॉक्टर भी रहते थे लेकिन इलाज तो हॉस्पिटल में जाकर ही हो सकता था क्योंकि देखकर ही लग रहा था कि वह सांप बहुत जहरीला था। 
" मेरा बच्चा तो चुपचाप खेल रहा था पता नहीं अचानक से सांप ने काट लिया।"
कहते हुए वह औरत रोने लगी। उसे देखकर दूसरी औरत ने कहा।
" पता नहीं आजकल सांपों को क्या हो गया है कभी-कभी तो हमारे घर के अंदर घुस जाते हैं और हमारे ऊपर हमला करने की कोशिश करते हैं।"
" इसके आगे जंगल है लेकिन सांपों ने कभी हमारे यहां आने की कोशिश नहीं की है। ऐसा लगता है जैसे कि यह सांप बहुत गुस्से में है।"
नागेंद्र और माया ने एक दूसरे की तरफ देखा क्योंकि वह दोनों समझ गए थे कि सांप गुस्से में क्यों है। वहां होटल महफिल इन में अवनी अपनी दोस्त राजश्री को सारी परेशानी बता रही थी और उसने यह भी बताया कि कैसे माया की मदद करने के लिए नागेंद्र रात के 1:00 बजे घर से निकल गया था। अवनी की सारी बातें सुनकर राजश्री ने कहा।
" कोई भी इंसान आधी रात को मदद करने के लिए तभी जाता है जब वह इंसान उसकी काफी करीब हो। देख गलत मत समझना मैं तो कभी नागेंद्र से मिली भी नहीं हमेशा तुझे ही बात सुनी है लेकिन अगर वह आधी रात को किसी की मदद करने के लिए जाता है इसका मतलब है कि उसका अफेयर चल रहा है उसे माया के साथ।"
अवनी ने आज सवेरे की बात को याद करते हुए कहा।
" उसे तो यह भी पता है कि नागेंद्र को चाय नहीं काफी पसंद है। उसने तो अपने हाथों से कॉफी बना कर नागेंद्र को दी थी।"
राजश्री ने सोचते हुए अवनी से कहा।
" तू एक काम क्यों नहीं करती, तू सबसे पहले काफी बनाना सीख ले और उसे अपने हाथों से कॉफी बना कर दे। इतनी अच्छी कॉफ़ी बनाना कि वह तेरी तारीफ करता रह जाए।"
राजश्री की बात सुनकर खुश होने की बजाय अवनी और परेशान हो गई। वह एक रॉयल फैमिली से बिलॉन्ग करती थी उसने तो आज तक किचन में पांव तक नहीं रखा था। उसे तो यह भी नहीं पता था कि गैस जलाया कैसे जाता है तो काफी बनाना तो बहुत दूर की बात थी। उसने राजश्री की तरफ उम्मीद भरी नजर से देखते हुए कहा।
" तू मुझे कॉफी बनाना सिखाएगी?"
राजश्री ने अपने दोनों हाथ ऊपर करते हुए कहा।
" माफ करना मुझे कॉफी बनाने नहीं आती मुझे सिर्फ चाय बनानी आती है। वह भी मेरी मां कहती है कि बहुत बेकार बनाती हूं।"
डूबने वाले के लिए तो टिनका भी बहुत होता है। अवनी ने तुरंत राजश्री का हाथ पकड़ते हुए पूछा।
" तू बस यह बात की चाय कैसे बनाते हैं मैं ऐसे में ही कुछ जुगाड़ करके कॉफी बना लूंगी।"
वहां दिलावर अपने घर पर पहुंच गया था जहां पर गजेंद्र सिंह बिस्तर पर लेटा हुआ था। उसके सर पर ठंडे पानी की पट्टी लग रही थी क्योंकि जागने के बाद से उसे तेज बुखार हो गया था। अपने बेटे को देखकर ही गजेंद्र सिंह ने अपनी जगह से खड़े होने की कोशिश करते हुए कहा।
" नालायक कहीं का, मेरी तबीयत यहां इतनी खराबी और तू बाहर गुलछर्रे उड़ा रहा है। मेरी नहीं तो कम से कम तेरी मां के ही फिक्र कर लेता पता ही कब से परेशान है वह।"
दिलावर ने अपने पिता के बाजू में बैठते हुए कहा।
" पहले ही तबीयत इतनी खराब हो गई है ज्यादा दिमाग खराब करोगे ना तो हार्ट अटैक आ जाएगा। आपके लिए ही गया था। मैं अपने दोस्त के पास गया था यह जानने के लिए कि आपने जो देखा वह क्या था। पहले मुझे बताओ कि आपने क्या देखा था अपने किसको देखा था अपने सामने? क्या वह अवनी का पति नागेंद्र था?"
दिलावर सिंह को पूरा विश्वास था कि नागेंद्र ही भैंस बदलकर वहां गया था और उसने गजेंद्र सिंह को डराया होगा। क्योंकि उसने खुद नागेंद्र की आंखों का रंग पीला देखा था। लेकिन उसकी उम्मीद से उल्टा गजेंद्र सिंह ने कहा।
" अरे नहीं वह डरपोक क्या मुझे डराएगा। मैं उसके घर पर जाकर उसे डरा कराया उसने कुछ नहीं कहा तो वह के जादू से ड्राइवर में बदल जाएगा? ड्राइवर ने कहा कि वह वहां था ही नहीं इसका मतलब की कोई भूत होगा वह। तेरी मां तो तांत्रिक को बुलाने गई है। लगता है कोई भूतिया पिशाच ने मुझे पकड़ लिया है और अब वह मुझे मार कर ही दम लेगा।"
गजेंद्र सिंह को लग रहा था कि उसके पीछे कोई भूत पड़ा है लेकिन दिलावर से को पूरा विश्वास था कि इन सब के पीछे नागेंद्र है। परेशानी सिर्फ इतनी थी कि वह यह नहीं जानता था कि नागेंद्र यह सब कुछ कर कैसे रहा है। क्या अपनी बात को जानने के लिए वह काला कोबरा को सब कुछ बता देगा? क्या अवनी नागेंद्र के लिए कुछ कर पाएगी? उसे बच्चे का क्या होगा जिनको सांप ने काटा था और काला कोबरा सुषुप्तम् पेड़ के बारे में कैसे जानता है?