Arun's Story (Theft) in Hindi Moral Stories by Katha kunal books and stories PDF | अरुण की कहानी ( चोरी )

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अरुण की कहानी ( चोरी )



यह कहानी है एक युवक की, जिसका नाम था अरुण। अरुण एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता था। अभी कुछ दिन पहले ही उसने अपना उन्नीसवां जन्मदिन मनाया था, लेकिन उसी समय उसकी ज़िन्दगी ने एक दर्दनाक मोड़ ले लिया। अरुण के पिता का अचानक निधन हो गया।

अरुण की मां तो उसे बचपन में ही अलविदा कह चुकी थीं। अब अरुण इस दुनिया में अकेला रह गया था — उसका न कोई रिश्तेदार था, न कोई सहारा। वह बिलकुल अनाथ हो चुका था। उसके लिए यह समझना मुश्किल हो गया कि अब वह क्या करे और कैसे जिये।

समझदारी और मजबूरी में उसने यह सोचा कि सबसे पहले रोज़गार ढूंढा जाए, ताकि दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो सके। कुछ दिन इधर-उधर भटकने के बाद अरुण को एक मिठाई की दुकान पर काम मिल गया। वह वहां सफाई और छोटे-मोटे काम करता था। बदले में उसे थोड़े बहुत पैसे मिलते थे, जिससे वह अपना पेट पालने लगा और थोड़ा-बहुत बचत भी करने लगा — ताकि भविष्य में किसी ज़रूरत के वक्त काम आ सके।

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। कुछ ही महीनों बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया और हालात इतने बिगड़ गए कि पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। दुकानें, बाजार और यहां तक कि घरों से बाहर निकलना भी मना हो गया। अरुण की नौकरी छिन गई और अब उसके पास न तो रोज़गार था और न ही बचत इतनी थी कि लंबे समय तक उसका गुज़ारा हो सके।

हर दिन भूख और तंगी से जूझते हुए अरुण की मजबूरी ने उसे अंधेरे रास्ते पर धकेल दिया। उसने रात के अंधेरे में, जब पूरे शहर में ब्लैकआउट होता था, चोरी करना शुरू कर दिया। वह एक-एक कर घरों में घुसकर पैसे, गहने और कीमती सामान चुराने लगा।

कुछ ही हफ्तों में, अरुण उस इलाके का सबसे धनी व्यक्ति बन गया — लेकिन यह दौलत कुछ ही दिनों की थी। धीरे-धीरे लोगों को संदेह होने लगा और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी। चोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही थीं, लेकिन किसी को यह यकीन नहीं था कि ये सब कारनामे एक साधारण लड़का अरुण कर रहा है।

आखिरकार एक रात, पुलिस ने अरुण को रंगे हाथों पकड़ लिया। पहले तो उसने बहुत डर महसूस किया, लेकिन जब पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की, तो उसने सारी सच्चाई उगल दी। उसने बताया कि वह ये सब अपनी मजबूरी में कर रहा था — भूख, बेरोज़गारी और अकेलेपन ने उसे इस रास्ते पर चलने को मजबूर कर दिया।

पुलिस को पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने अरुण की पृष्ठभूमि और हालात की पूरी जानकारी ली, तो उन्हें भी उसकी मजबूरी का एहसास हुआ। पुलिस ने उसकी ईमानदारी और पछतावे को देखकर उसे माफ कर दिया। उन्होंने उसका चुराया हुआ सारा सामान ज़ब्त किया, लेकिन उसे जेल में बंद नहीं किया।

बल्कि, इंसानियत दिखाते हुए पुलिस ने अरुण से वादा किया कि वे उसे एक अच्छी नौकरी दिलवाएंगे — ताकि वह ईमानदारी की ज़िन्दगी जी सके और फिर कभी किसी गलत राह पर न जाए। अरुण ने भी वादा किया कि वह अब हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलेगा और मेहनत करके ही कमाएगा।


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इस तरह, यह कहानी न सिर्फ एक चोर की है, बल्कि एक मजबूर इंसान की भी है, जिसे हालात ने गलत रास्ते पर डाला, लेकिन वक्त रहते वह सुधर गया। यह कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी इंसान बुरा नहीं होता — हालात ही उसे मजबूर करते हैं। अगर हम वक्त रहते किसी की मदद करें, तो शायद वो भी दोबारा गलत राह पर न जाए।