प्यार का ऐसा इम्तिहान, जहाँ हार में भी जीत छुपी है.
भाग 1
"यह पुस्तक पूरी तरह से काल्पनिक है। इस पुस्तक में सभी नाम, पात्र, व्यवसाय, स्थान, घटनाएँ और घटनाएं या तो लेखक की कल्पना की उपज हैं या काल्पनिक तरीके से इस्तेमाल की गई हैं। किसी भी वास्तविक व्यक्ति, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई भी समानता पूरी तरह से संयोग है।"
लेखक. केतन ज मेहता
विशेष आभार. श्री. प्रमोद मंडलकार
अध्याय 1: बचपन की गलियाँ
अनीता, सुनीता, रोमा, करण और सागर – ये पाँच नाम एक-दूसरे से ऐसे जुड़े थे जैसे किसी पुराने पेड़ की जड़ें मिट्टी में फैली हों। उन्होंने अपनी बचपन की शरारतें, स्कूल के पहले दिन की झिझक और कॉलेज की रंगीन यादें एक साथ साँझी की थीं। वे एक ही मोहल्ले में रहते थे, एक ही स्कूल और कॉलेज में पढ़े थे, और उनके दिलों में एक अटूट दोस्ती का बंधन था।
सुनीता, उनमें सबसे शांत और गंभीर, हमेशा से ही बच्चों को पढ़ाना चाहती थी। उसकी यह इच्छा जल्द ही पूरी हुई जब उसे एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका की नौकरी मिल गई। उसकी आँखों में ज्ञान की चमक थी और वह अपने छात्रों के भविष्य को संवारने के लिए उत्सुक रहती थी।
अनीता और रोमा, दोनों ही महत्वाकांक्षी और जीवंत थीं। उन्होंने भी कड़ी मेहनत की और उन्हें भी सरकारी नौकरी मिल गई, हालाँकि उनके विभाग अलग-अलग थे। अनीता ने वाणिज्य विभाग में अपनी जगह बनाई, जबकि रोमा ने राजस्व विभाग में काम करना शुरू कर दिया।
करण और सागर, दोनों ही उत्साही और मिलनसार थे। उन्होंने भी सरकारी सेवाओं में प्रवेश किया, लेकिन उनकी राहें भी अलग-अलग थीं। करण ने पुलिस विभाग में अपनी वर्दी पहनी, जबकि सागर ने वन विभाग में प्रकृति के करीब अपनी पहचान बनाई।
लेकिन इन पाँचों के बीच, एक अनकही कहानी पल रही थी। अनीता, सुनीता और रोमा, तीनों ही अपने बचपन के दोस्त करण के लिए अपने दिल में एक खास जगह रखती थीं। करण, अपनी आकर्षक ব্যক্তিত্ব और मिलनसार स्वभाव के कारण हमेशा से ही लड़कियों के बीच लोकप्रिय रहा था।
हालाँकि, करण का दिल किसी और पर आ गया था – शांता, जो उनके कॉलेज में पढ़ती थी। करण शांता के रूप और स्वभाव पर मोहित था, लेकिन उसकी यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई। शांता ने किसी और से शादी कर ली, और करण का दिल टूट गया।
सुनीता, जो हमेशा से ही करण की अच्छी दोस्त रही थी, उसके दर्द को महसूस कर सकती थी। उसने कई बार कोशिश की कि करण अपने गम से बाहर निकले और ज़िंदगी में आगे बढ़े। वह चाहती थी कि करण उसे उस नज़र से देखे जिस नज़र से वह उसे देखती थी, लेकिन करण का ध्यान उस पर कभी गया ही नहीं।
अध्याय 2: कश्मीर की वादियाँ
रोज़मर्रा की भाग-दौड़ और ज़िम्मेदारियों से थोड़ा ब्रेक लेने के लिए, पाँचों दोस्तों ने कश्मीर में एक पिकनिक की योजना बनाई। बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी वादियाँ और शांत झीलें – कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता उनके मन को शांति और सुकून देने वाली थी।
उन्होंने श्रीनगर में कुछ दिन बिताए, डल झील में शिकारे की सवारी का आनंद लिया और मुगल गार्डन की सुंदरता में खो गए। फिर वे पहलगाम और गुलमर्ग की ओर रवाना हुए, जहाँ उन्होंने ट्रेकिंग और स्कीइंग का मजा लिया।
उनकी यह यात्रा हँसी-मजाक और पुरानी यादों से भरी हुई थी। अनीता और रोमा अक्सर करण के आसपास रहने की कोशिश करती थीं, अपनी भावनाओं को इशारों और बातों में ज़ाहिर करती थीं। सुनीता, अपनी शालीनता और समझदारी से, उनके बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करती थी। सागर, हमेशा की तरह, अपने मजाकिया अंदाज से माहौल को हल्का-फुल्का बनाए रखता था।
लेकिन उनकी यह खुशनुमा यात्रा अचानक एक भयानक मोड़ ले गई। एक दिन, जब वे एक दूरदराज के इलाके में घूम रहे थे, कुछ हथियारबंद लोगों ने उन्हें घेर लिया। वे आतंकवादी थे, और उन्होंने पाँचों दोस्तों को बंधक बना लिया।
अध्याय 3: कैद और एहसास
आतंकवादियों के कैंप में, ज़िंदगी डर और अनिश्चितता से भरी हुई थी। उन्हें एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया था, जहाँ हर पल मौत का साया मंडरा रहा था। इस मुश्किल घड़ी में, पाँचों दोस्त एक-दूसरे का सहारा बने रहे।
इस भयानक अनुभव के दौरान, अनीता, सुनीता और रोमा के दिल में करण के लिए जो प्यार छुपा हुआ था, वह और भी गहरा हो गया। उन्होंने करण की हिम्मत और हौसले को करीब से देखा। करण ने मुश्किलों का सामना डटकर किया और अपने दोस्तों को ढाढ़स बंधाया।
एक रात, जब सभी डरे और सहमे हुए थे, रोमा ने धीरे से करण का हाथ पकड़ा। उसकी आँखों में आँसू थे और उसने धीमी आवाज़ में कहा, "करण, मुझे डर लग रहा है।"
करण ने उसका हाथ थपथपाया और कहा, "रोमा, डरो मत। हम सब साथ हैं। हम यहाँ से ज़रूर निकलेंगे।"
अगले दिन, अनीता ने करण से कहा, "करण, मुझे हमेशा से... तुम्हारी परवाह रही है।" उसके चेहरे पर शर्म और घबराहट के भाव थे।
सुनीता, जो हमेशा अपनी भावनाओं को छिपाकर रखती थी, भी इस मुश्किल वक़्त में खुद को रोक नहीं पाई। उसने करण की आँखों में देखा और कहा, "करण, तुम एक बहुत अच्छे इंसान हो।"
इन मुश्किल पलों में, करण को भी एहसास हुआ कि ये तीनों लड़कियाँ उसे कितना चाहती हैं। उन्होंने हमेशा उसकी परवाह की थी, उसकी मुश्किलों में उसका साथ दिया था। लेकिन शांता के प्यार में अंधा होने के कारण, वह कभी उनकी भावनाओं को समझ नहीं पाया था।
खासकर सुनीता का शांत और समर्पित स्वभाव अब उसे गहराई से छू रहा था। सुनीता ने कभी खुलकर अपने प्यार का इज़हार नहीं किया था, लेकिन उसकी आँखों में हमेशा करण के लिए एक गहरी ममता और चिंता झलकती थी।
अध्याय 4: वापसी और उथल-पुथल
किसी तरह, कुछ दिनों बाद, सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के कैंप पर छापा मारा और पाँचों दोस्तों को छुड़ा लिया गया। वे शारीरिक रूप से तो सुरक्षित थे, लेकिन इस भयानक अनुभव का उनके मन पर गहरा असर पड़ा था।
जब वे वापस अपने शहर पहुँचे, तो माहौल बदला हुआ था। उनके परिवार और दोस्तों ने उन्हें पाकर राहत की साँस ली थी, लेकिन उनके अपने दिलों में एक अजीब सी उथल-पुथल मची हुई थी।
सुनीता, जो हमेशा से ही शांत और संयमित रहती थी, गहरे अवसाद में चली गई। करण के लिए उसकी एकतरफा मोहब्बत और कश्मीर की घटना का सदमा उसके लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। एक दिन, उसने आत्महत्या करने की कोशिश की।
अनीता और रोमा को जब इस बारे में पता चला, तो वे बुरी तरह डर गईं। उन्होंने तुरंत सुनीता को अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने उसकी जान बचाई। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया।
उसी दौरान, करण की शादी की बात चल रही थी। शांता, जिसने पहले उससे शादी करने से इनकार कर दिया था, अब वापस उसकी ज़िंदगी में आ गई थी और दोनों के परिवार उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे।
लेकिन जब शांता को सुनीता की आत्महत्या की कोशिश के बारे में पता चला, तो उसका मन बदल गया। वह सुनीता की तकलीफ को समझ सकती थी और उसे यह भी एहसास हो गया था कि करण के जीवन में सुनीता का कितना महत्व है।
शांता ने करण से मिलकर अपनी शादी तोड़ दी और उससे कहा कि वह सुनीता से शादी करे। शांता का यह फैसला सभी के लिए चौंकाने वाला था।
अध्याय 5: नया मोड़ और अनकही मंज़िल
शांता के इनकार के बाद, करण पूरी तरह से टूट गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी ज़िंदगी में क्या हो रहा है। एक तरफ, सुनीता की नाजुक हालत थी, और दूसरी तरफ, शांता का अप्रत्याशित फैसला।
अनीता और रोमा ने करण को समझाया और उसे सुनीता का ध्यान रखने के लिए कहा। उन्होंने उसे बताया कि सुनीता ने हमेशा उसे चाहा है और इस मुश्किल वक़्त में उसे उसके साथ रहने की ज़रूरत है।
धीरे-धीरे, करण को भी एहसास होने लगा कि सुनीता उसके लिए कितनी खास है। उसकी शांत और समर्पित मोहब्बत ने उसके दिल को छू लिया था। उसने अस्पताल में सुनीता का खूब ख्याल रखा और उसके ठीक होने का इंतजार किया।
जब सुनीता खतरे से बाहर आई, तो करण ने उससे अपने दिल की बात कही। उसने बताया कि कश्मीर की घटना और शांता के इनकार के बाद उसे एहसास हुआ कि वह हमेशा से सुनीता के प्यार का हकदार रहा है। सुनीता की आँखों में खुशी के आँसू थे, और उसने करण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
अनीता और रोमा भी इस फैसले से खुश थीं। उन्होंने महसूस किया कि करण और सुनीता एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।
लेकिन कहानी में एक और मोड़ आना बाकी था। करण को संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अच्छी नौकरी का प्रस्ताव मिला। यह उसके करियर के लिए एक बड़ा अवसर था, लेकिन इसका मतलब था कि उसे सुनीता और अपने दोस्तों से दूर जाना होगा।
करण ने सुनीता से इस बारे में बात की। सुनीता ने उसे समझाया कि उसे अपने सपने को पूरा करना चाहिए। उन्होंने फैसला किया कि वे शादी करेंगे और फिर करण अमेरिका चला जाएगा, और सुनीता बाद में उसके पास आ जाएगी।
विदाई का दिन आ गया। हवाई अड्डे पर सभी दोस्त और परिवार वाले इकट्ठा हुए थे। माहौल भावुक था। अनीता और रोमा ने सुनीता को गले लगाया और उसे हिम्मत दी। सागर ने करण के कंधे पर हाथ रखकर उसे शुभकामनाएं दीं।
जब करण इमिग्रेशन काउंटर की ओर बढ़ रहा था, सुनीता ने उसे आवाज़ दी। "करण!"
करण मुड़ा और देखा कि सुनीता की आँखों में आँसू हैं, लेकिन उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान है।
तभी, एक महिला भीड़ से निकलकर करण के पास आई और उसका हाथ पकड़ लिया। यह...
अध्याय 6: हवाई अड्डे का रहस्य
जब सुनीता ने करण को आवाज़ दी, तो एक पल के लिए सब शांत हो गया। भीड़ में से निकलकर जो महिला करण के पास आई और उसका हाथ पकड़ा, वह कोई और नहीं बल्कि अनीता थी।
सुनीता और बाकी सब लोग हैरान रह गए। किसी को उम्मीद नहीं थी कि अनीता इस तरह से सामने आएगी। अनीता की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसके चेहरे पर एक दृढ़ निश्चय का भाव था।
उसने करण का हाथ कसकर पकड़ा और सुनीता की ओर देखकर कहा, "सुनीता, मुझे माफ़ कर दो। मैंने हमेशा से करण को चाहा है, लेकिन कभी हिम्मत नहीं कर पाई। कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसने मुझे एहसास दिलाया कि मैं अब अपनी भावनाओं को और नहीं छुपा सकती।"
सुनीता सन्न रह गई। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी सबसे अच्छी दोस्त ने उसके साथ ऐसा किया। रोमा भी हैरान थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया दे। सागर चुपचाप सब देख रहा था, उसके चेहरे पर कई तरह के भाव आ-जा रहे थे।
करण भी पूरी तरह से अचंभित था। उसे कभी इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि अनीता के दिल में उसके लिए ऐसी भावनाएँ हैं। शांता के इनकार और सुनीता के साथ अपने रिश्ते की शुरुआत के बीच, अनीता का यह खुलासा उसके लिए एक और बड़ा झटका था।
अनीता ने आगे कहा, "करण, मैं जानती हूँ कि यह सब बहुत अचानक है। लेकिन मैं तुम्हें खोने के डर से अब और जी नहीं सकती। अगर तुम अमेरिका जा रहे हो, तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगी।"
अध्याय 7: त्रिकोणीय प्रेम
हवाई अड्डे पर बने इस अप्रत्याशित दृश्य ने सभी को हिलाकर रख दिया था। सुनीता के चेहरे पर दुख और निराशा के भाव थे। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अनीता, जो हमेशा उसकी सबसे करीबी दोस्त रही है, उसके प्यार को इस तरह से छीन लेगी।
रोमा ने अनीता की ओर गुस्से से देखा और कहा, "अनीता, यह तुम क्या कर रही हो? तुम जानती हो कि सुनीता और करण एक-दूसरे से प्यार करते हैं।"
अनीता की आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा, "मैं जानती हूँ, रोमा। लेकिन मैं अपने दिल की आवाज़ को कैसे अनसुना कर सकती हूँ? मैंने हमेशा करण को चाहा है, और जब मुझे लगा कि मैं उसे खो दूँगी, तो मैं चुप नहीं रह सकी।"
करण पूरी तरह से दुविधा में फँस गया था। एक तरफ सुनीता थी, जिसके साथ उसने एक नया रिश्ता शुरू किया था और जिसके प्यार ने उसे मुश्किल वक़्त में सहारा दिया था। दूसरी तरफ अनीता थी, उसकी बचपन की दोस्त, जिसने अचानक अपने प्यार का इज़हार करके उसे चौंका दिया था।
उसने अनीता का हाथ पकड़ा और कहा, "अनीता, मुझे नहीं पता कि मैं क्या कहूँ। मुझे कभी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि तुम..."
अनीता ने उसकी बात काटकर कहा, "कोई बात नहीं, करण। मैं जानती हूँ कि यह तुम्हारे लिए मुश्किल है। लेकिन मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ कि तुम जानो कि मैं तुमसे कितना प्यार करती हूँ।"
सुनीता ने गहरी साँस ली और कहा, "करण, तुम्हें फैसला करना होगा। तुम्हें तय करना होगा कि तुम्हारे दिल में किसके लिए जगह है।" उसकी आवाज़ में दर्द और निराशा साफ झलक रही थी।
अध्याय 8: फैसला और विदाई
हवाई अड्डे पर कुछ देर तक तनावपूर्ण silence बना रहा। सभी की निगाहें करण पर टिकी थीं, यह जानने के लिए कि वह क्या फैसला लेता है।
करण ने धीरे से अनीता का हाथ छोड़ा और सुनीता की ओर मुड़ा। उसकी आँखों में प्यार और कृतज्ञता के भाव थे।
"सुनीता," उसने कहा, "तुम हमेशा मेरे साथ रही हो, हर मुश्किल में मेरा साथ दिया है। तुम्हारे प्यार ने मुझे उस वक़्त सहारा दिया जब मैं पूरी तरह से टूट चुका था। मैं तुम्हें कभी नहीं खोना चाहता।"
अनीता की आँखों से आँसू बहने लगे। उसे एहसास हो गया था कि उसने शायद बहुत देर कर दी थी।
करण ने आगे कहा, "अनीता, तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो, और मैं हमेशा तुम्हारी परवाह करूँगा। लेकिन मेरा दिल अब सुनीता के साथ है।"
सुनीता की आँखों में उम्मीद की किरण दिखाई दी। रोमा ने सुनीता को गले लगाया और उसे ढाढ़स बंधाया। सागर ने अनीता के कंधे पर हाथ रखा, उसकी उदासी को महसूस करते हुए।
करण ने अनीता से माफ़ी माँगी और फिर सुनीता का हाथ पकड़कर उसे गले लगा लिया। हवाई अड्डे पर मौजूद लोगों ने इस भावुक दृश्य को चुपचाप देखा।
आखिरकार, करण ने अमेरिका के लिए उड़ान भरी, सुनीता के वादे के साथ कि वह जल्द ही उसके पास आएगी। अनीता और रोमा ने नम आँखों से उसे विदा किया। सागर ने उन्हें सांत्वना दी और कहा कि ज़िंदगी में हमेशा नए मोड़ आते रहते हैं।
अध्याय 9: नई शुरुआत
करण के जाने के बाद, सुनीता और अनीता के बीच का रिश्ता तनावपूर्ण हो गया। सुनीता को अनीता के धोखे से गहरा दुख पहुँचा था, और उसे अनीता को माफ़ करना मुश्किल हो रहा था। रोमा ने दोनों के बीच सुलह कराने की बहुत कोशिश की, लेकिन शुरुआत में उसे सफलता नहीं मिली।
अनीता खुद भी अपने किए पर पछता रही थी। उसने अपनी दोस्ती को खतरे में डाल दिया था और करण को भी मुश्किल में डाल दिया था। वह सुनीता से माफ़ी माँगना चाहती थी, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे करे।
धीरे-धीरे, समय के साथ, सुनीता का गुस्सा थोड़ा कम हुआ। उसने महसूस किया कि अनीता ने जो कुछ भी किया, वह प्यार में desperation के कारण किया था। रोमा की लगातार कोशिशों और अनीता के सच्चे पश्चाताप को देखकर, सुनीता ने आखिरकार अनीता को माफ़ कर दिया।
उनकी दोस्ती फिर से पटरी पर लौट आई, हालाँकि पहले जैसी गहराई नहीं रही। उन्होंने एक-दूसरे को सहारा दिया और अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया।
करण अमेरिका में अपनी नई नौकरी में व्यस्त हो गया। वह सुनीता से रोज़ बात करता था और दोनों जल्द ही शादी करने और एक साथ रहने के सपने देखते थे।
इस बीच, रोमा ने अपने करियर में नई ऊँचाइयाँ हासिल कीं। सागर ने वन विभाग में अपना काम जारी रखा और प्रकृति के संरक्षण के लिए समर्पित रहा।
ज़िंदगी अपने रास्ते पर चलती रही, लेकिन कश्मीर में हुई घटना और हवाई अड्डे पर हुए खुलासे ने इन पाँचों दोस्तों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया था। उन्होंने प्यार, दोस्ती, धोखा और माफ़ी के कई रंग देखे थे, और इन अनुभवों ने उन्हें और भी मजबूत बना दिया था।
********