Bandhan Dilo ke - 3 - Last part in Hindi Love Stories by Ketan J Mehta books and stories PDF | बंधन दिलों के - भाग 3 (अंतिम भाग)

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बंधन दिलों के - भाग 3 (अंतिम भाग)

भाग 3

(अंतिम भाग)

अध्याय 19: आमने-सामने

करण ने सबसे पहले सुनीता से बात की। उसने सुनीता को बताया कि वह उसके शांत और स्थिर प्यार की कितनी कद्र करता है और कैसे उसने मुश्किल वक़्त में उसे सहारा दिया था। सुनीता ने करण की बातें ध्यान से सुनीं और कहा कि वह हमेशा उसका साथ देगी, चाहे उसका फैसला कुछ भी हो।

फिर करण ने रोमा से बात की। रोमा ने अपने उत्साही और निडर स्वभाव के बारे में बताया और कहा कि करण के बिना उसकी ज़िंदगी बेरंग है। उसने करण से कहा कि वह उसे बहुत प्यार करती है और उसके साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बिताना चाहती है।

अंत में, करण ने अनीता से बात की। अनीता ने अपनी बचपन की दोस्ती और करण के लिए अपनी गहरी चाहत का इज़हार किया। उसने कहा कि वह हमेशा करण की अच्छी दोस्त रहेगी, लेकिन अगर करण उसे अपना जीवनसाथी चुनता है तो वह बहुत खुश होगी।

तीनों लड़कियों से बात करने के बाद, करण और भी ज़्यादा उलझन में पड़ गया। तीनों ही उसे बहुत प्यार करती थीं और तीनों ही उसकी ज़िंदगी में एक खास जगह रखती थीं। अब उसे यह तय करना था कि उसका दिल किसके लिए धड़कता है।

 

अध्याय 20: सागर की फटकार

तीनों लड़कियों के साथ शादी के सागर के मज़ाक को सुनकर करण का गुस्सा फूट पड़ा। उसने सागर को खूब कोसा और डाँटा। "तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है? यह कोई हँसी-मज़ाक की बात है? तीन-तीन शादियाँ! क्या सोचकर तुमने यह बेवकूफी भरी सलाह दी?" करण गुस्से से लाल हो रहा था।

सागर ने अपनी गलती महसूस की और शर्मिंदा होकर बोला, "माफ़ कर दे यार। मैंने तो बस ऐसे ही मज़ाक में कह दिया था। मुझे नहीं पता था कि बात इतनी सीरियस हो जाएगी।"

करण का गुस्सा शांत नहीं हुआ। "सीरियस? यह मेरी ज़िंदगी का सवाल है! और तुम मज़ाक कर रहे हो?"

 

अध्याय 21: कानूनी सलाह

अपनी उलझन का कोई हल न निकलता देख, सागर ने करण को कानूनी सलाह लेने के लिए एक वकील के पास ले जाने का फैसला किया। वकील ने करण की पूरी कहानी सुनी और फिर उसे कुछ विकल्प बताए।

"देखिए, भारतीय कानून के अनुसार तो आप एक समय में एक ही शादी कर सकते हैं," वकील ने स्पष्ट किया। "अगर आप तीनों से शादी करना चाहते हैं, तो आपको या तो अपना धर्म बदलना होगा, या फिर किसी एक लड़की को चुनना होगा। एक तीसरा विकल्प यह है कि आप किसी ऐसे देश में जाकर शादी करें जहाँ बहुविवाह कानूनी हो, लेकिन फिर यहाँ कानूनी मान्यता की समस्या आ सकती है।"

वकील की सलाह सुनकर करण और भी ज़्यादा परेशान हो गया। धर्म बदलना उसके लिए कोई विकल्प नहीं था, और किसी एक को चुनना उसके लिए नामुमकिन लग रहा था। विदेश जाकर शादी करने का विचार भी उसे व्यावहारिक नहीं लगा।

उसकी उलझन का जवाब अभी भी नहीं मिला था।

 

अध्याय 22: एक साल का मौन

अपनी दुविधा का कोई समाधान न देख, करण ने एक बड़ा फैसला लिया। उसने तय किया कि वह वापस यूएसए जाएगा और एक साल तक किसी से कोई बात नहीं करेगा। उसे लगा कि शायद दूरी और समय उसे यह समझने में मदद करेंगे कि उसके दिल में वास्तव में किसके लिए जगह है।

उसने सुनीता, रोमा और अनीता को अपने इस फैसले के बारे में बताया। तीनों लड़कियाँ यह सुनकर बहुत दुखी हुईं। उन्हें लगा कि करण उनसे दूर भाग रहा है। उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन करण अपने फैसले पर अटल था।

उसने तीनों से वादा किया कि एक साल बाद वह वापस आएगा और तब वह अपने दिल की बात स्पष्ट रूप से बताएगा। उसने कहा कि इस एक साल में वे सभी अपनी ज़िंदगी जिएं और सोचें कि वे वास्तव में क्या चाहती हैं।

भारी मन से, करण फिर से यूएसए के लिए रवाना हो गया। मुंबई में सुनीता, रोमा और अनीता अकेली रह गईं, अनिश्चित भविष्य और करण के फैसले का इंतजार करती हुईं। सागर भी अपने दोस्त के इस अजीबोगरीब फैसले से हैरान था, लेकिन उसने करण की भावनाओं का सम्मान किया।

एक साल का लंबा इंतजार शुरू हो गया था। इस दौरान, तीनों लड़कियों ने अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन उनके दिलों में हमेशा करण का ख्याल बना रहा। वे सोचती रहीं कि एक साल बाद क्या होगा और करण किसका हाथ थामेगा।

 

अध्याय 23: एक साल का अंतराल - निगरानी और बदलाव

एक साल के दौरान, करण शारीरिक रूप से भले ही यूएसए में था, लेकिन उसका मन मुंबई में ही अटका हुआ था। उसने तीनों लड़कियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नज़र रखी हुई थी, यह जानने की कोशिश कर रहा था कि उनकी ज़िंदगी में क्या चल रहा है। इसके अलावा, वह अपनी माँ और सागर के संपर्क में भी था, उनसे तीनों के बारे में खबरें लेता रहता था।

सुनीता इस एक साल के अंतराल में अपनी ही मस्ती में जी रही थी। वह खूब फिल्में देखती, आए दिन घूमने जाती और अपनी ज़िंदगी को बेफिक्री से जी रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे करण के जाने के बाद उसने खुद को आज़ाद महसूस किया हो और अब वह अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीना चाहती थी।

वहीं दूसरी ओर, अनीता का स्वभाव बिल्कुल बदल गया था। वह चिड़चिड़ी और लड़ाकू हो गई थी। छोटी-छोटी बातों पर भी वह लोगों से झगड़ पड़ती थी। उसके साथी कर्मचारी उसके अजीब व्यवहार से परेशान थे। कभी-कभी तो वह सबके सामने सुनीता और रोमा को अपनी सौतन तक कह देती थी, जिससे माहौल और भी तनावपूर्ण हो जाता था।

रोमा के व्यवहार में ज़्यादा बदलाव नहीं आया था। वह शांत और गंभीर बनी रही और बस करण के वापस आने का इंतजार कर रही थी। वह सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से करण से संपर्क करने की कोशिश करती रहती थी, लेकिन करण ने कभी पलटकर उसका जवाब नहीं दिया। करण का यह मौन रोमा को अंदर ही अंदर और भी ज़्यादा बेचैन कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि करण क्या सोच रहा है और उसका इरादा क्या है।

 

अध्याय 24: वापसी की आहट

एक साल पूरा होने के करीब आ रहा था। सुनीता अपनी आज़ाद ज़िंदगी का आनंद ले रही थी, लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में भी करण के लौटने का इंतजार था। अनीता का व्यवहार अभी भी अजीब था, लेकिन उसकी बेचैनी साफ़ झलक रही थी। रोमा का धैर्य अब जवाब देने लगा था, और वह करण के चुप्पी को लेकर अंदर से परेशान थी।

करण ने अपनी माँ और सागर को अपनी वापसी की तारीख बता दी थी। उसकी माँ थोड़ी चिंतित थी कि एक साल बाद क्या होगा, लेकिन वह अपने बेटे के फैसले का सम्मान करने के लिए तैयार थी। सागर भी उत्सुक था कि करण इस बार क्या गुल खिलाएगा।

हवाई अड्डे पर इस बार सिर्फ करण की माँ और सागर ही उसका स्वागत करने पहुँचे थे। सुनीता, रोमा और अनीता घर पर ही उसका इंतजार कर रही थीं। करण जानता था कि अब उसे अपने दिल की बात कहनी होगी और इस उलझे हुए रिश्ते को एक मुकाम पर पहुँचाना होगा।

घर पहुँचकर, करण ने तीनों लड़कियों को एक साथ बुलाया। माहौल में एक अजीब सी खामोशी और तनाव था। तीनों लड़कियाँ करण की आँखों में देख रही थीं, यह जानने के लिए कि एक साल के मौन के बाद वह क्या कहने वाला है।

 

अध्याय 25: अंतिम तारीख

करण ने तीनों लड़कियों को एक तारीख दी - 8 मई, 2026। उसने कहा कि इस तारीख को तीनों दुल्हन की तरह सज-धजकर तैयार रहें। उसने यह भी स्पष्ट किया कि वह शादी तो सिर्फ एक से ही करेगा और 8 मई को उसका फैसला अंतिम होगा।

इस घोषणा के बाद तीनों लड़कियों के दिलों की धड़कनें तेज़ हो गईं। एक साल का लंबा इंतजार अब खत्म होने वाला था, लेकिन साथ ही यह डर भी था कि करण किसे चुनेगा और किसका दिल टूटेगा।

 

 

अध्याय 26: मंदिर में मिलन

8 मई को, करण और उसका पूरा परिवार मंदिर में शादी के लिए तैयार था। साथ ही, तीनों लड़कियों के माता-पिता, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार भी वहीं मौजूद थे। माहौल में उत्सुकता और तनाव का मिश्रण था। सागर भी खुश था कि आखिरकार आज करण कोई तो फैसला लेगा और यह उलझन खत्म होगी।

तीनों लड़कियाँ दुल्हन बनकर तैयार थीं। लाल जोड़े में सजीं, माथे पर बिंदिया और हाथों में मेहंदी रचाए, वे किसी परी से कम नहीं लग रही थीं। उनकी सुंदरता और बेसब्री देखने लायक थी।

जैसे ही तीनों मंडप के करीब आईं, करण ने सबसे पहले उन्हें रोका। उसने गंभीर स्वर में कहा, "यहाँ सिर्फ वही आगे बढ़ेगी जो मेरी दुल्हन बनेगी।"

उसकी इस बात से तीनों लड़कियाँ और उनके परिवार वाले हैरान रह गए। यह करण का कैसा फैसला था? वह इस तरह से किसका चुनाव करने वाला था?

 

 

अध्याय 27 करण का फैसला

करण ने तीनों लड़कियों की ओर देखा, उनकी आँखों में झाँकते हुए उसने कहना शुरू किया, "हम तीनों ने साथ में बचपन से अब तक पूरा समय बिताया है। दोस्ती हम सबकी पक्की है। सागर की एक बेवकूफी भरी सलाह से आज हम चारों को यह दिन देखने पड़ रहे हैं।"

उसने अनीता की ओर मुड़कर कहा, "अनीता, बचपन से अब तक तुम कभी भी झगड़ालू या चिड़चिड़ी नहीं रही। मेरे एक साल के मौन ने तुम्हें इतना गुस्सैल और चिड़चिड़ा बना दिया। तुम एक साल भी अपने आपको काबू में नहीं रख सकीं, तो मेरी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव में साथ कैसे दोगी?"

अनीता उसे समझाने की कोशिश करती रही, लेकिन करण ने दृढ़ता से कहा, "अनीता, आज का दिन मेरा है और फैसला भी मेरा होगा। मैं सबके साथ पूरा इंसाफ करूँगा।"

करण ने अनीता को प्यार से समझाया और उससे शादी करने से इनकार कर दिया। अनीता रोते हुए मंडप के पास रखी कुर्सी पर बैठ गई।

अब करण ने सुनीता की ओर रुख किया। "सुनीता, जब तुमने एक बार शादी के लिए हाँ कहा, तो दोबारा भी कह सकती थी। पर तुमने यह सोचा कि करण ने पहले मुझसे शादी का फैसला किया था, इसलिए मुझे मना नहीं करेगा और बेफिक्र जीने लगी। कभी मेरी भी फिक्र कर लेती। मुझे मेरी ज़िंदगी बेफिक्र लड़की के साथ नहीं गुजारनी।"

सुनीता यह सब सुनकर करण के पैर पकड़ लेती है और उससे माफ़ी माँगने लगती है, लेकिन करण ने सागर को इशारा किया और सागर सुनीता को अनीता के पास बिठा देता है। सुनीता भी रोते हुए अपनी सहेली के कंधे पर सिर रख लेती है।

अंत में, करण ने रोमा की ओर देखा। उसकी आँखों में प्यार और कृतज्ञता के भाव थे। "रोमा," उसने कहा, "तुमने मुझसे बात करने की बहुत कोशिश की और साथ ही मेरी फिक्र भी बहुत की। तुम लगातार माँ और सागर से मेरे बारे में पूछती रही। सही मायने में, तुम ही वह हो जिसे मैंने चुना है।"

यह कहकर करण रोमा को शादी के मंडप पर ले गया और उससे शादी कर ली। मंदिर में मौजूद सभी लोग इस अप्रत्याशित फैसले से हैरान थे, लेकिन करण और रोमा के चेहरे पर खुशी और सुकून साफ झलक रहा था। अनीता और सुनीता के आँखों में आँसू थे, लेकिन उन्होंने करण के फैसले का सम्मान किया। सागर ने मुस्कुराकर करण को बधाई दी। इस तरह, एक अजीब प्रेम त्रिकोण का अंत करण और रोमा के मिलन के साथ हुआ।

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