चंद्रा को मिले वरदान की वजह से चंद्रा ने प्रतापगढ़ पर पूरा कब्जा कर लिया था और नौ राज्यों को अपने राज्य में मिलाकर वहां पर भी कब्जा कर लिया था....ना तो चंद्रा कभी बूढ़ी हुई और ना ही वह कभी मरी क्योंकि उसे अमृत्व का वरदान प्राप्त था और चंद्रा बूढ़ी नहीं हुई लेकिन जैसे लोग की उम्र बढ़ती है वह लोग बूढ़े होते जाते थे
और एक-एक करके मर जाते थे
और देखते ही देखते 800 साल बीत गए
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था चंद्रा की शक्ति बढ़ती जा रही थी और उसकी शक्तियां कम नहीं हो रही थी
चंद्रा में इतनी शक्तियां थी कि आसपास के जो साम्राज्य के राजा थे वह न चाहते हुए भी चंद्रा के साथ अपनी राजनीतिक और अच्छे संबंध बनाकर रखना पडते थे उनको
और इधर जब 800 साल पहले चंद्रा ने दक्ष को मारा था तो दक्ष मन में एक संसय रह गया था कि आखिर चंद्रा ने उसको क्यों मारा
दक्ष को कभी यह बात समझ नहीं आई और इसी बात का पता लगाने के लिए वह आत्मा के रूप में धरती पर ही भटकता रहा
और यही बात जानने के लिए अब 800 साल बाद वह पिंडारा की रानी भानुमति के बेटे दक्ष के शरीर में प्रवेश कर गया था
भानुमति यह नहीं जानती है कि उसके बेटे दक्ष की मृत्यु हो गई है और उसके बेटे के शरीर में किसी और की आत्मा प्रवेश कर चुकी है
जो अपने बेटे के भविष्य के बारे में कमरे में बैठकर सोच-सोच कर दुखी हो रही थी
भानुमति पिंडारी सिटी के नायक की आठवीं पत्नी थी
लेकिन भानुमति उसकी पत्नी नहीं बनना चाहती थी क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा था और उसके पास सात रानियां थी लेकिन भानुमति के पास उसके सिवा शादी करने के और कोई चारा नहीं था
और सेना नायक देवदत मलिक ने जैसे ही भानुमति से शादी की तो प्यार से उसकी कुछ दिनों तक देखभाल की और उसके बाद जैसे-जैसे दिन बीतते गए वह बदलता गया
इधर एक रानी आई और उसने सेना नायक और भानुमति के बीच में दूरियां पैदा कर दी थी और जैसे ही दक्ष का जन्म हुआ था उसके बाद तो स्थिति या बिल्कुल ही बदल गई थी
भानुमति इसी सोच में डूबी हुई थी तभी कमरे में नौकरानी आती है और वह भानुमति से पूछती है
"महारानी क्या कल दक्ष पवित्र ताबीज के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे???"
उस की बात सुनकर भानुमति धीरे से कहती है कि" पता नहीं लेकिन दक्ष अपनी जिद पर अड़ा बैठा है
की पवित्र ताबीज की प्रतिस्पर्धा में वह शामिल होगा"
"लेकिन महारानी जी दक्ष का स्वास्थ्य तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है दिन ब दिन उसका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है ऐसे समय में उस प्रतियोगिता में जाना दक्ष के लिए सही होगा?"
"मैं भी यही कह रही हूं पन्ना.... लेकिन दक्ष को कैसे समझाऊं यह बात.....वह तो जिद करके बैठा है
वह मेरी एक बात सुनी नहीं रहा कल क्या होगा मैं बिल्कुल भी नहीं जानती "
भानुमति दुखी होते हुए कहती है
तभी जिस कमरे में दक्ष से सोया हुआ था वहां से कुछ गिरने की आवाज सुनाई देती है
तभी यह सब भानुमति और पन्ना उस आवाज की तरफ भागते हैं
जैसे ही वह दोनों कमरे के अंदर गई तो वह देखती हैं कि तक नींद में ही अपने हाथ पैरों को पटकने लग रहा है इधर-उधर करने लग रहा है
और बार-बार वह किसी का नाम पुकार रहा है
"चंद्रा चंद्रा
........."
भानुमति ने जैसे ही दक्ष के मुंह से चंद्रा का नाम सुना तो भानुमति के तो होश उड़ गए
क्योंकि इस नाम को कोई भी अपनी जुबान पर लेकर नहीं आता था
चंद्रा के नाम को जुबान पर लेकर आना मतलब मौत को दावत देना
यह चंद्रा का नाम सुनकर पन्ना और भानुमति घबरा जाती हैं और तभी भानुमति पन्ना की तरफ देखती है तो पन्ना कहती है कि" आप कहे तो वैद जी को जाकर बुलाकर लेकर हम "जब पन्ना यह बात करती हैं तो भानुमति कहती कि "नहीं नहीं थोड़ी देर देखते हैं "
यह कहते हुए भानुमति दक्ष के पास जाती है और उसके माथे पर हाथ रख देती है
उसके हाथ रखने के एहसास नहीं दक्ष को फिर से सुला दिया
दक्ष जब सो जाता है तो भानुमति नौकरानी को बाहर भेज देती है और वह खुद दक्ष के पास वहीं पर बैठ जाती है
कुछ घंटे के बाद दक्ष धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलता है और बोलने की कोशिश करने लगा तभी भानुमति अपना हाथ बढ़ती है तो उन्हें देखकर दक्ष हैरान रह जाता है
टैक्स जब अनुमति को देखा है तो वह हैरान रह जाता है क्योंकि दक्ष तो बिल्कुल भी नहीं जानता कि उसके सामने जो औरत बैठी है वह कौन है
लेकिन अब तक जब अपने लिए भानुमति की आंखों में आंसू देखा है तो वह सोचता है कि यह तो माँ ही हो सकती है
"ठीक हूँ माँ चिंता मत कीजिए मैं उठ सकता हूं" इतना कहने के बाद दक्ष वहां से उठ जाता है और नहाने के लिए चला जाता है
भानुमति दक्ष क़ो हैरानी से देख रही थी मानो कि भानुमति को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था
भानुमति इधर उसके लिए पानी और दवाइयां तैयार कर देती है
दक्ष नहा करके वापस आता है और चुपचाप भानुमति की तरफ देखता रहता है
भानुमति दक्ष की तरफ देखते हुए कहती है कि" तुम पूरी रात एक ही नाम लेकर चिल्लाते जा रहे थे तुम्हें पता भी है तुम किसका नाम लेकर चिल्ला रहे थे"
भानुमति गुस्से मे पूछती है
भानुमति की आवाज सुन बात सुनकर दक्ष अपना मुंह निचे कर लेता है
तुम्हें पता है ना चंद्रा का नाम अपने मुंह से लेना मतलब मौत को दावत देना है भानुमति यह बात सुनकर दक्ष उसकी तरफ देखता रह जाता है और सोचता है कि अब वह क्या बोले उसको कुछ भी समझ नहीं आ रहा तो तभी दक्ष कहता है कि वह मैं इसलिए कह रहा था क्योंकि अपने बचपन में मुझे एक बार वह कहानी सुनाई थी बस वही मुझे याद आ गई थी
तभी भानुमति सख्त आवाज में कहती हैं कि
चंद्रा...!!!
तुम इस नाम के बारे में दोबारा कभी मत सोचना
तुम्हें पता भी है चंद्रा के बारे में जो भी सोचता है वह उसको भी जान से मार डालती है समझ गए तुम???
पहले से ही हमारे साथ परेशानियां बहुत सारी है
भानुमति एक दर्द भरी और रफ्तार आवाज में दक्ष को कहती है दक्ष भानुमति की बात सुनकर कहता है "ठीक है मां आगे से मैं उनका नाम नहीं लूंगा "
यह कहते हुए दक्ष अपना मुंह नीचे कर लेता है तभी बाहर से किसी के चिल्लाने की आवाज आती है
भानुमति आवाज सुनकर दक्ष को कहते हैं तुम दवा लो मैं जाकर देखती हूं क्या हुआ है
जब भानुमति बाहर आती है तो वह देखी है कि नौकरानी पन्ना वहां पर पड़ी है
वहां पर सेनानायक मलिक वहां पर खड़े थे और उसके पीछे छह लोग और साथ में सिपाही भी खड़े थे
जब अपना नीचे गिरी हुई थी तो और भानुमति पन्ना के पास जाती है और घबराते हुए कहती "क्या हुआ पन्ना जल्दी से उठ जाओ "
तभी सेना नायक मलिक कहता है की" दासी तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम मेरे रस्ते में खड़े रहोगी और मेरे रास्ते क़ो रोकेगी??? तुमने मेरे रस्ते को रोका मैं तुम्हारी जान ले लूंगा....
तभी सेनानायक देवदत अपनी तलवार निकलता है और पन्ना की तरफ बढ़ता है तभी भानुमति अपने साथ में छुपे हुए छोटे से चाकू को निकलती है और देवदत की तरफ बढ़ा देती है इधर पन्ना ने
डर के हमारे अपनी आंखें बंद कर ली थी क्योंकि उसको लग रहा था कि अब वह नहीं बचने वाली