ये कहानी है एक चुलबुली - सी लड़की की , जिसका नाम है, दिया।
दिया अपनी माँ व पापा की बहुत लाड़ली है।
उसका एक छोटा भाई है ।
दिया की माँ एक गृहिणी है और दिया के पिता जी एक बड़े शहर में काम करते है।
[ ] दिया का एक संयुक्त परिवार है- जिसमें ताऊ जी, ताई जी भी साथ रहते है। ताऊ जी और ताई जी दोनों सरकारी अध्यापक है। दोनों ही
थोड़े गुस्से वाले है।
दिया की माँ एक गरीब से घर से है, तभी ज्यादा पढ़ाई नहीं पाई।
इसलिए वो चाहती है कि दिया, डाक्टर बने। बचपन में तो दिया की माँ, उसे पढा़ती थी।
पर बड़ी कक्षा में होने के बाद दिया की ताई जी उसे पढा़ती है।
वो दिया को थोड़ा सख्ती से पढा़ती है।
दिया वैसे तो पढ़ने में बहुत होशियार है पर उसे ताऊ जी व ताई जी की सख्ती पसंद नही है। वह कई बार माँ से कहती भी है कि मुझ पर इतनी सख्ती क्यूँ करते है ताऊ जी व ताई जी।
पर दिया की माँ हमेशा समझाती कि वो तुम्हारा भला चाहते है।
और तभी तो स्कूल से थक-कर भी तुम्हे पढ़ाते है।
अब दिया 11 कक्षा में दाखिला लेती है।
दसवी कक्षा में दिया के बहुत अच्छे अंक आए ।
अब दिया ने मैडिकल की तैयारी शुरू की।
दिया एक कोचिंग में जाने लगी।
वहा उसके दोस्त बने। उसे कोचिंग जाने में मज़ा आया ।
वहा उसे किसी का ड़़र भी नही था।
आइए देखते हैं आगे की कहानी।
अब दिया की मुलाकात हुई अमन से।
अमन वही कोचिंग में पढ़ता है।
दिया की एक नयी सहेली बनी , मधु ।
मधु के घर के पास रहता है, अमन । अमन , मधु और दिया सब अच्छे दोस्त बन जाते है।
अमन का स्वाभाव बहुत हंस-मुख है।
दिया मन ही मन अमन को पसंद करने लगी है।
अब अमन व दिया भी अच्छे दोस्त बन जाते है।
अब 16 साल की उम्र ही ऐसी होती है।
अब दिया घर से थोड़ा समय पहले निकलती ताकिं अमन के साथ बातें कर सके।
दिया अब बहुत खुश रहने लगी।
और अमन के पास वाली ही कोचिंग की सीट पर बैठती ।
अमन को एक -टक देखती रहती।
एक दिन तो अध्यापक दिया से सवाल पूछते है। उन्हें लगता है दिया का ध्यान नही है।
दिया तो अमन के ख़यालों में डूबी हूई थी।
अध्यापक गुस्सा हो जाते है और दिया को डांटते है।
दिया उदास हो जाती है।
दिया जब घर जाने लगती है तो अध्यापक उसे समझाते है कि पढा़ई पर ध्यान दे ।
घर पर दिया की माँ व ताई जी बात करते है कि आजकल दिया का व्यवहार में बदलाव है। पूरा समय दिया किसी सोच में डूबी रहती है।
और कोचिंग भी बहुत जल्दी जाती है। दिया की माँ और ताई जी बात ही कर रहे है कि दिया आती है । दिया अपने कमरे में चली जाती है।
ये देखकर दोनों हैरान हो जाते है और सोचते है कि कुछ तो गढ़-बढ़ है।
अगली सुबह दिया की माँ दिया से पूछती है कि दिया कोई परेशानी तो नही।
दिया मना करके जल्दी निकल जाती है।
दिया जैसे ही कोचिंग जाती है तो अमन उसे बाहर ही मिलता है।
उसे देख कर दिया खुश हो जाती है।
अमन - दिया, आइसक्रीम खाने चलोगी ?
दिया - अमन कोचिंग की कक्षा के बाद चलते है।
अमन - अरे एक दिन तो कक्षा रहने दो।
दिया अमन को ना नहीं कह पाती।
दोनों आइसक्रीम खाने लगते है।
दिया की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं है।
दिया तो मन ही मन सोच रही कि ये समय यही रूक जाएं ।
दिया, दिया तुम यहाँ क्या कर रही हो।
दिया अपने ताई जी को देखकर चौंक गयी।
ताई जी -दिया, इस समय कोचिंग से बाहर क्या कर रही?
जवाब दो ।
दिया सहम जाती है।
आगे की कहानी अगले भाग में है।
कैसी लगी आपको ये कहानी?