Samraat - Apne Sach se Anjaan - 8 in Hindi Anything by Khushwant Singh books and stories PDF | सम्राट- अपने सच से अनजान - 8

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सम्राट- अपने सच से अनजान - 8

पिछली कहानी में हमने पढा़ कि आयांशी गलती से सम्राट के स्टडी़ रूम में चली जाती है और वहाँ की दिवार पर अपनी तस्वीर देखकर शोक्ड़ हो जाती हैं।

अब आगे......

              सम्राट कमरे से चला जाता है पर आयांशी अभी भी वहीं एक मूर्ति की तरह खडी़ थी। तभी पीछे से उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस होता है जिससे वो थोडी़ ड़र जाती हैं। वो थोडी़ हिम्मत जुटाकर पीछे मुड़ती है तो देखती है कि वो हाथ तो प्रीत का था। ये देख उसकी साँस में साँस आती है। आयांशी- प्रीत तुम हो! तुमने तो मुझे ड़रा ही दिया यार। प्रीत- मैं तुझे पूरे घर में ढूँढ़ रही हूँ और तुम यहाँ हो।

आयांशी- यार मुझे लगा कि ये तुम्हारा कमरा है तो मैं अन्दर आ गयी पर........

प्रीत- मेरा कमरा तो इसके पास वाला है ये तो सम्राट भाईसाहब का कमरा है।

यह कहकर प्रीत कुछ सोचने लगती है और हड़बडा़हट में आयांशी से बोलती है- आयांशी, जब तुम इस कमरे में आई तब भाईसाहब कमरे में तो नही थे?? उन्होनें तुम्हे यहाँ देखा तो नहीं ना?? क्योकिं उनकी परमिशन के बिना उनके कमरे में कोई नहीं आ सकता हैं।। 

आयांशी प्रीत की ये बात सुनती है तो उसे थोडी़ देर पहले हुआ इंसीडेंट याद आ जाता है पर वो इस बात को प्रीत से छुपाते हुए कहती हैं- न......नहीं! मैं जब कमरे में आई तब यहाँ कोई नहींं था।। यह कहकर आयांशी प्रीत का हाथ खींचकर उसे नीचे ले जाती हैं। 

आयांशी- प्रीत,अब मैं चलती हूँ। मुझे लेट हो रहा हैं।  

तभी नैना जी वहाँ आ जाती है और आयांशी से कहती है- बेटा, खाना तैयार है! खाना खाकर ही जाओ ना।

तभी आयांशी नैना जी को मना करते हुए- नहीं आंटी, फिर कभी खाऊँगी। आज थोडा़ लेट हो रहा हैं। मैं अगली बार आऊँगी तो पक्का आपके यहाँ खाना खाकर जाऊँगी। अभी चलती हूँ। 

यह कहकर आयांशी जल्दबाजी में विला से बाहर जाने लगती है तभी उसकी हिल्स टूट जाती है जिसके कारण वो गिरने वाली थी कि तभी सम्राट उसे अपनी बाँहों में पकड़ लेता है। यह देखकर प्रीत और नैना जी को एक जोर का झटका लगता हैं। गिरने के ड़र से आयांशी ने अपनी आँखें बंद कर दी थी पर जैसे ही आँखें खोलकर देखती है कि वो सम्राट की बाँहों में थी। यह देख आयांशी जल्दी से खडी़ होती हैं और धीरे से सम्राट से कहती है- तुमने वापिस मुझे छूने की हिम्मत कैसे की??? सम्राट एक डे़विल स्माईल करते हुए आयांशी से- जैसे पहले की थी और वैसे भी तुम ये भूल रही हो कि अब तुम सिर्फ मेरी हो तो तुम्हे छूने का या कुछ भी करने का हक़ है मुझे।। यह सुनकर आयांशी को बहुत गुस्सा आता है और वो गुस्से में सम्राट को डे़विल कहकर जाने लगती है पर सम्राट उसका हाथ पकड़़कर उसे वापिस अपनी तरफ खींचता है। जिसकी वजह से आयांशी को हाथ पर चोट लग जाती है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। आयांशी की आँखों में आँसू देख सम्राट को एक अजीब ही फिलिंग आती है और वो आयांशी का हाथ छोड़ देता हैं। जैसे ही सम्राट आयांशी का हाथ छोड़ता है आयांशी जल्दी से जाकर अपनी कार में बैठ जाती है और वहांँ से चली जाती हैं। सम्राट बस आयांशी को जाते हुए देख रहा था।।।