🌸 Part 1: पहली नज़र में वो कुछ अलग था 🌸
कॉलेज का पहला दिन था। अनन्या, जो कि अपनी छोटी-सी दुनिया में गुम रहने वाली लड़की थी, एकदम शांत, समझदार और किताबों की दीवानी। उसे प्यार वगैरह में कोई दिलचस्पी नहीं थी।लेकिन उसी दिन...जब उसने पहली बार विवान को देखा — ऊँचा, थोड़ी सी बिखरी हुई मुस्कान, और आँखों में कुछ ऐसा जो शब्दों में नहीं कहा जा सकता... तो कुछ पल के लिए समय थम-सा गया।वो लाइब्रेरी में घुसी ही थी कि एक किताब हाथ से गिर गई। झुक कर उठाने ही वाली थी कि किसी ने पहले ही उठा ली..."लव इन द टाइम ऑफ कॉलेरा... Interesting choice," उसने मुस्कुराकर कहा।अनन्या ने पहली बार उसकी आँखों में देखा। और पहली बार उसे किसी की मुस्कान में सुकून मिला।"तुम?""विवान। न्यू ऐडमिशन। और तुम?""अनन्या..."बस, इतना ही कहा। और दोनों के बीच एक अधूरा-सा, लेकिन मीठा सा मौन बन गया।
तो चलो, कहानी को आगे बढ़ाते हैं ❤️"तेरे एहसास की खुशबू" — अब पेश है...
🌸 Part 2: कुछ सवाल दिल में बचे रह गए 🌸
कॉलेज के पहले हफ्ते में अनन्या और विवान की मुलाकातें धीरे-धीरे बढ़ने लगी थीं।ना वो एक-दूसरे को जानने की जल्दी में थे,ना ही कोई बेवजह बात करने की कोशिश।
वो बस... "मिलते थे",जैसे कोई पुराना वादा हो किसी जन्म का —बेआवाज़, लेकिन गहरा।
एक दिन, अनन्या वही लाइब्रेरी के कोने में बैठी थी, जहाँ पहली बार विवान मिला था।वो सोच रही थी,"क्या ये सब किसी फिल्म जैसा है? या बस मैं ही महसूस कर रही हूँ?"
तभी पीछे से आवाज़ आई —"आज तुमने किताब नहीं उठाई?"
वो चौंकी नहीं। उसे जैसे पता था — वो आएगा।
"शायद आज दिल कुछ पढ़ने के मूड में नहीं है..."अनन्या ने जवाब दिया।
"कभी-कभी दिल पढ़ना भी ज़रूरी होता है। उसमें छुपी कहानियाँ ज़्यादा सच्ची होती हैं।"विवान की बातों में जैसे कोई जादू था।
"तुम हर बार कुछ ऐसा क्यों बोलते हो... जो अंदर तक उतर जाता है?"अनन्या ने अचानक पूछ लिया।
वो मुस्कुराया,"क्योंकि तुम्हारी ख़ामोशी, बहुत कुछ कहती है। मैं सिर्फ उसे पढ़ता हूँ।"
अनन्या की आँखों में हल्का सा चमक आया, पर वो कुछ नहीं बोली।वो पहली बार थी जब दिल में सवाल नहीं था, बस... एहसास था।
तो फिर चलो Kajal,
"तेरे एहसास की खुशबू" का Part 3 पेश है —
जहाँ रिश्तों के धागे धीरे-धीरे बुनना शुरू होते हैं… 🌌💞
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🌸 Part 3: अनकहे जज़्बातों की शुरुआत 🌸
कॉलेज का तीसरा हफ्ता चल रहा था।
हर दिन अनन्या और विवान एक-दूसरे को किसी न किसी बहाने मिल ही जाते थे।
कभी लाइब्रेरी में, कभी कैंटीन के बाहर, कभी कॉलेज गार्डन के उसी पेड़ के नीचे जहाँ अनन्या अक्सर अकेली बैठा करती थी।
लेकिन अब वो अकेली नहीं होती।
उस दिन बारिश हो रही थी। हल्की-हल्की बूंदें, और मौसम में कुछ उलझा-सा जादू।
अनन्या छत के नीचे खड़ी थी।
उसने देखा — विवान भीगता हुआ चला आ रहा था, उसकी आँखों में वही सुकून, और होठों पर वही अधूरी सी मुस्कान।
"पागल हो क्या? भीग जाओगे!"
अनन्या ने पहली बार इतनी चिंता से कहा।
"तो?"
वो रुक कर बोला —
"कभी-कभी बारिश में भीग जाना ज़रूरी होता है, ताकि जो अंदर भीग रहा है... उसे थोड़ी राहत मिले।"
अनन्या कुछ पल उसे देखती रही —
उसका दिल जैसे धीरे-धीरे कोई पुराना ज़ख्म भूलने लगा था।
"चलो, मैं तुम्हें कैंटीन तक छोड़ देता हूँ,"
विवान ने कहा।
वो दोनों साथ चलने लगे। बारिश धीमी हो गई थी, लेकिन उनके बीच कुछ गहरा होने लगा था।
पहली बार अनन्या को किसी के साथ चलते हुए डर नहीं लगा,
बल्कि... अपनापन महसूस हुआ।
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अब कहानी धीरे-धीरे दिल के अंदर उतरने लगी है 🌙
तैयार हो Part 4
के लिए?
(इसमें एक राज़ खुलने वाला है...)
अगर आपको पार्ट 4 चाहिए तो phadte रहिए
Kajal Thakur story