"रोम... रोम... कहाँ है तू?" विनय हेड ऑफिस में रोम को ढूंढता-ढूंढता बोला।
पीछे की सीढ़ियों से रोम एकदम से कूदा और "भू..." करके उसे डराने की कोशिश की।
"तेरे ये खेल कब बंद करेगा? चल, हमें स्नेहा केस के लिए आज फिर उस कोयले की खदान पर जाना है।" विनय रोम को याद दिलाते हुए बोला।
"सर कौन है? मैं कि तू?" रोम अब भी मस्ती कर रहा था।
"मैं!" रोम के पीछे से श्रुति आकर बोली।
रोम घबरा कर एकदम विनय से चिपक गया और पीछे देखकर बोला, "मुझे लगा भूत आ गया।"
"तेरे लिए भूत ही समझ।" श्रुति बोली।
फिर सब साथ में वहाँ कोयले की खदान पर पहुँचे। एल.सी.बी. ऑफिसर भी वहाँ आ चुके थे। खदान को सील करने का काम चल रहा था। श्रुति के हाथ में दो व्यक्तियों के अरेस्ट वारंट थे, जो दोनों उस खदान के मालिक थे।
"क्या इन लोगों के बारे में कुछ पता चला?" श्रुति ने उस एरिया के एक ऑफिसर से बात की।
ऑफिसर जैसे किसी बात से घबराया हुआ हो, ऐसा लग रहा था। इसलिए उसने श्रुति से नजर चुराकर हिंदी में कहा, "मैडम अभी... अ (अटकते हुए) नहीं। अभी तक कुछ पता नहीं चला। पता चलते ही आपको खबर कर देंगे।"
विनय खदान के अंदर जाने के लिए आगे बढ़ा।
"कहाँ जा रहे हो आप?" अजनबी चौकीदार बोला।
"मैं अंदर जा रहा हूँ। क्या आपको कोई दिक्कत है?" विनय उसके चेहरे के हावभाव देखकर बोला।
"बिना परमिशन के कोई अंदर नहीं जा सकता।"
चौकीदारी में रखा हुआ कॉन्स्टेबल बोला।
"मैं देता हूँ परमिशन। जा... जाकर घूम आ और करवा ले अपने मुँह काला।" कॉन्स्टेबल के कंधे पर हाथ रखते हुए रोम बोला।
"आप कौन होते हो परमिशन देने वाले?" एरिया कॉन्स्टेबल सख्ती से बोला।
खदान की तरफ इशारा करते हुए रोम बोला, "देख, वो चला गया और अब मैं भी जाऊँगा।"
वो कॉन्स्टेबल पीछे पलट कर देखता है। विनय तब तक अंदर पहुँच चुका था। वो कुछ बोले उससे पहले ही रोम भी दौड़ने लगा।
"रुकिए... रुकिए... आप अंदर नहीं जा सकते!" पीछे से रोम को रोकने के लिए हाथ फैलाते हुए वो ऊँचे स्वर में बोल रहा था।
उसकी आवाज़ श्रुति ने सुन ली थी। इसलिए थोड़ी हँसकर एरिया ऑफिसर की ओर देखकर बोली, "अब शायद पता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
सभी ऑफिसर देखते रह गए और रोम दौड़कर अंदर चला गया।
"हाँ...क छी..., हाँ...क छी..., हाँ...क छी..., हाँ...क..."
नाक फुलाते हुए छींकने से रोकते रोम रास्ते के बीच में रुक गया।
"हाय... मेरी ज़िंदगी में पहली बार साढ़े तीन छींक आई। अपशकुन... अपशकुन... राम... राम।" दोनों हाथों को अपने कानों के साथ क्रॉस में अटकाते हुए रोम बोला।
खदान लगभग सत्तर फुट गहरी होगी। रोम को विनय आधे रास्ते पर जाता दिखा। नीचे गहराई में जेसीबी और डंपर भी थे। हालांकि खदान लीगली थी, यानी वहाँ लीज़ लेकर मालिक कोयला निकाल रहे थे। लोगों ने कभी इस खदान के बारे में चर्चा करते नहीं सुना था और शायद इसके मालिक इतने अमीर बन गए होंगे कि कोई बात बाहर नहीं जाने देते! संभावना तो यही है कि इस खदान के मालिक बात बाहर जाने नहीं देते। विनय सोचता-सोचता नीचे जा रहा था।
"वीनू... ओ... वीनू..." खदान में रोम की आवाज के गूंज रहे थे।
बाहर खड़े ऑफिसर और श्रुति उन दोनों को ऊपर से देख रहे थे। रास्ता गोल था और उस खदान में एक ऑफिस भी थी।
"खदान में ऑफिस!" वीनू आश्चर्य से बोला।
हालांकि ऊपर से वो ऑफिस दिखाई नहीं देती थी। मतलब कि आधे रास्ते पर पत्थर की खुदाई करके अंदर ऑफिस बनाई गई थी। रास्ता भी इतना बड़ा था कि एक डंपर और गाड़ी एक साथ आमने-सामने आ-जा सकें, इतना बड़ा था। लेकिन ऑफिस के बाद वह रास्ता संकरा हो जाता था।
विनय उस ऑफिस जैसी अंडरग्राउंड जगह के पास आकर रुक गया।
उसके पीछे आ रहा रोम यह देखकर खुश हो गया। "हश लग रहा है, थक गया। मैं भी वहाँ जाकर आराम कर लेता हूँ।" कहकर चलने की गति तेज कर दी।
रोम विनय के पास पहुँचा।
"चल अब थोड़ा आराम कर लें। मुझे लग रहा था कि तू थक जाएगा। चल नीचे बैठ जा अब।" रोम वहाँ रास्ते के बीच में ही नीचे बैठ गया।
"क्या कर रहा है रोम यार... नीचे धूल है। वो भी काली। कपड़े खराब हो जाएँगे तेरे, उठ जा।" विनय रोम को उठाने के लिए हाथ बढ़ाते हुए बोला।
रोम ने उसके हाथ को थप्पड़ मारते हुए कहा, "एक दिन सबको मिट्टी में मिल जाना है।"
"टोपा... तू ऊपर क्यों नहीं रहा। आया मेरा दिमाग खाने आया।" विनय ने रोम से गंभीरता से कहा।
रोम अब थोड़ा सीरियस हुआ। "ला तेरा हाथ।"
विनय का हाथ पकड़कर रोम खड़ा हुआ।
विनय ऑफिस की तरफ इशारा करते हुए बोला,
"देखा... ये ऑफिस है। मतलब कुछ तो है। नहीं तो कोयले की खदान में ऑफिस और वो भी छुपाकर?"
विनय ऑफिस की तरफ आगे बढ़ा।
नज़दीक जाकर दरवाज़ा खोलने के लिए जब उसकी उंगलियाँ आगे बढ़ीं तो उसने देखा कि उस पर ताला लगा हुआ था और वो ताला साधारण नहीं बल्कि सरकारी था।
मतलब कि उस ऑफिस को सील कर दिया गया था। लेकिन ऑफिस का जिक्र या विवरण खदान के किसी भी कागज़ में नहीं किया गया है।
इस ऑफिस में क्या है, यह समझना विनय के लिए थोड़ा मुश्किल बन गया। क्योंकि जिसने भी यह ताला लगाया है, वह एल.सी.बी. टीम का ही होना चाहिए।
ताला तोड़ने से कई सारी समस्याएँ हो सकती थीं। इसलिए उसने ताला तोड़ने का विचार छोड़ दिया।
"साइड में रह... ताला तो मैं ही तोड़ूंगा।"
हाथ में पत्थर लेकर रोम आया और धड़ाम से ताले पर मारा।
रोम के हाथ काले हो गए। आसपास कोयले के टुकड़े बिखर गए। ताले पर भी काले दाग पड़ गए।
"रोम... (थोड़ा हँसते हुए) इस जगह पत्थर मिलना मुश्किल है और अच्छा हुआ ताला टूटा नहीं।" विनय बोला।
"क्यों अच्छा किया?" रोम सोचने लगा।
"तुझे नौकरी में किसने लिया? ये ताला सरकारी है।"
विनय बोलते हुए रास्ते के ऊपर की तरफ देखने लगा।
वो चौकीदार उनके नज़दीक आ गया।
ताले के पास विनय और रोम को खड़ा देखकर गुस्से से बोला।
"मैंने आपको मना किया था। फिर भी आप अंदर आ गए। बड़े पद वाले हुए तो क्या ऊपर के आदेश भी नहीं मानोगे?"
गुस्से से बोलता हुआ वह चौकीदार हाँफ गया था और साथ ही किसी चिंता में भी जैसे हो ऐसा लग रहा था।
"कहाँ! हमें भी अंदर आने की मनाही की गई है?" विनय ने उसे सीधा सवाल करते हुए कहा।
"हाँ क्योंकि इसका इंचार्ज केवल एल.सी.बी. वालों को ही दिया गया है।"
"कौन विक्रम है?"
विनय शायद उनके बड़े ऑफिसर को जानता हो ऐसा बोला।
"नहीं, उनकी बदली कर दी गई है।" चौकीदार ने जवाब दिया।
"ओह! तो ताले का राज नया ऑफिसर है उन्हें!" विनय जैसे कुछ समझ गया हो ऐसा बोला।
"विनय... रोम... ऊपर आ जाओ। बाद में देख लेंगे इस कोयले की खदान को। अभी इसके मालिक की बारी है।" ऊपर से श्रुति बोली।
***