Chandrvanshi - 4 - 4.2 in Hindi Adventure Stories by yuvrajsinh Jadav books and stories PDF | चंद्रवंशी - अध्याय 4 - अंक 4.2

Featured Books
Categories
Share

चंद्रवंशी - अध्याय 4 - अंक 4.2

“ये आदम जैसा भी नाम है क्या सच में!” रोम हँसते हुए बोला।  
“क्यों, नाम तो कुछ भी हो सकते हैं। तो आदम में क्या दिक्कत है?” विनय बोला।  
“ना मुझे कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत तो उसे है। (हँसते हुए) उसका नाम मेरे हाथ में रखे काग़ज़ में है, इसलिए।” रोम हँसने लगा।  
“वो काग़ज़ नहीं है। अरेस्ट वारंट है।” विनय बोला।  
“अरेस्ट वारंट काग़ज़ का ही तो होता है?”  
“इसमें क्या समझना। अगर हम कानून के रक्षक ही वारंट की कद्र न करें, तो बाकी लोग क्या करेंगे।” विनय रोम को समझाते हुए बोला।  
“ये बात भी है ना! चल भाई काग़ज़, आज से तेरा नाम अरेस्ट वारंट।” रोम काग़ज़ को दाएँ हाथ की उंगली से थपथपाकर बोला।  
लंबी साँस छोड़ते हुए विनय बोला, “तू नहीं सुधरेगा।”  
“हाँ, जैसे तू सुधर गया हो ऐसा बोलेगा। गाड़ी रोक, आ गया तेरा स्टेशन।” रोम श्रीवास्तव बिल्डिंग का नाम देखते हुए बोला। दोनों नीचे उतरे।  
“मुझे लगता है आज छुट्टी होगी।” रोम शांत माहौल देखकर बोला।  
“छुट्टी?” विनय चौंकते हुए बोला।  
“हाँ, तुझे तो नहीं पसंद पर इतनी शांति तो छुट्टी में ही होती है।” चलते-चलते रोम बोला।  
बिल्डिंग के बाहर एक वॉचमैन को कुर्सी पर बिठाया गया था। रोम की कही बात काफी हद तक सही थी। लेकिन, विनय रुक गया और वॉचमैन की नजर से बचते हुए बिल्डिंग में अंदर चला गया। रोम उसके पीछे-पीछे था।  
“अरे हम इस खाली बिल्डिंग में क्यों जा रहे हैं?” रोम बोला।  
“तू कुछ भी बोले बिना चुपचाप मेरे साथ चल।”  
दोनों श्रेया के ऑफिस में गए। विनय ऑफिस की फाइलों में से उसके मालिक के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए श्रेया के ऑफिस की तिजोरी की चाबी ढूंढने लगा। उसने टेबल के नीचे देखा। जो खुले थे उन हर खानों में देखा। लेकिन विनय को कहीं चाबी नहीं मिली।  
“तू क्या ढूंढ रहा है?”  
“चाबी।”  
“तुझे किस चीज़ की चाबी चाहिए?”  
“तिजोरी की।”  
“ये ले।” तिजोरी की किचनवाली चाबी अपने दाएँ हाथ से ऊपर उठाकर रोम बोला।  
“तुझे कहाँ से मिली?” आश्चर्य से विनय बोला।  
“यहीं से। मुझे लगा तू फाइलें लेने आया होगा लेकिन अब पता चला कि तू चोरी करने आया है। इसलिए तो वॉचमैन से बचकर अंदर आया है ना!” खुला मुँह रखकर दाँत दिखाता रोम बोला।  
विनय को श्रुति मैडम की कल कही बात याद आ गई – (“अगर तुम उसके मालिक की फाइल लेने जाओ, तो अकेले जाना। उस गधे को साथ मत ले जाना। पता नहीं उसे किसने इसमें भर्ती किया!”) – इसलिए वह हँसने लगा और विनय ने रोम को पुरानी बातें याद दिलाते हुए बोला –  
“तुझे याद है! जब मैं पहली बार आश्रम में आया था। तब मेरा कोई दोस्त नहीं था। उस समय तू मेरे पास आकर बैठा था।”  
“हाँ, कैसे भूलूँ मेरे भाई!” रोम पिघल गया।  
“उस मनहूस दिन मैं वहाँ क्यों आया था ये अब तक सोचता हूँ।” विनय गुस्से से बोला।  
“हें...!”  
“ला चाबी।” रोम के हाथ से चाबी लेते हुए बोला।  
विनय ने तिजोरी खोली और उसमें रखी फाइलें देखने लगा। लेकिन, एक भी फाइल में उसे आदम या जॉर्ज के बारे में कुछ भी नहीं मिला। विनय आख़िरी फाइल छान रहा था। फाइल के अंतिम कवर में दो फोटो थे। विनय ने वे फोटो उसमें से बाहर निकाले। पहला फोटो उसकी नजर के सामने आया। वो फोटो स्नेहा का था। विनय को उसके बारे में अन्य कोई कागज़ात नहीं मिले। विनय को लगा कि दूसरा फोटो भी उसी का होगा। अभी वो देखने ही जा रहा था कि सिक्योरिटी के अंदर आने की आवाज़ हुई। तो उसने सबकुछ तुरंत से ठीक कर दिया और ऑफिस में आई टेरेस के दरवाजे के पीछे रोम और विनय छुप गए।  
“तुम अगर आगे से सोते नज़र आए तो समझो तुम्हारी नौकरी गई।” श्रेया बोली।  
“मैडम आगे से आपको शिकायत का मौका नहीं दूँगा।” वॉचमैन बोला।  
“अच्छा ठीक है। तुम यहीं खड़े रहो।” दरवाज़े के पास उसे खड़ा रखते हुए श्रेया बोली और फिर वह अपने ऑफिस में प्रवेश की।  
अंदर आकर श्रेया सीधे अपनी तिजोरी के पास आ गई। अभी वह चाबी लेने को याद कर के पीछे मुड़ी ही थी कि उसने देखा कि चाबी तो तिजोरी में ही लगी हुई है।  
“सिक्योरिटी...” श्रेया ने बाहर खड़े वॉचमैन को पुकारा। विनय को लगा – ‘लगता है श्रेया को पता चल गया।’ रोम एकदम बेफिक्र होकर पर्दे के पीछे वाली खिड़की से आसपास का नज़ारा देख रहा था।  
सिक्योरिटी वाला दरवाज़े पर आकर बोला, “जी मैडम।”  
“यहाँ पर कोई आया था?”  
“नहीं मैडम, आपके अलावा और कोई नहीं आया।”  
“मैं! मैं कब आई?”  
“आज नहीं मैडम, कल रात की बात कर रहा हूँ।”  
“अच्छा तो कल रात ही शायद ये चाबी इधर रह गई होगी।”  
फिर श्रेया ने फिर से तिजोरी खोली और सबसे नीचे रखी काले और क्रीम रंग की फाइल उठाई, जिसमें से थोड़ी देर पहले ही विनय ने फोटो निकाले थे।  
फाइल में बहुत कुछ उल्टा-पुल्टा हुआ था, लेकिन श्रेया का ध्यान सिर्फ उन फोटो को ढूंढने में था जो कल रात वह ले जाना भूल गई थी। उसने पूरी फाइल अस्त-व्यस्त कर दी लेकिन फोटो नहीं मिले।  
तो श्रेया ने गुस्से में फाइल नीचे फेंकी और अपने उलझे हुए बालों को समेटते हुए फाइल लेने नीचे बैठी। जैसे ही फाइल लेकर सामने के पर्दे पर नजर की, उससे पहले ही वॉचमैन बोला –  
“मैडम कोई एल.सी.बी. ऑफिसर आपसे मिलने आए हैं।”  
“उसे बाहर ही रुकने को बोल दो। मैं अभी आती हूँ।” कहकर श्रेया ने तुरंत फाइल लेकर तिजोरी बंद की और चाबी अपने पर्स में रख ली और बाहर निकल गई।  
विनय को अब शांति मिली। रोम पर्दे से निकलकर जिद की ऑफिस में गया। विनय रोम को उस ऑफिस में लेने उसके पीछे गया।  
वहाँ विनय का पैर जिद की टेबल के नीचे पड़े काग़ज़ पर पड़ा। वह नीचे झुका और काग़ज़ हाथ में लिया। उस काग़ज़ में स्नेहा के बारे में लिखा था।  
विनय ने अपने पास रखे फोटो निकाले। अभी विनय ने पहले फोटो को ध्यान से देखा। उसमें स्नेहा का नाम भी लिखा था। लेकिन, उसका आधा नाम जैसे किसी ने घिसकर धुँधला कर दिया हो, वैसा सफेद हो गया था।  
विनय ने नाम देखने के लिए दूसरा फोटो देखा और वह चौंक गया। वह फोटो जिद का था। 

***