रीकैप
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मैं हम पढ़ते हैं कि सारे घर वाले शिवाय को आर्य और संन्नवि के बारे में पूछते हैं उनके माँ के बारे में पूछते हैं पर शिवाय कोई जवाब नहीं देता है। जिसकी वजह से खुशी जी शिवाय पर हाथ उठा देती है। सारे घर वाले शिवाय से सवाल जवाब कर ही रहे थे कि तभी ।नर्स आकर बोलती है कि रमन जी को होश आ चुका है जिसकी वजह से सभी लोग रमन जी से मिलने के लिए चले जाते हैं। वही शिवाय को वनराज संभालता है।
ab aage
जैसे ही सब आईसीयू में आ जाते हैं तो देखते हैं कि रमन जी धीरे से आंखें खोलते हैं
और सब की तरफ एक हल्की मुस्कान के साथ देखते हैं।
रमन जी सबके तरफ देखते हुए कहते हैं" कुछ नहीं हुआ है बस थोड़ा सा बीमार हो गया हूं। ठीक हो जाऊंगा"।
रमन जी की ऐसी बात सुनकर खुशी जी और इशिता जी की आंखों में से आंसू झर झर बहने लगते हैं।
रमन जी इस तरह खुशी जी और इशिता जी को रोते देखकर बोलते हैं" क्या यार घर में एक ही मीना कुमारी काफी नहीं थी क्या दूसरी भी शुरू हो गई"। उनकी ऐसी बात सुनकर खुशी जी और इशिता जी उन को घूर कर देखती है।
खुशी जी कहती है तुझे शर्म नहीं आती बेड पर है इतना बड़ा सर्जरी हो गई है फिर भी ऐसी बातें करते हुए ।बेशर्म कहीं का कर्म फूट मेरे ऐसा जो बेटा पाया।
Dear reader Sahab ko bata do yah dialog Khushi ji ka favourite dialog hai vah is dialog ko अलग-अलग tarah ke se use karti hai Jaise Raman ji ko sunane ke liye kahati hai karamfuthe mere kaisa Pati Mila hai kaisa beta mila hai aise hi ।।
कंटिन्यू तो स्टोरी
खुशी जी की बात सुनकर रमन जी बोलते हैं फिर आप रोते क्यों हो आप दोनों की आंखों में मैं आंसू बर्दाश्त नहीं कर पाता हूं।
रमन जी की बात सुनकर वहां खड़े सभी लोग हंसने की कोशिश करते हैं तभी रमन जी की नजर शिवाय पर जाता है।
शिवाय को देखकर उनके आंखें नाम हो जाती है।
जब शिवाय उनकी आंखों में नमी देखता है ,तो दौड़ कर उनकी तरफ जाता है और उनका हाथ पकड़ता है।
जब शिवाय उनका हाथ पकड़ता है तो रमन जी धीरे-धीरे कर कर अपना हाथ शिवाय के सर पर रखते हैं और जो आंखों में नमी थी वह आंसू बनकर बाहर आ जाते हैं।
रमन जी बोले 'हमने ऐसे क्या किया बच्चा जो तुम हमें यूं छोड़ कर चले गए एक बार भी नहीं सोचा कि तुम्हारे जाने के बाद हम कैसे रहेंगे .!
हमें ,तुमने! किस बात की सजा दी। जाने के बाद तुमने हम से कोई कांटेक्ट रखा नहीं, कोई बात कीया नहीं।यहां तक की जब हम लोग कॉल करते थे तुमने अपना कॉल भी रिसीव नहीं किया बोलो ना शिवू किस बात की सजा दिया है तुमने हम साब को।
रमन जी की बात सुनकर जो शिवाय। वह, अब तक आंसूओं को रोकने लगा था। अब उसके आंसू बाहर छलक पड़े शिवाय ने कहा '"नहीं बड़े पापा मैंने आपको कोई सजा नहीं दी है ना किसी को, मैं तो बस अपने आप को सजा देना चाहता था अपने आप को अपनी कड़वी यादों से दूर रखना चाहता था और आप सबको अपनी परेशानी से दूर रखना चाहता था बस इसलिए आप सबसे दूर चला गया।
शिवाय की बात सुनकर रमन जी ने कहा क्या यादें उसे लड़की से जुड़ी हुई है अगर हां तो हमने ऐसा क्या किया जो तूने हमें सजा दी हम से दूर हो कर।
रमन जी की बात सुनकर शिवाय अपने-अपनी आंखें बड़ी कर- कर हैरानी से देखने लगा क्यों कि आज तक उसने किसी को भी अपनी दिल की बात नहीं बताएं सीवाय अपनी भैया के, शिवाय हैरानी से पूछा आपको कैसे पता है। बड़े पापा।?
रमन जी ने कहा बरकुरदार मैंने तुझे बचपन से लेकर अब तक बड़ा होते हुए देखा है। अपने इन हाथों से तुझे पाला है, तुझे तुझसे ज्यादा मैं जानता हूं।
कितनी बार देखा है तुझे रात को चांद से बातें करते हुए ।जो मेरा बेटा प्रैक्टिकल बनता था आज वह एक बेजान चीज से बातें करने लगा था।
यह सोचकर बड़ा खुश था कि मेरी शिवू की जिंदगी में कोई आ चुकी है अब मेरे शिव को जीना सिखा देगी ।सब रंग जिंदगी में रंग भर देगी।पर पता नहीं था कि उसकी आहट खुशी की जगह दुख लेगा।
जो शिवाय अब तक वहां उनकी बातें चुपचाप सुन रहा था अब उसकी आंखों में से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था शिवाय ने रमन जी के सीने पर सर रखकर फूट-फूट कर रोने लगता है।
जो बात आज तक शिवाय ने अपने भाई के अलावा किसी को नहीं कहीं उसके बड़े पापा ने उसके बिना कहे ही सुन के बात जान ली ।
वह अपनी इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर पाया और टूट कर रोने लगा जैसा कोई बच्चा भूख से रोता हो ।
सभी घरवाले शिवाय की यह हालत देखकर उन्हें ऐसा लग रहा था की कोई उन्हें चाबुक से मार रहा हो क्योंकि शिवाय ने आखिरी बार तब रोया था।
जब उस के मां-बाप का एक्सीडेंट हुआ था। जब उसे पता चला था कि उसके मां और पापा उसे छोड़कर इस दुनिया से चले गए हैं उसके बाद शिवाय ने कभी नहीं रोया ना ही कभी अपनी इमोशंस को बाहर निकालने की कोशिश की।
शिवाय को ऐसे रोते देखा रमन जी धीरे-धीरे उसके सर को सहलाने लगे।
तभी वार्ड का दरवाजा खुलता है और डॉक्टर अंदर आते हैं जब डॉक्टर अंदर की सिचुएशन देखते हैं तो वह गुस्से में आते हैं और कपाड़िया परिवार से कहते हैं आप लोगों को इतना भी नहीं पता कि पेशेंट के सामने ऐसे इमोशंस नहीं होते अभी-अभी उनकी सर्जरी हुई है और आप सब ऐसे इमोशनल हो रहे हैं अभी पेशेंट को रेस्ट की जरूरत है।
खुश रहने की जरूरत है ना कितने टेंस माहौल में डॉक्टर की बात सुनकर अर्णव जी ने कहा माफ कीजिएगा डॉक्टर साहब हम आगे से ख्याल रखेंगे की रमन को खुशी एवं भरा महोल दे
अर्णव जी की बात सुनकर डॉक्टर अपना सिर हा में हिला थे हैं और रमन जी को चेक करते हैं।
रमन जी ने डॉक्टर से कहा डॉक्टर साहब मुझे कुछ नहीं होगा मेरा बेटा आया है ना अब मैं और भी जल्दी ठीक हो जाऊंगा। रमन जी की बात सुनकर डॉक्टर मुस्कुराए दिए और शिवाय ने भी अपने आंसू पूछो लिए।
तभी फिर से वार्ड का दरवाजा खुला वहां सन्नवी ,आर्य और प्रणय खड़े थे।
जब सन्नवी यह देखती है कि सब रो रहे हैं ।उसे कुछ समझ नहीं आता कि वह सब लोग क्यों रो रहे हैं ।बस हमारी इमोशनल सन्नवी सबके आंखों में आंसू देख कर खुद भी अपने होंठ बाहर निकाल कर रोन ना शुरू कर देती है ।
सन्नवी की रोने में खास बात यह है कि वह जब भी रोती है उसके मुंह से आवाज नहीं निकलती ,बस आप होंठ बाहर आते हैं और आंखों में से आंसू निकलना शुरू हो जाता है।
सन्नवी शिवाय की तरफ जाती है और उसे पूछती है कि Daddya सब रो क्यों रहे हैं देखो ना मुझे भी रोना आ रहा है। यह सबको देखकर।
सन्नवी की बात सुनकर शिवाय उसे गले लगाते हुए बोलता है कि बच्चा यह ना खुशी के आंसू है तुम्हारे बड़े दादाजी ठीक हो गए ना उनका ऑपरेशन सक्सेसफुल हो गया और उन्हें होश भी आ गया तो सब के खुशी के आंसू निकल रहे थे।
संन्नवि शिवाय की बातें सुनकर अपनी गर्दन शिवाय के सीने से बाहर निकाल कर उसके आंसू पोंछते हुए बोली फिर रो क्यों रहे हैं हमें इसे सेलिब्रेट करना चाहिए ना।
इतना बोलकर sannvi अपने पॉकेट से चॉकलेट निकलती है और सब को चॉकलेट देते हुए बोली अब सब रो मत दादा जी ठीक हो रहे हैं ना तो हमें इस सेलिब्रेट करना चाहिए । daddya कहते हैं कि स्वीट खाकर हमें खुशी सेलिब्रेट करते हैं मेरे पास चॉकलेट है इतना बोलकर सबको चॉकलेट देने लगी।
पर हमारा आर्य बहुत ही समझदार है वह सन्नवी की तरह मासूम नहीं है उसने सबके चेहरे को देखकर बप लिया कि यह कोई खुशी के आंसू नहीं है कुछ तो हुआ है जिसकी वजह से सब रो रहे हैं।
पर रमन जी को समझ नहीं आ रही थी यह दोनों बच्चे हैं कौन यहां क्या कर रहे हैं और शिवाय को अपना डैडी क्यों बोल रहे हैं।
तभी वार्ड के अंदर आर्य आता है।
और रमन जी के पैर छूकर बोलता है पाय लागू बड़े दादाजी रमन जी आर्य के हरकत पर मुस्कुरा देते हैं और उसे ध्यान से देखने लगते हैं।
आर्य को देखकर उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे वह छोटे से शिवाय को देख रहे हैं आर्य कुछ-कुछ शिवाय की तरह लगता है और खासकर उसका औरा बिल्कुल शिवाय की तरह है।
तभी सन्नवी भी आर्य के कॉपी करते हुए रमन जी के पैर छुती हुई बोली पे लगो बड़े दादा जी।
रमन जी दोनों बच्चों के देखते हैं दोनों बच्चे दिखने में बहुत क्यूट है खास कर उनकी ब्राउन गोल्डन आंखें दोनों बच्चों की आंखें शिवा की आंखों की तरह गोल्डन ब्राउन है।
शिवाय दोनों बच्चों को रमन जी की तरफ ले जाते हुए बोलता है बड़े पापा यह मेरे बच्चे हैं सन्नवी और आर्य।
शिवाय की बात सुनकर रमन जी बड़े इमोशनल हो जाते हैं। उनके अंदर कई सारे मिक्स इमोशंस थे उनके होंठों पर मुस्कान है और आंखों में आंसू समझ नहीं आ रहा ताकि वह इतनी खुशी को कैसे समेट कर खुद के पास रखें।
रमन जी ने पूछा क्या वही लड़की है आई है।
रमन जी की बात सुनकर जो शिवाय ,अब तक मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराहट की फंकी पढ़ गई शिवानी रमन जी से कहा बड़े पापा हम यह सब बातें घर चलकर करते हैं अब यहां नहीं।
जब आप ठीक हो जाओगे शिव इतना ही बोला था कि तभी फिर से वोट का दरवाजा खुलता है एक लड़की अंदर आती है उसे लड़की को देखकर वनराज बोला रूपाली तुम यहां क्या कर रही हो।
रूपाली वनराज की असिस्टेंट है रूपाली ने कहा बस आपसे पूछा अर्जेंट बात करनी है प्लीज बाहर आई।
रूपाली की बात सुनकर वनराज बिना कुछ कहे बाहर आता है वनराज को देखकर साथ में शिव भी बाहर निकल आता है।
वनराज ने रूपाली से कहा क्या हुआ इतना अर्जेंट क्या काम हुआ तुम्हें यहां आई हो बस हमें यह बात नहीं करनी चाहिए इतना बोलकर रेस्टोरेंट के पास चली जाती है शिवाय और वनराज भी उसके पीछे चले जाते हैं
रेस्टोरेंट के अंदर आते ही मंडल में पूजा क्या हुआ अगर बात अर्जुन नहीं हुई तो तुम्हें डिजाइन करना होगा
वनराज की बात सुनकर रूपाली ने अपना मोबाइल निकाला और फोन कर कर वनराज को दिखाया वनराज ने जब उसके फोन में देखा तो वह शौक था और उससे गुस्सा बहुत आ रहा है वनराज कैसे एक्सप्रेशन देखकर शिवाय भी मोबाइल की तरफ देखा है तो वह भी यह न्यूज़ देखकर गुस्से में भर जाता है।
अस्पताल के बाहर
एक टैक्सी रूकती है उसमें से एक लड़की बाहर निकलती है उसके हाथों में रंग-बिरंगे फूल भूखे हैं उसे लड़की के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही है वह लड़की टैक्सी वाले को पैसे देकर अस्पताल के अंदर चली जाती है और रिसेप्शनिस्ट के पास जाकर पूछता है रमन कपाड़िया का वर्ड रिसेप्शनिस्ट कंप्यूटर में चेक कर कर बोल दिया है मैं थ्री नोट थ्री
उस रिसेप्शनिस्ट की बात सुनकर वह लड़की रूम नंबर 303 चल देती है
क्या है संवि और आर्यका जन्म का सच?
आखिर क्यों नहीं बताना चाहता है शिवाय अपने घर वालों को सच?
अगर शिवाय ने किसी भी लड़की को नहीं छुआ तो कैसे जन्म लिया आर्य और संवि ने
Spoiler alert
Jald hi hogi heroine ki entry.
Sath mein third main ladki bhi
Shivay ka vanraj ko Sacha
क्या होगा जाने के लिए पढ़िए मेरा अगला चैप्टर।