Bandhan - 9 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 9

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 9


रीकैप

पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा की आरोही को अपने सामने देखकर शिवाय का दिल बहुत जोर जोर से धड़क रहा था।

तभी शिवाय ने अपने खुले आंखों से सपना देखता है कि आरोही उसके पास आकर उसे गले लगाती है और रो कर उस से शिकायत करती है ।लेकिन जब उस की यह खुले आंखों का सपना टूटता है जब उसे आरोही जोर से थप्पड़ मारती है। 



उसके बाद आरोही शिवाय को गुलदस्ता लेकर मारने लगती है वह भी बहुत जोर जोर से और बाकी सब घर वाले या तमाशा बड़ा एंजॉय कर कर देख रहे थे। 



तभी आरोही शिवाय से पूछती है कि ऐसे क्या वजह थी कि वह किसी को बिना बताए देश छोड़कर चला गया।

 शिवाय उसको भी वही जवाब देता है जो उसने सबको पहले दिया था ।



अब आगे ‌



शिवाय बोला तुम यह बात कैसे तुम्हें किसने बताया कि बड़े पापा हॉस्पिटल में है। 



खुशी जी ने भी यही बात उस से पूछती हैं कि तुम्हें कैसे पता चला हमने तो किसी को भी नहीं बताया है। 

आरोही बोली अरे दादी मां आज मैं सुबह घर गई थी तो मुझे पालकी और कैरव दिखे तो मैं उनसे पूछा कि घर के सारे लोग कहां गए हैं कोई मुझे दिखाएं क्यों नहीं दे रहा है। 

तो पालकी बोलती है कि आरोही दी पापा को हार्ट अटैक आया है जिसकी वजह से अस्पताल में एडमिट किया गया है और सब अस्पताल में है। 



उसकी बात सुनकर मैं 1 मिनट भी वेस्ट नहीं किया और यहां चली आई।

तो इशिता जी पूछती है कि तुम घर क्यों आई थी । क्योंकि जब से शिवाय गया था तो आरोही का आना भी कम हो गया है इसलिए इशिता जी यह सवाल पूछती है। 



आरोही अपने चेहरे पर खुशी के भाव लाकर बोलिए मैं तो आप सब को एक गुड न्यूज़ के बारे में बताने आई थी।। फिर मुंह बनाकर  पर आप सब ने मुझे इतना पराया समझा कि आपके इतने मुश्किल समय में मुझे बताना भी जरूरी नहीं समझा।

 मैं आप सबसे बड़ी नाराज हूं। 

इसलिए मैं आप सबको नहीं बताऊंगी कि मैं क्या बताने घर आई थी। 



आरोही की बात सुनकर रमन जी बोले अरे सबको मत बताओ बस मुझे बता दो , मैं किसी से नहीं कहूंगा रमन जी यह बात बिल्कुल एक बच्चे की तरह बोल रहे थे। 

रमन जी की बात सुनकर अरनव जी और बाकी घर वाले सब रमन जी को घूर कर देखने लगे।



आरोही सब को देखकर बोली आप अंकल को यूं घूर क्यों रहे हैं।

 चलो आप सब मुझे मनाइए या मुझे अच्छा सा रीजन बताओ कि आप सब ने मुझे या क्या घर में किसी और को क्यों नहीं बताया है।



 अर्णव जी बोले नहीं बेटा हम सभी इस हालत में नहीं थे कि किसी को भी फोन करके या कुछ भी बोलकर हार्ट अटैक के बारे में बता सके। 

और बात रही वनराज की वह तो खुद हम सबको संभाल रहा था, कि हम में से कोई टूट न जाए और मुझे तो रमन के अलावा कोई और सूद था ही नहीं। 

तो तुम ही बताओ कि मैं हम लोग कैसे बताते की रमन को हार्ट अटैक आया है।



रुचिता बाहु तो खुशी और इशिता को संभालने में थी। यहां तक की वह कल से घर भी नहीं गई है। बस  यहां रहकर  हम सबको संभाल रही है।



यहां तक कि कल से पालकी को भी हमने अस्पताल में आने से मना कर दिया है।

 तो तुम ही बताओ कि हम बाकी सब को क्या बताते। 

अर्णव जी की बात सुनकर आरोही को अपनी गलती का एहसास होता है और वह अपने कान पकड़ कर सबसे बोली आई एम सो सॉरी अंकल आंटी दादू दादी भैया भाभी जब आप लोग परेशानी में थे तो मैं सात नहीं थी।

और ऊपर से मैं जब लेट आई हूं तो मुझे आप सब के हाल-चाल लेना चाहिए था पर मैं अपना ही राग जपने लगी। 



आरोही को इस तरह माफी मांग कर देखकर इशिता जी उस के सामने आती है और उसके कानों से उसका हाथ छुड़ाकर बोली नहीं बेटा तुम्हारे आने के वजह से ही तो यह इतना गंभीर माहौल हल्का फुल्का हो गया।



 सबके चेहरे पर खुशियां आ गई है तुम्हारी ऐसी बचकानी बातों और आदतों से ही तो सबके चेहरे पर हंसी आती है ना।। यु इस तरह सॉरी मत बोलो। 



अभी दरवाजे से दो लोग अंदर आते हैं। 

और बोलते हैं नहीं बहन जी इस लड़की का बचपना अब तक गया नहीं है ।पता नहीं कब होशियार हो जाएगी ।इतना बोलकर आरोही की मां अंकिता जी और उसके पिता राम जी अंदर आते हैं। 

उनके पीछे एक सर्वेंट आता है जिसके हाथों में फ्रेश फ्रूट्स बॉस्केट था। 

अंकिता जी उस सर्वेंट को उसे बास्केट  को टेबल पर रखने का इशारा करती है‌।

  इशिता जी की तरफ आकर उनसे गले लगाते हुए बोली माफ़ की जिएगा इतनी देर से आने के लिए। 



राम जी अरनव की और खुशी जी को देखकर अपने हाथ जोड़कर बोल मां जी हमें पहले पता होता तो हम तभी  आ जाते थे ।

लेकिन हमें यह न्यूज़ तो ,न्यूज़ चैनल से मिली है हमें माफ कीजिएगा इतनी देरी से आने की वजह से। 

अंकिता जी और राम जी की माफी सुनकर अर्णव जी बोले तुम लोग माफी क्यों मांग रहे हो हमने तो किसी को नहीं बताया था कि रमन को हार्ट अटैक आया है।

जब हमने किसी को नहीं बताया था तो तुम लोगों को कैसे पता चलता और रही बात यह मीडिया वालों की तो पता नहीं है लोगों को खबर कहां से मिली। 



अर्णव जी की बात पर अंकिता जी और राम जी मुस्कुराते हैं और फिर रमन जी की तरफ बढ़ जाते हैं उनसे उनका हाल-चाल पूछते हैं और कुछ देर सभी मिलकर बाते करने लगते हैं। 



तभी आरोही का ध्यान शिवाय की उंगली पर जाता है जिस पर लाल रंग का नेल पेंट किया हुआ था। 

तो आरोही शिवाय को चिढ़ाने वाली नजरों से पूछती है कि तुम्हें कब से लड़कियों वाली आदत लग गई है।

 उसकी बात सुनकर किसी को कुछ समझ नहीं आता है।



तो खुशी जी पूछती है तुम्हारे कहने का क्या मतलब है। 



आरोही बोली देखिए दादी मां आपके पोते के हाथ पर नेल पेंट लगा हुआ है ।

सबका ध्यान शिवाय की उंगली पर जाता है। जिस पर लाल रंग का नेल पेंट लगा हुआ था। 

शिवाय अपने हाथ को देखकर थोड़ा इंब्रेस हो जाता है ,और उसे थोड़ा सा शर्म भी आने लगता है। 

शिवाय को ऐसे देखकर अरनव जी ,रमन जी, वनराज जी को बहुत हंसी आने लगती है ।क्योंकि उन्हें पता था कि शायद यह हरकत किसकी है। 

तभी शिवाय को ध्यान आता है कि यह नेल पेंट तो सान्नवि ने उसे लगाया था।

 बेचारा शिवाय सान्नवि की हरकत से एंब्रेस हो गया ।



(यही तो बात होती है कि जिस घर में बेटी होती है ना उसे घर में ऐसी चीज होना नॉर्मल ही होता है अपनी बेटियों की हरकत के बारे में सब डेट्स को पूछना चाहिए क्यों उन्हें कैसा फील होता है कि जब उनकी बेटी उन्हें छोटी करें या उन पर मेकअप का एक्सपेरिमेंट करें। ) प्लीज प्लीज मुझे यह बात कमेंट में बताना जरूर कि आपकी बेटी की हरकतें की वजह से आपको कैसा फील होता है।

तभी शिवाय को अपने बच्चों का ध्यान आता है और वह इधर-उधर देखता है। तो उसे प्रणय और बच्चे तीन नों नहीं दिखाते।

उन्हें यहां नहीं देखकर शिवाय गहरी सांस लेता है क्योंकि वह नहीं चाहता है कि आरोही या किसी और को उसके बच्चों के बारे में पता चले। 

शिवाय वनराज को कुछ इशारा करता है तो वनराज बात को घूमाने के तरीके से बोला। 

Dady मुझे आपका एक शॉर्ट वीडियो निकालना है जिसमें आप यह बता सके कि अब आप ठीक है। 

वह क्या है ना ,कोई। किसी ने यह झूठा अफवाह फैला है कि आप इस दुनिया में........ वह इतना बोलकर खामोश हो जाता है!

वनराज की आधी अधूरी बात को समझ कर रमन जी बोले ठीक है। 

इतना बोलकर रमन जी शॉर्ट  वीडियो बनाते हैं और शिवाय सबसे कुछ देर बात कर कर वहां से चला जाता है। 

आखिर क्यों नहीं बताना चाहता है शिवाय संवि और आर्य के बारे में 

ऐसा क्या सच है सन्नवी और आर्य के बारे में 

जाने के लिए पढ़िए मेरी कहानी।

कैसी मजबूरी थी शिवाय की जो उसे अपने घर वालों को छोड़कर किसी और देश में जाना पड़ा।

 

आखिर क्यों शिवाय नहीं बताना चाहता अपने घर वालों को आर्य और सन्नवी के जन्म के बारे में। 

 

आखिर कौन है शिवाय की बच्चों की माँ।

 



 

स्पॉइल अलर्ट 

 

Shiva is welcome party. 

 

Third lead entry 

 

Aarohi engagement 

 

dear readers please kahani Ko like kare aur comment Karen aapke comment karne se hi mujhe kahani Ko likhane mein Prerna milegi 

 और मुझे पता चलेगा की कहानी में क्या अच्छा है या बुरा।