MUZE JAB TI MERI KAHAANI BAN GAI - 8 in Hindi Love Stories by Chaitanya Shelke books and stories PDF | MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 8

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MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 8

Chapter 8: जब बातों में छुपा प्यार

 

सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था, और काव्या की बालकनी से दिखती उस नारंगी शाम में कुछ खास जादू था। आरव वहीं बैठा था, हाथ में कॉफी का मग और सामने लैपटॉप पर खुला स्क्रीनप्ले। पर आज उनकी बातें स्क्रिप्ट से ज़्यादा दिल से हो रही थीं।

“तेरे डायलॉग्स में गहराई तो है, लेकिन ज़रा कम मसाला है,” काव्या ने हँसते हुए कहा।

आरव मुस्कुराया, “तेरे जैसे तड़के की तो मेरी कहानियों में कोई जगह ही नहीं थी पहले।”

“अब है?” उसने आँखें तरेरी।

“अब हर सीन में है,” उसने सीधा उसकी आँखों में देखते हुए कहा।


वो दोनों अब एक साथ एक वेब सीरीज़ लिख रहे थे। एक

इमोशनल-रोमांटिक कहानी, जो उनके अपने रिश्ते से ही प्रेरित थी। जब दोनों लिखते, तो हर किरदार जैसे खुद में थोड़ी-थोड़ी उनकी छवि लिए होता। कभी वो बहस करते, कभी हँसते, लेकिन हर लाइन के पीछे एक एहसास होता — प्यार का, समझ का, और साथ का।

एक दिन, जब काव्या एक सीन लिख रही थी, आरव ने नोटिस किया कि उसकी आँखें नम हैं।

“क्या हुआ?”

“इस सीन में लड़की अपने प्यार को खो देती है…”

आरव ने पास आकर उसके हाथ से लैपटॉप लिया, और बोला, “ये सीन फिर से लिखते हैं। ये लड़की अपना प्यार नहीं खोएगी, बल्कि उसे और मज़बूती से थामेगी।”


उनकी नज़दीकियाँ अब शब्दों से बाहर निकल चुकी थीं। एक दिन शूट के बाद, जब काव्या थकी हुई थी, आरव ने उसके लिए खाना बनाया।

“तेरे जैसे लड़के किचन में क्या कर रहे होते हैं?” उसने चौंकते हुए पूछा।

“तेरे लिए कहानी भी लिखता हूँ और खाना भी बनाता हूँ। और क्या चाहिए?”

काव्या ने मुस्कराकर कहा, “बस तू, ऐसे ही हर दिन।”


लेकिन हर कहानी में एक मोड़ ज़रूरी होता है। एक रात, जब वे दोनों अपनी कहानी के टाइटल पर डिस्कस कर रहे थे, काव्या का फोन बजा। कॉल था — रणविजय का।

“रणविजय?” आरव ने नाम सुनकर चेहरा टटोलते हुए पूछा।

काव्या थोड़ी झिझकी, “हमारे स्कूल का दोस्त है। पिछले महीने LA से लौटा है। अब इंडिया में प्रोडक्शन हाउस शुरू कर रहा है... मुझे ऑफर दिया है।”

आरव शांत रहा, पर उसकी आँखों में हल्का संशय तैरने लगा।

“तुने क्या कहा?” उसने धीरे से पूछा।

“अभी कुछ नहीं। सोचा पहले तुझसे पूछ लूँ।”


रात भर दोनों चुप रहे। न कोई तकरार, न बहस — बस सन्नाटा। शायद प्यार के रिश्ते में सबसे बड़ी परीक्षा वही होती है जब कोई तीसरा नाम बीच में आ जाए, भले ही वो अतीत से क्यों न जुड़ा हो।

पर सुबह जब काव्या उठी, उसे टेबल पर एक छोटा सा नोट मिला —

“अगर तेरी उड़ान ऊँचाई तक जा रही हो, तो मैं सिर्फ ये चाहता हूँ कि तू बिना डर के उड़ सके। मैं हमेशा तेरा रनवे बनकर खड़ा रहूँगा।”

उस नोट के साथ एक गुलाब रखा था — वही, जो आरव पहली मुलाकात के दिन लाया था, पर कभी दे नहीं पाया था।

काव्या की आँखों से दो बूँदें टपकीं, लेकिन इस बार वो 

आँसू दर्द के नहीं थे। वो भरोसे और प्यार की थी।

इस कहानी का टाइटल अब साफ था — “MUZE” — एक ऐसा इश्क़ जो तकरार से शुरू होकर ताजगी तक पहुँचा था।