समीरा अपनी किताब में इतनी डूबी हुई थी कि उसे एहसास भी नहीं हुआ कि कोई उसके करीब आ चुका है।
"ओहो! फिर से रोमांटिक नॉवेल?" रिया ने हँसते हुए कहा, और समीरा की किताब को हल्के से नीचे किया ताकि उसका कवर देख सके।
समीरा ने चौंककर ऊपर देखा और फिर हल्की मुस्कान के साथ किताब बंद कर दी। "रिया, तुमने मुझे डरा ही दिया!"
रिया शरारती अंदाज में उसके सामने बैठ गई। "तुम हर बार ऐसे खो जाती हो जैसे खुद इस कहानी की हीरोइन हो। क्या सच में तुम्हें भी ऐसा कोई परफेक्ट लव स्टोरी वाला हीरो चाहिए?"
समीरा ने हल्का-सा पाउट बनाया और बोली, "कौन नहीं चाहता? पर असल ज़िंदगी में ऐसा होता कहाँ है?"
रिया हँस दी, "अरे, असल ज़िंदगी में भी कहानियाँ होती हैं, बस हमें उन्हें देखने का नजरिया बदलना पड़ता है।"
समीरा ने सिर झुकाकर किताब की धूल झाड़ी और धीरे से कहा, "शायद... पर मुझे लगता है कि कहानियों की दुनिया ज़्यादा खूबसूरत होती है। यहाँ दिल टूटते नहीं, यहाँ सबकुछ अच्छा होता है।"
रिया ने उसकी आँखों में देखा और हल्के से मुस्कराई, "कभी-कभी असली दुनिया की कहानियाँ ज़्यादा खूबसूरत होती हैं, बस तुम्हें सही इंसान का इंतज़ार करना होगा।"
समीरा की आँखें कहीं दूर शून्य में अटकी थीं, जैसे किसी पुरानी याद में खो गई हो।
रिया ने उसकी यह हालत देखी तो हल्के से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "क्या हुआ समीरा? तुम अचानक इतनी उदास क्यों हो?"
समीरा ने गहरी साँस ली और बोली, "कुछ नहीं रिया, बस अंकिता बुआ के बारे में सोच रही थी। उनका प्यार में जो हाल हुआ... मैं सोच भी नहीं सकती कि किसी को इतना बड़ा धोखा कैसे मिल सकता है।"
रिया ने पूछा, "क्या हुआ था अंकिता बुआ के साथ?"
समीरा ने अपनी आँखें बंद कीं और बीते दिनों की ओर लौट गई।
"अंकिता बुआ बहुत खुशमिज़ाज और हँसमुख इंसान थीं। उनकी ज़िंदगी में इमरान नाम का एक लड़का आया था। वे दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे। लेकिन एक दिन, अचानक इमरान ने उन्हें छोड़ दिया। बिना कोई कारण बताए, बिना कुछ कहे-सुने, वो बस चला गया। अंकिता बुआ को ऐसा झटका लगा कि वो कई महीनों तक खुद को सँभाल नहीं पाईं। उनका हँसता-खेलता चेहरा ग़मगीन हो गया। वो अक्सर अकेले बैठकर रोती थीं। उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की कि इमरान वापस आ जाए, लेकिन उसने उनकी एक न सुनी। वो इस वजह से पुरी तरह टूट चुकी है उनके मानसिक हालत बिलकुल ठीक नहीं है उन्हें दोरे पडते है | "
यह कहते-कहते समीरा की आवाज़ धीमी हो गई। उसने अपने हाथों को कसकर भींच लिया। उसकी आँखों में दर्द झलकने लगा।
रिया ने सहानुभूति से कहा, "ये तो बहुत दुखद है... लेकिन प्यार हमेशा ऐसा नहीं होता न? सभी लोग धोखा नहीं देते।"
समीरा ने अपना सिर हिलाते हुए कहा, "मैं नहीं जानती रिया, लेकिन मुझे प्यार से डर लगने लगा है। जिस इंसान को हम अपनी जान से भी ज्यादा चाहें, अगर वही हमें छोड़कर चला जाए तो इंसान बिखर जाता है। प्यार हमें बेहद कमजोर बना देता है। मैं नहीं चाहती कि मेरे साथ ऐसा हो।"
रिया ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "शायद तुम्हारा नजरिया प्यार को लेकर बहुत कड़वा हो गया है। लेकिन मेरे लिए प्यार दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है। इसमें एक अजीब-सा जादू होता है, जो हमारी ज़िंदगी को संवार सकता है। सच्चा प्यार कभी किसी को तोड़ता नहीं, बल्कि उसे और मजबूत बनाता है। मुझे तो लगता है कि काश! मुझे भी कभी किसी से सच्चा प्यार हो जाए।"
समीरा ने तुरंत उसकी बात काटते हुए कहा, "नहीं रिया! ऐसी दुआ मत माँग। प्यार में सिर्फ दर्द है। हमें अपने करियर पर फोकस करना चाहिए, ताकि हम अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकें। अगर हम इस बेकार की चीज़ में उलझ गए, तो हमारी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी।"
रिया ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "प्यार बेकार की चीज़ नहीं होती समीरा। यह हमें संवार भी सकता है और सिखा भी सकता है। अंकिता बुआ की कहानी से यह साबित नहीं होता कि प्यार गलत चीज़ है, बल्कि यह साबित होता है कि हमें सच्चे और झूठे प्यार में फर्क करना आना चाहिए।"
समीरा चुप रही। उसकी आँखों में संघर्ष साफ़ झलक रहा था। एक तरफ़ अंकिता बुआ का दर्द था, जिसने उसे प्यार से दूर कर दिया था, और दूसरी तरफ़ रिया का विश्वास था, जो प्यार को सबसे पवित्र चीज़ मानती थी।
प्यार—एक एहसास या एक छलावा?
समीरा चुपचाप बैठी रही। रिया की बातों ने उसके दिल में कहीं गहरे तक हलचल मचा दी थी। क्या सच में प्यार इतना खूबसूरत हो सकता है, जितना रिया सोचती है? या फिर यह सिर्फ़ एक भ्रम है, जो लोगों को तबाह कर देता है?
रिया ने समीरा की चुप्पी भांप ली और धीरे से बोली, "देखो, मैं मानती हूँ कि अंकिता बुआ के साथ जो हुआ, वो बहुत बुरा था। लेकिन हर इंसान एक जैसा नहीं होता। क्या तुमने कभी सोचा है कि अगर डर की वजह से हम प्यार से भागते रहे, तो शायद हम कभी असली खुशी को महसूस ही नहीं कर पाएँगे?"
समीरा ने धीरे से सिर उठाया और ठंडी आवाज़ में कहा, "पर मैं इस खुशी की कीमत नहीं चुका सकती, रिया। मुझे अपनी ज़िंदगी किसी और के भरोसे नहीं छोड़नी। अगर किसी से जुड़ने का मतलब यह हो कि वो कभी भी हमें छोड़कर जा सकता है, तो मैं अकेली ही ठीक हूँ।"
रिया ने एक गहरी साँस ली और बोली, "तो क्या तुम सच में अकेले ही ज़िंदगी बिताना चाहती हो? बिना किसी के साथ के?"
समीरा ने कोई जवाब नहीं दिया। वह किताब को घूरती रही, लेकिन अब उसमें डूबने का मन नहीं था।
प्यार और आत्मनिर्भरता
रिया ने अपनी जगह से उठते हुए कहा, "अकेले रहना कोई ताक़त की निशानी नहीं होती, समीरा। प्यार का मतलब यह नहीं कि हम अपनी पहचान खो दें। सच्चा प्यार हमें कमज़ोर नहीं बनाता, बल्कि और मज़बूत करता है।"
समीरा ने गहरी साँस ली और बोली, "लेकिन रिया, कैसे पहचानें कि कौन-सा प्यार सच्चा है और कौन-सा झूठा?"
रिया मुस्कराई और बोली, "दिल से, समय लेकर, और समझदारी से। प्यार सिर्फ़ एक अहसास नहीं होता, यह एक समझदारी भरा फ़ैसला भी होता है। कोई भी रिश्ता बिना भरोसे और सम्मान के टिक नहीं सकता। अगर कोई इंसान तुम्हारे आत्मसम्मान और ख़ुशियों की परवाह नहीं करता, तो वह प्यार नहीं, एक छलावा है।"
समीरा ने पहली बार गहराई से रिया की बातों को सुना। शायद वह सही कह रही थी।
पुराने ज़ख़्म और नई उम्मीदें
रिया ने समीरा का हाथ थामते हुए कहा, "अंकिता बुआ की कहानी दुखद है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हम सबके साथ भी वही होगा? हर किसी की तक़दीर एक जैसी नहीं होती। तुमने कितनी किताबें पढ़ी हैं, वहाँ भी तो नायक-नायिका के सफ़र अलग होते हैं, है ना?"
समीरा हल्की मुस्कान के साथ बोली, "हाँ, लेकिन असली ज़िंदगी किताबों जैसी नहीं होती।"
रिया हँसकर बोली, "लेकिन ज़िंदगी भी तो अपने ही तरीके से कहानियाँ लिखती है। हमें उसे समझना और जीना सीखना चाहिए।"
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