📘 अदृश्य प्रेम – एक आत्मा की अधूरी दास्तान
✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी
🕯️ भाग 1: पहली दस्तक
> "कुछ दरवाज़े सिर्फ़ चाबी से नहीं, क़िस्मत से खुलते हैं… और कुछ दस्तकें सिर्फ़ आवाज़ नहीं लातीं – वो पूरा अतीत खींच लाती हैं।"
---
सितम्बर की शुरुआत थी। हल्की-सी ठंड ने काठमांडू की गलियों में दस्तक दे दी थी।
आर्यन – एक यंग राइटर, जो अपनी पहली किताब लिखने के लिए एकांत की तलाश में था, उसे एक पुराना बंगला मिल गया — “शांति निवास”।
"कोई नहीं रहता अब वहाँ… कहते हैं किसी ज़माने में वहाँ एक लड़की रहती थी, जो…"
ब्रोकर की बात अधूरी रह गई।
आर्यन ने सोचा, “बस! अब यहीं से मेरी किताब की शुरुआत होगी।”
---
🌃 पहली रात...
बंगला अंदर से बड़ा शांत था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें, झाड़ू से हटाई गई धूल, और एक टेबल जिस पर अब भी गुलाब की सूखी पंखुड़ियाँ बिखरी थीं।
आर्यन ने अपनी डायरी खोली —
> "नई जगह, नया माहौल… शायद यहीं मेरी कहानियाँ मुझसे बातें करें..."
रात के ठीक 12 बजे…
ठक ठक… ठक ठक…
दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी।
"कौन है?" — आर्यन ने आवाज़ लगाई।
कोई जवाब नहीं। दरवाज़ा खोला — बाहर कोई नहीं था।
लेकिन नीचे ज़मीन पर एक सफेद चिट्ठी रखी थी…
---
✉️ चिट्ठी पर लिखा था:
> "तुम आ गए... मैंने बहुत इंतज़ार किया तुम्हारा। अब मत जाना..."
— "S"
आर्यन के रोंगटे खड़े हो गए।
"ये मज़ाक है या कोई पहेली?"
---
🌙 और तभी…
पीछे कमरे में रखे पुराने पियानो से खुद-ब-खुद एक धुन बजने लगी...
> 🎵 "तेरी यादों की परछाई, अब भी इन दीवारों से बात करती है..." 🎵
आर्यन धीरे-धीरे उस कमरे की ओर बढ़ा…
📘 अदृश्य प्रेम – एक आत्मा की अधूरी दास्तान
✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी
🕯️ भाग 1: पहली दस्तक
> "कुछ दरवाज़े सिर्फ़ चाबी से नहीं, क़िस्मत से खुलते हैं… और कुछ दस्तकें सिर्फ़ आवाज़ नहीं लातीं – वो पूरा अतीत खींच लाती हैं।"
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सितम्बर की शुरुआत थी। हल्की-सी ठंड ने काठमांडू की गलियों में दस्तक दे दी थी।
आर्यन – एक यंग राइटर, जो अपनी पहली किताब लिखने के लिए एकांत की तलाश में था, उसे एक पुराना बंगला मिल गया — “शांति निवास”।
"कोई नहीं रहता अब वहाँ… कहते हैं किसी ज़माने में वहाँ एक लड़की रहती थी, जो…"
ब्रोकर की बात अधूरी रह गई।
आर्यन ने सोचा, “बस! अब यहीं से मेरी किताब की शुरुआत होगी।”
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🌃 पहली रात...
बंगला अंदर से बड़ा शांत था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें, झाड़ू से हटाई गई धूल, और एक टेबल जिस पर अब भी गुलाब की सूखी पंखुड़ियाँ बिखरी थीं।
आर्यन ने अपनी डायरी खोली —
> "नई जगह, नया माहौल… शायद यहीं मेरी कहानियाँ मुझसे बातें करें..."
रात के ठीक 12 बजे…
ठक ठक… ठक ठक…
दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी।
"कौन है?" — आर्यन ने आवाज़ लगाई।
कोई जवाब नहीं। दरवाज़ा खोला — बाहर कोई नहीं था।
लेकिन नीचे ज़मीन पर एक सफेद चिट्ठी रखी थी…
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✉️ चिट्ठी पर लिखा था:
> "तुम आ गए... मैंने बहुत इंतज़ार किया तुम्हारा। अब मत जाना..."
— "S"
आर्यन के रोंगटे खड़े हो गए।
"ये मज़ाक है या कोई पहेली?"
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🌙 और तभी…
पीछे कमरे में रखे पुराने पियानो से खुद-ब-खुद एक धुन बजने लगी...
> 🎵 "तेरी यादों की परछाई, अब भी इन दीवारों से बात करती है..." 🎵
आर्यन धीरे-धीरे उस कमरे की ओर बढ़ा…
📘 अदृश्य प्रेम – एक आत्मा की अधूरी दास्तान
✍️ लेखक: राजु कुमार चौधरी
🕯️ भाग 1: पहली दस्तक
> "कुछ दरवाज़े सिर्फ़ चाबी से नहीं, क़िस्मत से खुलते हैं… और कुछ दस्तकें सिर्फ़ आवाज़ नहीं लातीं – वो पूरा अतीत खींच लाती हैं।"
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सितम्बर की शुरुआत थी। हल्की-सी ठंड ने काठमांडू की गलियों में दस्तक दे दी थी।
आर्यन – एक यंग राइटर, जो अपनी पहली किताब लिखने के लिए एकांत की तलाश में था, उसे एक पुराना बंगला मिल गया — “शांति निवास”।
"कोई नहीं रहता अब वहाँ… कहते हैं किसी ज़माने में वहाँ एक लड़की रहती थी, जो…"
ब्रोकर की बात अधूरी रह गई।
आर्यन ने सोचा, “बस! अब यहीं से मेरी किताब की शुरुआत होगी।”
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🌃 पहली रात...
बंगला अंदर से बड़ा शांत था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें, झाड़ू से हटाई गई धूल, और एक टेबल जिस पर अब भी गुलाब की सूखी पंखुड़ियाँ बिखरी थीं।
आर्यन ने अपनी डायरी खोली —
> "नई जगह, नया माहौल… शायद यहीं मेरी कहानियाँ मुझसे बातें करें..."
रात के ठीक 12 बजे…
ठक ठक… ठक ठक…
दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी।
"कौन है?" — आर्यन ने आवाज़ लगाई।
कोई जवाब नहीं। दरवाज़ा खोला — बाहर कोई नहीं था।
लेकिन नीचे ज़मीन पर एक सफेद चिट्ठी रखी थी…
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✉️ चिट्ठी पर लिखा था:
> "तुम आ गए... मैंने बहुत इंतज़ार किया तुम्हारा। अब मत जाना..."
— "S"
आर्यन के रोंगटे खड़े हो गए।
"ये मज़ाक है या कोई पहेली?"
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🌙 और तभी…
पीछे कमरे में रखे पुराने पियानो से खुद-ब-खुद एक धुन बजने लगी...
> 🎵 "तेरी यादों की परछाई, अब भी इन दीवारों से बात करती है..." 🎵
आर्यन धीरे-धीरे उस कमरे की ओर बढ़ा…