Raju aur badal ka phone in Hindi Short Stories by Raju kumar Chaudhary books and stories PDF | राजु और बादल का फोन

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राजु और बादल का फोन

कहानी: “राजु और बादल का फोन” 

प्रसौनी गाँव के खेत इस बार कुछ उदास दिख रहे थे। चारों ओर सूखा, फटी हुई ज़मीन, और किसान की आँखों में चिंता की लकीरें। इन किसानों में से सबसे ज्यादा बेचैन था राजु। राजु हमेशा अपने खेत को संवारता, समय पर बोआई करता, पर इस बार आसमान ने जैसे मुँह फेर लिया था।

रोज सुबह-सुबह राजु बैलगाड़ी से खेत तक जाता। ज़मीन को हाथ में लेकर देखता—“सूख गई मिट्टी। ये धान का पौधा कैसे जिंदा रहेगा?”
वह आसमान की ओर देखता और कहता, “हे भगवान! क्या हमसे कुछ गलती हो गई? बरसात भेज दो, वरना फसल बर्बाद हो जाएगी।”

लेकिन दिन बीतते गए, आसमान खाली और गर्म रहा। गाँव के लोग भी परेशान थे। कुएँ का पानी सूखने लगा, तालाब सूखने लगे।


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राजु का पागलपन

एक शाम गाँव की चौपाल पर लोग बैठे थे। कोई कह रहा था, “मुंबई में तो हर दिन बारिश हो रही है।”
दूसरा बोला, “गुजरात में बाढ़ आ गई है।”
राजु यह सुनकर फट पड़ा—
“अरे, बादलवा को कौन बताए कि प्रसौनी भी दुनिया में है! वहाँ पार्टी मना रहे हैं, यहाँ खेत मर रहे हैं। ऐसा नहीं चलेगा!”

गाँव वाले हँसने लगे, पर राजु गंभीर था। वह बोला,
“अब मैं खुद बादलवा को फोन करूंगा। बात साफ-साफ कर दूंगा कि प्रसौनी को मत भूलो।”


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बादल को फोन करने का जुगाड़

राजु अपनी बैलगाड़ी का एक पहिया निकाल लाया। उसने गाँव के बच्चों को बुलाया और कहा—
“देखो बेटा, आज हम बादल को फोन करने वाले हैं। ये पहिया टेलीफोन का डायल है। रस्सी को वायर समझो। अब देखो कैसे बादलवा को कॉल करेंगे।”

बच्चों ने शोर मचाया—“राजु चाचा बादल से बात करेंगे!”

राजु ने आसमान की तरफ रस्सी फेंकते हुए कहा—
“हैलो बादलवा! मुंबई-गुजरात घूमे हो, अब प्रसौनी भी घूम आओ। धान लगाना है, खेत प्यासी है। जल्दी बरसो नहीं तो गुस्सा कर देंगे!”

गाँव के लोग ये नाटक देखकर हँसी नहीं रोक पा रहे थे। किसी ने मज़ाक में कहा,
“राजु, अगर बादल उठाए फोन, तो कहना दो घंटे जोरदार बारिश दे।”


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आसमान का जवाब

और अरे वाह! जैसे ही राजु ने ये कहा, आसमान में काले बादल घिरने लगे। हवा चलने लगी। लोग हैरान रह गए।
राजु बोला—
“देखा! हमसे कहे रहनी... फोन लगाइए, बादल जरूर बरसेंगे।”

थोड़ी देर में बारिश शुरू हुई। खेतों में जान आ गई। बच्चे बारिश में नाचने लगे, और राजु खुशी से कूद पड़ा।


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राजु का नाम

उस दिन के बाद गाँव के लोग राजु को “बादल बुलाने वाला बाबा” कहने लगे।
राजु मुस्कुराकर कहता,
“अरे भाई, बादल हो या किस्मत, मेहनत और उम्मीद से ही सब कुछ बदलता है। हम मेहनत करेंगे, तो बादल भी फोन कर देंगे।”


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कहानी की सीख:

कभी-कभी हँसी-मजाक में की गई जिद भी उम्मीद की ताकत बन जाती है। विश्वास और मेहनत से ही जीवन की सूखी ज़मीन पर बारिश होती है।

📚 राजु कुमार चौधरी
✍️ लेखक | कवि | कहानीकार
📍 प्रसौनी, पर्सा, नेपाल

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