khoya huaa gav in Hindi Travel stories by kajal Thakur books and stories PDF | खोया हुआ गाँव

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खोया हुआ गाँव


मेरा नाम अनन्या है। मैं एक ट्रैवल ब्लॉगर हूँ। देश-विदेश घूमना, नई जगहें खोजना मेरा जूनून है। लेकिन जो अनुभव मुझे उत्तराखंड की एक गुमनाम यात्रा में मिला, वो मैंने न कभी लिखा, न कभी बताया। आज पहली बार तुमसे बाँट रही हूँ – एक "खोए हुए गाँव" की कहानी।

भाग 1: रहस्यमय नक्शा

देहरादून के एक पुराने कबाड़ी बाज़ार में, मुझे एक फटी-पुरानी किताब मिली – "हिमालय के भूले-बिसरे गाँव"। उसके भीतर एक हाथ से बना नक्शा रखा था। उस नक्शे पर एक जगह का नाम लिखा था – "निनगाल" – जो किसी भी आधुनिक नक्शे में नहीं मिलता। किताब में लिखा था:"यह गाँव एक बार देखा, तो फिर लौटना मुश्किल है।"

मेरी जिज्ञासा जाग चुकी थी। मैंने तय किया – मैं निनगाल ढूंढूँगी।

भाग 2: बिना रास्ते की राह

मैं अकेली ही उत्तरकाशी की तरफ रवाना हुई। टैक्सी ड्राइवर, होटल वाले, लोकल गाइड – कोई भी “निनगाल” का नाम नहीं जानता था। लेकिन एक 90 साल के बुज़ुर्ग बाबा ने कहा:

“अगर सच में जाना चाहती हो, तो सुबह 4 बजे बूढ़ा देव का रास्ता पकड़ना। वो रास्ता आजकल कोई नहीं जाता।”

सर्दी की सुबह थी, घना कोहरा और पहाड़ी जंगल का सन्नाटा। रास्ता कच्चा, पथरीला और सुनसान था। 3 घंटे की चढ़ाई के बाद, मुझे एक पुरानी घंटी की आवाज़ सुनाई दी।

भाग 3: समय से बाहर गाँव

घने जंगल के पार अचानक धूप खिली। सामने एक गाँव – बिल्कुल जैसे 18वीं सदी में कोई गाँव होता। मिट्टी के घर, लकड़ी की खिड़कियाँ, और लोग पुराने पहाड़ी कपड़ों में। लेकिन सबसे अजीब बात – गाँव के लोग मुझे देखकर चौंके नहीं। ऐसा लगा जैसे मुझे वो जानते हों।

एक औरत आगे आई, बोली –

“अनन्या… तुम आखिरकार आ गईं। हमें पता था तुम लौटोगी।”

मैं कभी यहाँ नहीं आई थी। फिर भी उस गाँव में हर एक चीज़ जानी-पहचानी लग रही थी।

भाग 4: एक और जीवन की यादें

अगली रात मुझे एक सपना आया। उस सपने में मैं निनगाल की ही एक लड़की थी – “नैना”। मेरा विवाह गाँव के योद्धा “वीर” से हुआ था, लेकिन एक युद्ध में वीर मारा गया और मैंने गाँव छोड़ दिया था। वही सपना हर रात आने लगा। धीरे-धीरे मुझे अपने पिछले जन्म की यादें आने लगीं।

भाग 5: लौटने की उलझन

जब मैंने गाँव से लौटना चाहा, एक बुज़ुर्ग बोला:

“जो निनगाल एक बार देख ले, उसका दिल यहीं रह जाता है। वापस जाओगी तो शरीर ले जाओगी, आत्मा यहीं रह जाएगी।”

लेकिन मुझे लौटना था।

मैं किसी तरह नीचे गाँव आई, फिर देहरादून, और अब वापस शहर में हूँ… लेकिन…आज: एक सवाल बाक़ी है

निनगाल अब मुझे फिर नहीं मिला। ना नक्शा, ना रास्ता, ना वो किताब।

क्या वो सपना था? या सचमुच मैंने एक भूला हुआ गाँव देखा?क्या तुमने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है… जो तुम्हारे होने से भी पहले का हिस्सा हो?अगर तुम कभी उत्तरकाशी जाओ… और कहीं “बूढ़ा देव” लिखा देखो… तो रुको ज़रूर… क्या पता निनगाल तुम्हें भी पुकार रहा हो…

"खोया हुआ गाँव" –

भाग 2: आत्मा की वापसीपिछले भाग से आगे…

मैं शहर लौट चुकी थी, लेकिन मेरी रातें अब भी निनगाल के जंगलों में भटक रही थीं। हर रात सपना आता — वीर की आंखें मुझे देख रही थीं, जैसे कोई वादा अधूरा रह गया हो।और एक रात… मैं नींद में चलकर खुद को देहरादून रेलवे स्टेशन पर खड़ा पाया।

भाग 1: दूसरी पुकार

मेरे हाथ में कोई टिकट नहीं था, लेकिन जेब में वो पुराना नक्शा फिर से था — जो मैंने गुम हो जाने के बाद कभी नहीं देखा था।नक्शे पर अब नया निशान था — एक लाल बिंदु, और उसके नीचे लिखा था:

"जहाँ समय फिर से शुरू होता है।"

मैंने फैसला किया — इस बार वापसी सिर्फ एक यात्रा नहीं, एक कर्म का फल होगी।

भाग 2: वीर की कसम

मैं उसी रास्ते पर लौटी, लेकिन अब वो पगडंडी नहीं थी — वहाँ एक नई सीढ़ियाँ थीं, जैसे किसी ने उन्हें मेरे लिए बनाया हो।

निनगाल गाँव वैसा ही था — समय से बाहर ठहरा हुआ।लेकिन इस बार गाँव सुनसान था।

सिर्फ एक घर खुला था — वीर का।दरवाज़े पर वही औरत खड़ी थी, जो मुझे पहली बार मिली थी।

वो बोली —

“अनन्या नहीं, नैना… तुम्हारा इंतज़ार 143 साल से हो रहा है।”

भाग 3: पुनर्जन्म की पूजा

गाँव के बीचों-बीच एक प्राचीन मंदिर था — "काल देव" का।मुझे वहाँ पूजा के लिए बैठाया गया। एक अग्नि जली और सामने वीर की आत्मा प्रकट हुई।उसने कहा:

“हमारा बंधन अधूरा था नैना। तुमने लौट कर मेरी आत्मा को मुक्त किया। लेकिन अब… तुम्हें एक बार फिर इस जीवन से गुजरना होगा।”

मैंने पूछा, “कैसे?”

वो बोला —

“एक और जन्म, एक और कहानी… लेकिन इस बार हम साथ खत्म करेंगे।”भाग 4: लौटती आत्मा, नया जीवन

मैं वापस शहर आ गई, लेकिन अब मैं वैसी नहीं थी।

कुछ महीने बाद, एक लेखक सम्मेलन में मेरी मुलाक़ात एक अजनबी लड़के से हुई।उसका नाम था – वीर मल्होत्रा।

उसे देखते ही मेरी रूह काँप उठी।वो बोला:

“तुम… अनन्या हो न? मुझे लग रहा है जैसे हम पहले भी कहीं मिल चुके हैं…”

मैं मुस्कुराई और बोली —

“हाँ, शायद… निनगाल में।”क्या यही अंत है? या एक और शुरुआत?

क्या तुम जानना चाहोगी कि अनन्या और वीर का ये जन्म क्या सच में आखिरी है?या कोई नया रहस्य फिर उनका इंतज़ार कर रहा है?