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वैभव वैशाली को बहोत प्यार से सुप पीलाने लगा... हर चम्मच को वो पहले फूक मारक ठंडा करत फिर उसे पीलाता... वैभव के प्यार को देख वैशाली के आंखों से आसूं बहने रहे थे...
आगे_________
" अरे क्या हुआ सूप तीखा है क्या...? " वैभव ने वैशाली के आंसू देखकर झट से पुछा, उसकी बात पर वैशाली चेहरा दुसरी तरफ कर आंसू पोंछती, ना में सर हिलाती है। वो वैशाली को खाना और दवाई खिला सुला देता है।
कुछ ही देर में दवाई के असर से वैशाली सो गई। पर वैभव अब भी जागता उसे एक टक देख रहा था। उसके सर पर लगी चोट को देखता हुआ उसने अफसोस में धीमी से फुसफुसाया
" मुझे माफ़ कर दो वैशू! ये सब मेरी वजह से हुआ है। कही ना कही मैं ही जिम्मेदार हूं तुम्हारे दर्द का, तुम्हारी निराशा का, मैं तुम्हारी आशा पे खरा नहीं उतर पा रहा हूं। ये सब मेरी वजह से हुआ है। ना मैं उस दिन लेट से आता, ना हमारा झगड़ा होता और ना ही तुम... I'm sorry Jaan.. I'm so sorry....!
मैं क्या करूं वैशू मैं जो भी कर रहा हूं वो हमारे फियूचर के लिए है। हमारे आने वाले बच्चों और तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूं। पर शायद मैं भूल गया... फ्यूचर से पहले प्रेजेंटे आता है। अगर वही सही नहीं हुआ तो आने वाले कल का कोई मतलब नहीं...! पर तुम फिर मत करो अब ऐसा नहीं होगा, आज पहली बार तुम्हें खोने का एहसास हुआ मुझे... यु लगा जैसे सांसे बंद हो गई हो मेरी... पुरे रास्ते कितने बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे मन में,
मैं तुमसे बहोत प्यार करता हुं। तुम मेरी जान हो... तुम्हें कुछ हुआ तो... नहीं तुम्हें कभी कुछ नहीं होगा मैं हूं ना..! love you Vasu...! I love you so much... "
वैभव वैशाली के सर को हल्के से चुम कर उसे ठीक से चादर ओढ़ा खुद भी लेट जाता है। तो जैसे वैशाली उसे अध खुली आंखों से ही देख और सुन रही थी। अपने लिए वैभव के दिल में इतना प्यार देख वो तो जैसे फुली नहीं समा रही थी। उसने धीरे से कहा " I love you too... Vaibhav...!"
देर रात वैशाली की आंखें खुली वो बेचेन सी उठकर बैठ गई और पास में सो रहे वैभव को देखा और फिर बिस्तर से उतरने लगी... आहट सुनकर वैभव की आंखें भी खुली, देखा तो वैशाली अपने चोट वाले पैर को जमीन पर रखने की कोशिश कर रही थी।
" वैशू क्या कर रही हो, क्या हुआ... तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे बोलना था ना... " वैभव उठकर उसकी साइड आते हुए बोला
" नहीं, वो मैं..." उसकी तरफ देख बिना बोली
" क्या हुआ तुम्हें पानी चाहिए..?"
" नहीं वो... वो... मुझे..." वैशाली थोड़ा झिझकते हुए बाथरूम की तरफ देख इशारा करती है।
" तुम्हें वॉशरूम जाना है। अरे तो बोला चाहिए ना बाबा.... चलो..." वैभव ने हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा
" नहीं,, वैभव मै चली जाउंगी... "
" अपने आप कैसे जाओगी, लंगड़ी करते हुए। अभी तुम वो भी नहीं कर सकती ठीक से... "
वैभव उसे सहारा देकर खड़ा करता है। पर वैशाली के पैर में चलने से दर्द हो रहा था। जिसे देख वैभव उसे गोद में उठा लेता है। वैशाली थोड़ी हड़बड़ा सी गई।
" वैभव क्या... क्या कर रहे हो... "
" क्यों क्या हुआ... पहली बार गोद में उठाया है क्या? फ़िक्र मत करो किराया नहीं लूंगा इस सवारी का... " वैभव के मज़ाक से वैशाली के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई।
वैभव उसे वैसे ही गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया और फिर वैसे ही वापस लाकर उसे आराम से लेटा देता है। और उसके पैर को तकिए पर रख ठीक से चादर ओढ़ा सुला दिया... वैशाली को वैभव की ये केयर बहोत अच्छी लग रही थी।
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सुबह___
वैशाली की आंखें खुली तो उसने देखा वैभव पास नहीं था। घड़ी में 10.30 बज रहे थे। उसे लगा वैभव ऑफिस चला गया है।
वो थोड़ी मायूसी सी बिस्तर से उठने की कोशिश करती है। उसके पैर और सर में अब भी बहोत दर्द था।
" अरे... वैशू ये क्या कर रही हो तुम उठ गई थी तो आवाज़ देना चाहिए था ना.... आओ, क्या हुआ तुम्हें वॉशरूम जाना है। "
वैभव दरवाजे से अन्दर उसके पास आकर उसे सहारा देता हुआ बोला, उसे देख वैशाली हैरान थी। अब तक तो वो ऑफिस चला जाता है।
" वैभव दस बज चुके हैं। तुम ऑफिस नहीं गए...? "
" तुम्हें ऐसे छोड़ के ऑफिस कैसे जा सकता हूं। मैंने कुछ दिन की छुट्टी ली है जब तक तुम ठीक ना हो जाओ... चलो मैं तुम्हारी हैल्प कर देता हूं। तुम फ्रेश हो जाओ फिर नाश्ता करके दवाई खानी है। "
वैभव वैशाली को गोद में उठाकर बाथरूम ले गया उसकी हैल्प की नहाने और कपड़े पहने में... वैशाली को तो यकिन ही नहीं हो रहा था। वैभव उससे इतना प्यार करता है। जिसने अपनी बीमारी में भी काम से ठीक से छुट्टी नहीं ली, वो उसके लिए सब छोड़ के घर पर बैठ गया।
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इसी तरह दिन गुजरने लगे, वैभव के प्यार और परवाह से वैशाली धीरे धीरे ठीक होने लगी उसके सर की पट्टी उतर चुकी थी। पर पैर अब भी ठीक नहीं हुआ था।
इस बीच वैशाली ने नोटिस किया जैसे वैभव पुरा समय सिर्फ उसी को दे रहा था। उसने एक बार भी ऑफिस का काम या उसकी बातें करते हुए भी वैभव को नहीं देखा...
दोनों के बीच बेशुमार प्यार था। इन दिनों वो सारा वक़्त साथ साथ बिताते, वैभव की प्यारी और हंसी मजाक मस्ती की बातें जैसे वैशाली के चेहरे की रंगत बढ़ा देती,
दोनों खुब बातें करते पुराने दिनों को याद करते, गेम्स खेलते, फिल्म देखते, एक दुसरे को परेशान भी करते, थोड़ा रोमेंस होता और ढेर सारा प्यार करते, जैसे ये समय दोनों के जीवन का सबसे अच्छा समय था। कहते हैं ना हर बुरी परिस्थिति में भी कुछ अच्छाई छुपी होती है बस उसे देखना आना चाहिए।
वैभव वैशाली का बहोत ख्याल रख रहा था। सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक वो वैशाली के लगभग हर काम में उसकी मदद करता... उसके नहाने से लेकर कपड़े पहनने तक क्योंकि उसके पैर में गहरी चोट थी जिसके दर्द के कारण वो ज्यादा देर खड़ी नहीं हो पाती थी।
वैभव उसे सहारा देकर चलने में मदद करता और जब वो लड़खड़ा कर गिरती तो उसे थाम भी लेता।
उसे अपने हाथों से खाना खिलाना, उसे सजाना, उसके बाल तक वो बनाता था।
कभी कभी वैशाली के पैरों में जब तेज़ दर्द होता तो वैभव उसके पैरों की मालिश भी करता था। और घंटों उसे बाहों में लेकर बैठे रहता.... वैशाली के दर्द की जैसे वो दवा बन गया था। उसके बाहों में उसे भी आराम मिल जाता। सच कहें तो वो चाहती ही नहीं थी की वो कभी ठीक हो, अगर वैभव हमेशा उसे ऐसे ही प्यार करे।
वैभव का ये व्यवहार देख जैसे वैशाली कभी कभी खुशी से रो भी पड़ती थी।
वैशाली जैसे एक नए वैभव को देख रही थी। हालांकि दोनों कि लव मैरिज है। पर वैभव जैसे अब और ज्यादा प्यार और परवाह करने लगा था उसकी....
इस बीच वैभव कभी कभी थोड़ा परेशान भी लगता वैशाली उसे अक्सर घंटों लैपटॉप पर वेबसाइट चैक करते, अपने अकाउंट चेक करते देखती थी। उसे पता नहीं ऐसा क्यों? वो जब कोशिश करती पुछने की तो वो हंस कर टाल देता।
इसी तरह लगभग 15 दिन बीत गए, वैशाली अब पुरी तरह ठीक लग रही थी। वो धीरे धीरे चलने भी लगी थी।
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कहानी जारी है.........
[ ज़िन्दगी में प्यार बहोत जरूरी है। और पत्नी को अगर सबसे ज्यादा कुछ चाहिए होता है अपने पति से तो वो है। प्यार , सम्मान, उसके जीवन में अपने लिए एक विशेष स्थान, हालांकि जीवन सिर्फ प्यार और परवाह से नहीं चलता इसे बेहतर तरीके से चलाने में बहोत मेहनत लगती है। दोनों को थोड़ा थोड़ा झुकना पड़ता है। और दोनों को ही एक-दूसरे के सम्मान का ख्याल रखना पड़ता है। उसकी जिम्मेदारी और काम को समझ कर एक्जेस्ट करना पड़ता है। ] ये केवल विचार है।
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जल्दी अगला भाग प्रकाशित होगा.....