“ मुझे पता है तुम्हें क्या हुआ है। “ वैशाली सर उठा वैभव को देखने लगी। वैभव ने अपने सर को झुका कर उसके माथे को चूम लिया। और हल्की मुस्कुराहट के साथ बोला
“ आज हमारे लिए बहोत खुशी का दिन है वैशू! आज हमे दो दो गुड न्यूज मिली है। “
वैभव की आवाज में एक अलग ही मिठास थी, उसकी आवाज से उसकी खुशी जाहिर हो रही थी। पर वैशाली को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
“ गुड न्यूज! कैसी गुड न्यूज वैभव, तुम क्या बोल रहे हो? “
वैभव ने वही पास से दुसरी कुर्सी खींची और बिल्कुल वैशाली के सामने बैठ गया। दोनों एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे।
जहां एक की आंखों में परेशान से सवाल तैर रहे थे। तो दूसरे की आंखें ही नहीं चेहरा भी खुशी से दमक रहा था।
वैभव ने वैशाली के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर चुम लिया।
“ तुम्हें पता है अभी माया ने मुझसे क्या कहा? “
वैशाली ने हल्के से ना में सर हिला दिया। वैभव फिर एक बार हल्के से मुस्कुराया
“ उसने कहा कि बॉस को उनकी गलती का एहसास हो गया है। और वो चाहते हैं कि मैं कम्पनी वापस से जॉइन कर लूं। इनफैक्ट वो तो मुझे डबल इन्क्रिमेंट के साथ मेरी पोस्ट वापस देना चाहते हैं। “
ये सब बताते हुए जितना उत्साहित वैभव लग रहा था। उतनी ही खुश ये सब सुनते हुए वैशाली थी। वैभव ने एक बार फिर से उत्साहित होकर कहा
“ और तुम्हें पता है। वो क्लाइंट जो उस दिन डिल कैंसल करके चले गए थे। जब उन्हें मेरी प्रोब्लमस के बारे में पता चला तो उन्हें भी अपनी ग़लत महसूस हुई। और वो एक बार फिर मुझसे मीटिंग करना चाहते है। है ना ये गुड न्यूज!? “
वैशाली के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने वैभव के हाथों में रखे अपने हाथों से उसका हाथ पकड़ते हुए हा में सर हिलाते हुए भावुक होते हुए बोली
“ तुम… तुम सच कहें रहे हो वैभव? ( वैभव ने हां में सर हिलाया ) ये… ये तो बहोत अच्छी बात है। मुझे पता था एक ना एक दिन उन्हें अपने फैसले पर पछतावा जरूर होगा। उस कम्पनी को तुमने अपनी मेहनत से यहा तक पहुंचाया है। इन्सान भले मेहनत भुल जाए, पर भगवान नहीं भुलते। और देखो भगवान जी ने तुम्हें तुम्हारी मेहनत का फल दे दिया। “
वैभव मुस्कुरा कर हां में सर हिला दिया। वैशाली आंखों में नमी लिए खुशी से आगे बढ़कर उसके गले लग गई। वैभव ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया।
“ मैं… मैं बहोत खुश हूं वैभव, इतने दिन से तुम्हें परेशान देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। पर अब सब ठीक हो गया है। “
वैशाली उसे अलग हो उसकी आंखों में देखने लगी।
“ तुमने कहा हमें दो गुड न्यूज़ मिली है। दुसरी गुड न्यूज़ क्या है? “ वैशाली ने सवाल किया तो वैभव के चेहरे की मुस्कान बड़ी हो कर और आकर्षक हो गईं।
“ We'll एक गुड न्यूज़ मैंने तुम्हें दी है। पर दुसरी और सबसे बड़ी गुड न्यूज़ तो तुमने मुझे दी है। “
वैशाली उसकी बातों से कन्फ्यूजन लग रही थी। वो अब भी सवालिया नजर से बस उसे देखे जा रही थी।
वैभव ने उसका एक हाथ धीरे से उसके पेट पर रख दिया।
जिसे वैशाली का दिल जोर से धड़कने लगा, नज़रों का सवाल चेहरे पर हैरानी और एक आशंका उतरने लगी, अपने पेट को छुते ही एक सनसनी सी उसके अंदर दौड़ गई।
“ वै… वैभव! “ वैशाली ने भावुक होकर कहा तो वहीं सनसनी वैभव के भी रोंगटे खड़े गई। उसकी आंखों में एक नई भावना उतर आई थी।
“ वैशू… जल्द ही हमारा परिवार पुरा होने वाला है। तुम मां बनने वाली हो… “
ये सुनते ही वैशाली की आंखें भर आईं, दिल जोर जोर से धड़कने लगा। पेट में मानों अभी से एक हलचल सी हुई जैसे उसका अविकसित बच्चा भी उसे अपने होने का एहसास दिला रहा हो…
वैभव उसे भावुक होता देख खड़े हो उसे खुद से चिपका लेता है। उसके बालों को चुम कर उसकी पीठ सहलाने लगता है।
“ तुम… तुम… मज़ाक तो नहीं कर रहे हो ना? मैं… मैं सच में? “ वैशाली ने रौंदी सी आवाज में सवाल किया
“ नहीं वैशू ये सच है आज मैं तुम्हारी रिपोर्ट लेने गया था तो डॉक्टर ने मुझे बताया। मैं जल्दी ही पापा बने वाला हूं। “
वैशाली मुस्कुराते हुए भी रो रही थी। उसने जोर से वैभव के कमरे पर अपने हाथ लपेट दिए।
उसके अन्दर ममता के भाव नन्ही नन्ही कलियों से फुटने लगे। दोनों इस लम्हे को एक दूसरे के स्पर्श के साथ जी रहे थे।
ये पल एक पति पत्नी के लिए होते ही बहोत खास है जब उन दोनों का प्यार एक शक्ल लेकर उनके अंश के रूप में दुनिया में आने वाला हो, पुरे शरीर में अलग अलग तरंगें कितनी ही भावनाओं के साथ दौड़ने लगती है।
खुशी, डर, नर्वसनेस, उत्साह, भावनात्मक बदलाव होने लगते हैं मन में, और यही सब वैभव और वैशाली इस वक्त एक दूसरे के साथ महसूस कर रहे थे। वैशाली की आंखों से आंसू खुशी दर्शाते हुए बहे रहे थे तो वहीं वैभव की भी आंखें नम सी हो गई थी।
शायद इस खबर ने उसपर अभी ही असर किया था।
“ पता है वैशू जब डॉक्टर ने मुझे ये खबर दी तो… तो मुझे खुशी की जगह सबसे पहले डर लगा। लगा मैं… मैं ये सब कैसे संभालूंगा। मेरे पास तो ना नौकरी है और ना ही कुछ और सोर्स, ( वैभव, वैशाली के चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए) पर देखो हमारा बच्चा हमारे लिए कितना लकी है। उसके आते ही सबकुछ एक झटके में ठीक हो गया। थाक्यू वैशू मुझे इतनी बड़ी खुशी देने के लिए… “
वैशाली बस मुस्कुराए जा रही थी। वैभव ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। और दोनों एक-दूसरे में खोकर अपनी इस खुशी को सेलिब्रेट करने लगे।
कुछ देर बाद उस खुले आसमां में चमकते करवा चौथ के चांद की रौशनी के नीचे, टिमटिमाते मोमबत्तियों की रोशनी के बीच वैशाली का डिनर के लिए सजाए हुए टेबल के एक दम पास-पास बैठे दोनों एक दूसरे को बड़े प्यार से देख रहे थे। दोनों के बीच टेबल पर जल रही मोमबत्ती की रोशनी टिमटिमा रही थी। जिसकी चमक से दोनों का चेहरा चमक रहा था।
वैभव वैशाली के पास बैठा उसे अपने हाथों से खाना खिला रहा था। आज तो ना सिर्फ करवाचौथ की रस्म वजह थी बल्की वैभव को अब वैशाली का ख्याल भी रखना था।
तो वहीं वैशाली भी वैभव को अपने हाथों से निवाले खिला रही थी। वो जानती है वैभव ने भी उसके चक्कर में कुछ नहीं खाया होगा सुबह से,
वैभव कुछ सोचते हुए वैशाली को शरारत से देखने लगा। उसने थोड़ा इतराते हुए वैशाली को अगला निवाला खिलाते हुए देखा और फिर एक हाथ से अपने कुर्ते का कॉलर ठीक करते हुए थोड़ा उसकी तरफ झुक फुसफुसा कर बोला
“ वैसे वैशू तुम बिल्कुल ठीक कहे रही थी इन्सान को उनके मेहनत का फल तो मिलता ही है। और ( उसके पेट की तरह हल्के से इशारा कर ) इसके लिए भी तो मैं ही मेहनत की है हां? “
ये कहते ही वैभव ने एक आंख ब्लिंक किया और उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर गई। और उसे ऐसे मुस्कुराते देख वैशाली की तो सांसें ही अटक गई। उसके चेहरे पर शर्म लाली बनकर छाने लगी।
“ छीईई वैभव! तुम… तुम ना बहोत गंदे हो! “ वैशाली ने हल्के से वैभव के सीने पर मार उसे दूर करते हुए बोली और शरमाते हुए नजरें मानों ज़मीन में ही गढ़ा ली। पर उसका चेहरा शर्माते हुए भी मुस्कुरा रहा था। जाहिर सी बात है ये समझ कर के वैभव किस मेहनत की बात कर रहा है।🙈🤣
उसे ऐसे शर्माता देख वैभव एक पल को जोर से हंस दिया। और फिर मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से वैशाली के गाल को हल्के से सहलाते हुए बोला
“ वैशू यू सो क्यूट सम टाइम! वैसे हमारा बेबी भी तुम्हारी तरह ही क्यूं होगा ना? “
वैशाली मुस्कुराते हुए धीरे से नजरें उठा उसे देखती है। दोनों की आंखों में अपने आने वाले भविष्य की सुन्दर कल्पनाएं नदी में उठते लहर की तरह हिलोरें मार रही थी। धीरे पर मनमोहक…
“ वैभव, एक बात बताओ तुम तो कहे रहे थे। तुम अपनी कम्पनी शुरू करोगे? पर अब तुम… “
वैशाली ने थोड़ा सोचते हुए निवाला वैभव की तरफ बढ़ाकर सवाल किया। वैभव ने निवाला खाया फिर अपने हाथ में पकड़े चालव वालें चम्मच को उसके मुंह की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“ वैशू! मैं जानता हूं। हमने क्या डिसाइड किया था। पर इस वक्त हमें इमोशनली नहीं प्रैक्टिकली सोचना होगा। जो कुछ हुआ उससे ये तो तैय है कि मैं अपनी कम्पनी जल्दी ही शुरू करूंगा। पर जब तक वो नहीं होता मुझे ये ऑफर एक्सेप्ट तो करना होगा। ( अगला निवाला खिलाते हुए) पर डोंट वरी जब तक ( उसके पेट की तरफ इशारा कर) ये मुझे पापा बोलना शुरू करेगा ना तब तक तो मैं एक नहीं दो कम्पनियां खोल दूंगा। “
वैशाली खिल कर मुस्कुरा दी। और धीरे से खड़ी हो वैभव की तरफ झुक कर उसके गाल पर किस कर देती है।
“ मुझे तुमपर पुरा यकिन है। My dear lovely husband 😘”
वैभव ने धीरे से उसकी कमर पकड़ उसे अपने गोद में ही बिठा लिया। दोनों एक-दूसरे को एकदम पास से देखने लगे। उनकी आंखों में अपने आने वाले कल के कुछ पल चलने लगे।
कहते हैं ना वक्त की सबसे बड़ी खूबी है की वो गुजर जाता है। फिर चाहे वो वक्त अच्छा हो या बुरा, और वक्त ने अपना ये हुनर वैभव और वैशाली को भी दिया तो उनकी जिंदगी का भी इतना खुबसूरत और जरूरी लम्हा भी एक एक कर आगे बढ़ने लगा।
सब कुछ लगभग पहले की तरह ही हो चुका था। वैभव ने फिर से ऑफिस जॉइन कर लिया था। और फिर से उसकी वहीं काम की बिज़ी रूटीन शुरू हो गई।
इस बार तो उसे अपने और वैशाली के सपने के बारे में भी सोचना था। उसके लिए भी काम करना था।
तो वहीं वैशाली भी वैभव के काम को समझने लगी थी।
वो पहले की तरह उसके बिज़ी होने पर नाराज़ होकर ताने नहीं मारती थी। या… मारती थी पर अब ताने कड़वे नहीं होते थे। मिठी नोंक झोंक भी तो जरूरी है पति-पत्नी के बीच…
हालांकि वैभव पुरी कोशिश कर रहा था कि वो ऑफिस के साथ वैशाली को भी समय दे, प्रेग्नेंसी की वजह से उसमें हर रोज छोटे छोटे बदलाव हो रहे थे। जिसे वो अकेले नहीं संभाल सकता था। वक्त ही कहां होता था इतना उसके पास इसलिए उसने अपनी मां को अपने पास बुला लिया था। इस हालत में वैशाली का ख्याल रखने के लिए…
वैशाली और वैभव अपने आने वाले बच्चे को लेकर बहोत एक्सिडेंट थे। हर रोज नए-नए सपने बुन रहे थे। हर गुज़रता लम्हा कुछ अलग से जस्बात और हालात लाते थे। जिन्हें वो बखुबी जी रहे थे।
_______________________________
क्रमशः…
कहानी पढ़ने वाले सभी पाठकों से निवेदन है कि आप सब कहानी के लिए कमेंट में कुछ तो लिखे कि कहानी कैसी
है।
कुछ नहीं तो रेटिंग ही दे दिया करो यार, और हमें फॉलो भी कर लिजिए, हमें आप सब के सपोर्ट की जरूरत है। प्लीज़…