Tere Dil Se Dil Tak Mere in Hindi Love Stories by Vedant Kana books and stories PDF | तेरे दिल से दिल तक मेरे

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तेरे दिल से दिल तक मेरे

प्यार एक ऐसा गहरा एहसास है जो दिल से जुड़ा होता है। ये सिर्फ आकर्षण या साथ बिताए पल नहीं होता, बल्कि एक ऐसा जुड़ाव होता है जिसमें आप किसी और की खुशी को अपनी खुशी समझते हो। प्यार में आप बिना किसी स्वार्थ के किसी की परवाह करते हो, उसकी मुस्कान में अपना सुकून ढूंढते हो, और उसके दर्द में खुद भी टूट जाते हो।

जब प्यार होता है तो:

दिल बेवजह खुश रहने लगता है।
बिना किसी खास वजह के भी मुस्कान चेहरे पर रहती है।

उस इंसान का ख्याल हर वक्त रहता है।
चाहे आप कहीं भी हों, आपका मन उसी के बारे में सोचता रहता है।

उसकी बातें खास लगती हैं।
छोटी-छोटी बातें भी दिल को छू जाती हैं।

उसके दुख में आप खुद रोने लगते हो।
उसका दर्द आपको भी महसूस होता है।

उसकी एक झलक दिल को सुकून देती है।
जैसे सारी दुनिया ठहर जाती हो।

भविष्य की कल्पनाओं में वो हमेशा आपके साथ होता है।
शादी, जिंदगी, सपने — सब में वही शामिल होता है।

प्यार में धड़कनें तेज हो जाती हैं।
जब वो पास आता है, तो दिल ज़ोर से धड़कने लगता है।

अकेलापन भी उसका नाम लेकर अच्छा लगने लगता है।
जैसे वो हर पल आपके साथ हो।

संक्षेप में:
प्यार एक एहसास है जिसे शब्दों में पूरी तरह बयां करना मुश्किल है। ये महसूस किया जाता है — दिल की धड़कनों में, आंखों की नमी में, मुस्कान के पीछे छिपे जज़्बातों में।

पहली मुलाकात और खट्टी-मीठी नोकझोंक का महायुद्ध
कॉलेज का पहला दिन था। अहमदाबाद के 'नवयुग इंजीनियरिंग कॉलेज' का विशाल परिसर छात्रों की चहल-पहल से गूँज रहा था। रिया, एक बिंदास, थोड़ी ज़्यादा ही आत्मविश्वासी और फैशनपरस्त लड़की, अपनी सबसे अच्छी दोस्त नेहा के साथ कॉलेज के एंट्री गेट से अंदर आ रही थी।

रिया के तेवर ऐसे थे जैसे वो किसी फैशन शो में रैंप वॉक कर रही हो, और नेहा उसे खींचते हुए कह रही थी, "बस कर रिया! ये कॉलेज है, कोई मॉडलिंग एजेंसी नहीं!" तभी एक आवाज़ आई, "अरे ओ मैडम, ज़रा देखकर चलें! यहाँ इंसान भी चलते हैं।"

रिया ने पलटकर देखा। सामने खड़ा था आर्यन, एक लंबा, औसत से ज़्यादा स्मार्ट, पर बेफिक्र और थोड़ा लापरवाह लड़का, जिसके हाथ में किताबों का एक अस्त-व्यस्त ढेर था। आर्यन की बात सुनकर रिया का पारा चढ़ गया। "आपकी आँखें खराब हैं क्या? सारा दोष मेरा ही क्यों?" रिया ने अपने हाई-हील्स से ज़मीन पर पैर पटका।

आर्यन ने एक शरारती मुस्कान दी, "अरे मैडम, आप तो नागिन डांस कर रही थीं, मैं क्या करूँ?" यह सुनकर रिया का मुँह लाल हो गया। तभी आर्यन के हाथ से किताबों का ढेर ज़मीन पर बिखर गया, और एक किताब ठीक रिया के पैर पर गिरी। "उफ़्फ़! अब मेरी नई सैंडल खराब हो गई!" रिया चिल्लाई।

उनकी यह पहली मुलाकात थी, जो किसी कॉमेडी फिल्म के सीन से कम नहीं थी। पूरे सेमेस्टर उनकी यह 'दुश्मनी' जारी रही। आर्यन रिया को 'एंगल प्रिया' बुलाता, क्योंकि उसे लगता था रिया हर चीज़ को किसी खास एंगल से ही देखती है। रिया उसे 'सड़क छाप हीरो' कहकर चिढ़ाती, क्योंकि उसके कपड़े कभी प्रेस नहीं होते थे।

क्लास में, कैंटीन में, और यहाँ तक कि लाइब्रेरी में भी, जहाँ शांति बनाए रखनी होती थी, उनके बीच बहस छिड़ जाती। उनके दोस्त, राहुल (आर्यन का हमेशा साथ देने वाला दोस्त) और नेहा (रिया की हर बात मानने वाली सहेली), उनकी इस तू-तू-मैं-मैं का पूरा मज़ा लेते थे। उन्हें तो बस इस बात का इंतज़ार था कि कब ये चिंगारी आग में बदले।

एक बार तो लाइब्रेरी में रिया ने आर्यन की किताब में 'घमंडी राजकुमार' लिख दिया था, जिसके बाद आर्यन ने रिया के बैग में उसका 'नागिन डांस' वाला स्केच बनाकर डाल दिया। उनके प्रोफेसर्स भी हैरान थे कि ये दो छात्र आखिर कब सुधरेंगे!

धीरे-धीरे, इस खट्टी-मीठी नोंकझोंक के बीच, कुछ अजीब से एहसास पनपने लगे। रिया को अब आर्यन की लापरवाहियाँ, उसका बिंदास अंदाज़ और कभी-कभी उसकी बच्चों जैसी हरकतें अच्छी लगने लगी थीं।

उसे खुद नहीं पता चला कि कब उसकी 'नफ़रत' पहले 'दोस्ती' में और फिर 'दोस्ती' 'प्यार' में बदल गई। वह अब आर्यन से लड़ने का बहाना ढूंढती ताकि वह उससे बात कर सके, भले ही वो बहस ही क्यों न हो।

एक दिन, जब आर्यन को कॉलेज के फ़ेस्ट के दौरान अचानक बुखार आ गया और वो स्टेज पर गिरने ही वाला था, तो रिया ने तुरंत दौड़कर उसे संभाला। वो उसे मेडिकल रूम ले गई, और चुपके से उसके लिए नोट्स भी बनाए ताकि उसका सिलेबस न छूटे।

आर्यन ने रिया को देखकर कहा, "अरे एंगल प्रिया, तुम क्यों इतनी परेशान हो रही हो? मैं ठीक हूँ।" रिया ने झट से जवाब दिया, "मुझे क्या? बस इंसानियत के नाते मदद कर रही हूँ, ताकि तुम्हारे जैसे सड़क छाप हीरो की पढ़ाई खराब न हो!" लेकिन उसके दिल में तो कुछ और ही चल रहा था।

रिया ने कई बार कोशिश की कि वह अपने दिल की बात आर्यन से कह सके, लेकिन हर बार उसकी हिम्मत जवाब दे जाती। उसे डर था कि आर्यन उसे केवल एक 'लड़ाकू दोस्त' के रूप में ही देखता है और उसके प्यार को स्वीकार नहीं करेगा।

उसका डर तब और बढ़ जाता जब आर्यन कॉलेज की किसी और लड़की से मज़ाक करता, तो रिया को अंदर ही अंदर जलन होती। एक बार तो आर्यन ने अपनी क्लासमेट से मज़ाक में कहा, "यार, ये रिया तो इतनी बहस करती है कि लगता है वकालत कर रही हो!"

रिया ने ये सुन लिया और उसे लगा कि आर्यन उसे कभी पसंद नहीं कर पाएगा। वो अपने कमरे में जाकर तकिए में मुँह छिपाकर रोती, सोचती, "यार, ये एकतरफा प्यार भी ना, किसी दर्द-ए-डिस्को से कम नहीं!"

दोस्तों की साज़िश और दिल की डोर का 'जुगाड़'

रिया की उदासी नेहा से भला कहाँ छुपने वाली थी। नेहा ने रिया के दिल का हाल भाँप लिया था और उसे आर्यन से प्यार हो गया था ये भी समझ गई थी। दूसरी तरफ, राहुल ने भी आर्यन के अजीब व्यवहार में बदलाव देखा था।

आर्यन अब पहले की तरह बेफिक्र नहीं रहता था, वो अक्सर क्लास में रिया को चोरी-छिपे देखता, और अगर रिया किसी और से बात करे तो उसे अजीब सी चिढ़ होती। हालांकि, वो इसे मानने को तैयार नहीं था कि उसे भी रिया से कुछ खास लगाव हो रहा है।

नेहा और राहुल ने मिलकर एक धमाकेदार 'जुगाड़' योजना बनाई। उन्होंने एक कॉलेज ट्रिप का आयोजन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य था आर्यन और रिया को साथ लाना। ट्रिप के दौरान, उन्होंने आर्यन और रिया को साथ लाने के कई मौक़े बनाए।

एक शाम, कैंपफायर के दौरान, नेहा ने जानबूझकर रिया को एक सैड रोमांटिक गाना गाने के लिए कहा। रिया ने "मोह मोह के धागे" गाया, जिसमें उसके दिल का सारा दर्द और प्यार झलक रहा था। आर्यन ने पहली बार रिया को इतनी गहराई से सुना और महसूस किया। उसकी आँखों में भी नमी आ गई, हालांकि उसने तुरंत नज़रें चुरा लीं।

अगले दिन, ट्रेकिंग के दौरान, एक हादसा हो गया। रिया का पैर एक फिसलन भरी चट्टान पर फिसल गया और वो खाई में गिरने ही वाली थी। आर्यन ने बिना सोचे-समझे उसे कसकर पकड़ लिया और अपनी जान की परवाह किए बिना उसे खींचकर ऊपर ले आया।

उस पल, जब आर्यन ने रिया को अपनी बाहों में उठाया, तो दोनों को एक बिजली का झटका सा लगा। आर्यन को एहसास हुआ कि रिया के लिए उसके दिल में सिर्फ़ दोस्ती नहीं, बल्कि कुछ और भी है, लेकिन अभी भी वो 'सड़क छाप हीरो' अपनी भावनाओं को स्वीकार करने से डर रहा था।

ट्रिप से वापस आने के बाद, राहुल और नेहा ने आर्यन और रिया को अलग-अलग बैठाया और उनसे सीधे बात की। राहुल ने आर्यन की क्लास ली, "यार, कब तक इस 'नफ़रत' का नाटक करेगा? साफ़-साफ़ दिख रहा है तुझे रिया पसंद है। मान ले, वरना बाद में पछताएगा!"

नेहा ने रिया को समझाया, "रिया, अब बहुत हुआ ड्रामा! वो सड़क छाप हीरो भी तुझसे प्यार करता है, बस मान नहीं रहा। तू हिम्मत कर और उसे बता दे कि तेरे दिल में क्या है।"

दोस्तों के इस 'जुगाड़' और समझाने पर, आर्यन और रिया दोनों को अपनी भावनाओं का एहसास हुआ। आर्यन ने मन ही मन सोचा, "शायद ये एंगल प्रिया सच में मेरे दिल का एंगल बदल चुकी है!"

प्यार का इज़हार और परिवार की 'टक्कर'

एक खूबसूरत शाम, अहमदाबाद के प्रसिद्ध कांकरिया लेक गार्डन में, आर्यन ने रिया को बुलाया। हवा में हल्की ठंडक थी, लेक में नावों की रोशनी जगमगा रही थी और चाँदनी बिखरी हुई थी। आर्यन ने एक गहरी साँस ली, घुटनों के बल बैठकर रिया को एक लाल गुलाब दिया और पहली बार अपने दिल की बात कही,

"रिया... एंगल प्रिया... मुझे नहीं पता कब और कैसे, लेकिन मुझे तुमसे प्यार हो गया है। मैं जानता हूँ मैंने तुम्हें बहुत परेशान किया है, बहुत चिढ़ाया है, लेकिन अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।"

रिया की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उसने आर्यन को कसकर गले लगा लिया और बोली, "मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, आर्यन... मेरे सड़क छाप हीरो! हमेशा से।"

उनका प्यार परवान चढ़ने लगा। कॉलेज के गलियारों में अब उनकी नोंकझोंक नहीं, बल्कि उनकी प्रेम कहानी के चर्चे थे। वे साथ हँसते, साथ खाते, और एक-दूसरे के साथ हर पल का मज़ा लेते।

लेकिन, हर प्रेम कहानी में कुछ चुनौतियाँ आती हैं। आर्यन एक बहुत ही पारंपरिक और रूढ़िवादी मारवाड़ी परिवार से था, जहाँ प्रेम विवाह को 'घर की इज्ज़त' के खिलाफ माना जाता था। जब आर्यन ने अपने माता-पिता को रिया के बारे में बताया, तो वे आग बबूला हो गए।

उनकी माँ ने कहा, "हमारे बेटे की शादी तो सिर्फ़ हमारी बिरादरी में ही होगी, और वो भी हमारी पसंद की लड़की से!" उन्होंने रिया से मिलने से भी साफ इनकार कर दिया और आर्यन को धमकी दी कि अगर उसने रिया से रिश्ता रखा तो वे उसे बेदखल कर देंगे और उसकी पढ़ाई का सारा खर्चा बंद कर देंगे।

रिया का परिवार उदार था और उन्हें आर्यन पसंद था, लेकिन वे भी आर्यन के परिवार की कट्टर प्रतिक्रिया से चिंतित थे। आर्यन ने अपने माता-पिता को मनाने की बहुत कोशिश की, उन्हें रिया की अच्छाई बताई, लेकिन सब व्यर्थ रहा।

आर्यन और रिया बहुत दुखी थे, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का हाथ नहीं छोड़ा। वे जानते थे कि उन्हें एक साथ रहना है, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं। उनकी प्रेम कहानी अब एक 'टक्कर' की कहानी बन गई थी, जहाँ प्यार एक तरफ था और परिवार की इज़्ज़त दूसरी तरफ।

एक दिन, जब आर्यन के माता-पिता ने उस पर जबरन शादी के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया और उसे कॉलेज जाने से रोक दिया, तो आर्यन और रिया ने एक मुश्किल और साहसिक फैसला लिया। उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा और तय किया कि वे भागकर शादी करेंगे।

उनके दोस्त, राहुल और नेहा, उनकी इस 'लव स्टोरी के महायुद्ध' में उनके साथ चट्टान की तरह खड़े थे। उन्होंने आर्यन और रिया की मदद की और उन्हें एक सुरक्षित जगह पर पहुंचाया, जो अहमदाबाद से कुछ दूर थी।

एक छोटे से, शांत मंदिर में, बिना किसी शोर-शराबे के, सिर्फ़ राहुल और नेहा की मौजूदगी में, आर्यन और रिया ने सात फेरे लिए। उन्होंने अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को अपना जीवनसाथी स्वीकार किया और हमेशा साथ रहने की कसम खाई।

रिया ने मुस्कुराते हुए आर्यन से कहा, "तो 'सड़क छाप हीरो', अब तुम हमेशा के लिए मेरे हो गए!" आर्यन ने रिया का हाथ कसकर पकड़ा और बोला, "और तुम, मेरी 'एंगल प्रिया', अब मेरी हमेशा के लिए 'जीवनसंगिनी' हो!"

शादी के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए अपने परिवार से दूरी बनाए रखी। आर्यन ने अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी ढूंढ ली और रिया ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने एक छोटे से फ्लैट में अपनी नई ज़िंदगी शुरू की, जहाँ उनका प्यार और भी गहरा होता गया।

समय के साथ, आर्यन के माता-पिता को अपने बेटे की कमी खलने लगी। राहुल और नेहा ने भी लगातार उनसे बात की और उन्हें समझाया कि उनका बेटा खुश है और रिया एक अच्छी, संस्कारी लड़की है, जिसने आर्यन को बहुत सपोर्ट किया है।

आखिर में, आर्यन के माता-पिता का दिल पिघल गया। उन्होंने अपने बेटे और बहू को माफ कर दिया और उन्हें अपने घर बुला लिया। जब आर्यन और रिया उनके घर पहुँचे, तो आर्यन की माँ ने रिया को गले लगा लिया और कहा, "मुझे माफ़ कर दो बेटी, मैंने तुम्हें समझने में गलती की।"

आर्यन और रिया ने अपने परिवार का आशीर्वाद लिया और एक खुशहाल, प्यारी और हँसी-मज़ाक से भरी ज़िंदगी जीना शुरू किया। उनकी प्रेम कहानी कॉलेज की दंतकथा बन गई, जहाँ एक-दूसरे से नफरत करने वाले दो लोग आखिर में हमेशा के लिए एक हो गए।

उनकी कहानी यह साबित करती है कि सच्चा प्यार हर मुश्किल को पार कर सकता है, हर दीवार को गिरा सकता है, और अंत में जीत हमेशा प्यार और थोड़ी सी कॉमेडी की ही होती है!