"सौंदर्य एक अभिशाप !"
(भाग-11)
राजकुमारी चित्रा को यह जानकर थोड़ी जलन होती है कि सूरज सिंह लता से प्यार करता है।
राजुकरी चित्रा...
ओह.. तो भाई प्यार करता है? राजकुमारी नहीं या कोई और? कौन है? लता नहीं है, है न! वह सुंदर है। वह सुंदर है। और उसके पास किसी को भी वश में करने की कला है। वह दिखने में सुंदर है ।वह सीधी-सादी दिखती है लेकिन उसमें खूबसूरत राजकुमार को वश करने की कला है। जैसे तुम एक ही मुलाकात में उसके प्यार में हो गये।
सूरज सिंह..
ओह.. तो लता वश करने की कला जानती है? अगर ऐसा होता तो वह जादूगर को आकर्षण का शिकार बना लेती। जब वह सामान्य जीवन जीने के बजाय गौरैया की तरह उड़ रही है और मदद मांग रही है। लता तुम्हारी सहेली है, इसलिए उसकी मदद करो। क्या यह तुम्हारा दूसरा रूप है? या तुममें राजपूत महिला की बहादुरी भी है?
राजुकरी चित्रा...
मैं भी यही सोच रही हूँ, लता को फिर से इंसान कैसे बनाया जा सकता है। कोई उपाय नहीं है। मेरे पास रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी है। लेकिन वह जादूगर दिखाई नहीं दे रहा है। मेरे पास तलवार नहीं है, बस एक छोटा सा खंजर है। उससे मैं भगा सकती हूं।तुम्हे देखना है तो मुझे तुम्हारी चुनौती मंजूर है।मैं तुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी। तू मेरे प्रिय हो गये हो।तुझे देखकर मेरा मन बेचैन हो जाता है, पर तुझसे बात करके मुझे खुशी होती है। क्या इसे ही प्यार कहते हैं? क्या तुम मेरा प्यार स्वीकार करोगे?
सूरज सिंह..
तेरी बातों से पता चल गया है कि तू बहादुर है। मैं तेरे खिलाफ क्या कर सकता हूँ? अगर तुझे कुछ हो गया तो मैं अपने दोस्त को क्या जवाब दूँगा? और अगर मुझे कुछ हो गया तो तेरा क्या होगा? और मेरी लता गौरैया बनकर रहेगी! बिलकुल नहीं। तुझे देखने को जी चाहता है।
राजकुमारी चित्रा...
तो तूने हार मान ली है! मैंने कहा कि मैं तेरी हूँ, तो तुझे कोई नुकसान नहीं होगा। हमें मेरी दोस्त लता के लिए कुछ करना चाहिए। तूने अभी तक मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।
सूरज सिंह..
मैं क्या जवाब दूँ?
मैं तुम्हें अपना दिल दे दूँगा
मैं तुम्हारी आँखों में सपने देखूँगा
ऐसे नहीं
मैं लता को भी देखूँगा।
राजकुमारी, तुम सिर्फ़ दिल की ही अच्छी नहीं हो बल्कि..लेकिन..
राजकुमारी चित्रा..
लेकिन..राजकुमार का क्या.. मेरे सपनों का राजकुमार..
सूरज सिंह..
तुम दिल की अच्छी हो। तुम अपनी दोस्त के लिए सबसे अच्छा चाहती हो लेकिन तुम्हारे अंदर थोड़ा घमंड और ईर्ष्या है। अगर तुम उसे जीत लोगी तो मैं तुम्हारा हूँ। लेकिन पहले लता के लिए कुछ करो। वो ऐसे ही उड़ रही है। राजकुमारी, एक बात बताऊँ?
राजकुमारी चित्रा...
ओह..तुम जितना बोलोगे मैं तुम्हें उतना ही पसंद करूँगा। तुम बोलते हो तो प्यारे लगते हो।बोलो..
सूरज सिंह..
राजकुमारी चित्रा.. तुम बहुत ही खूबसूरत हो लेकिन तुम्हारा घमंड तुम्हें अच्छा नहीं लगता। उसकी वजह से तुम अलोकप्रिय हो सकती हो। और तुम्हारी खूबसूरती ही अभिशाप बन जायेगी । जादूगर तुम्हें पकड़ने आया है। मैं तुम्हारी खूबसूरती से आकर्षित हो गया था। लेकिन उसके हाथ में एक सुंदर लता आई जो तुम्हारी दोस्त है, बिल्कुल तुम्हारी तरह। बताओ, इसमें लता का क्या दोष है। सुंदर होना अच्छी बात है। लेकिन कुछ लोग पागल होते हैं और ऐसी सुंदर लड़की को छीन लेना चाहते हैं, इसलिए इसे अभिशाप माना जाता है। हालाँकि, हर कोई ऐसा नहीं होता। मैं सुंदरता का मुरीद हूँ। मुझे लता पसंद हैं और तुम भी। सुवर्णा भी कुछ कम सुंदर नहीं है लेकिन सुवर्णा शायद किसी को पसंद करती हैं।
राजकुमारी चित्रा..
ओह.. तो मैं भाग्यशाली हूं ।मेरी दोस्त सुवर्णा भी सुंदर है। क्या तुम्हें वह पसंद नहीं है?
राजकुमारी चित्रा जानबूझ कर बोली।
उस समय सुवर्णा की नज़रें बगीचे में इधर-उधर घूम रही थीं मानो वह किसी को ढूँढ रही हो।
सूरज सिंह..
हर उस व्यक्ति को अपना नहीं बनाना चाहिए जिसे तुम पसंद करते हो। सुवर्णा भी सुंदर है। लेकिन मेरे दोस्त जय को उसकी सुंदरता की प्रशंसा करने का अधिकार है। शायद सुवर्णा जय को ही ख़ोज रही है।
यह सुनकर राजकुमारी चित्रा खुश हो गई।
उसने कहा..
तो, क्या भाई ने तुमसे बात की है? ओह.. सुवर्णा, मेरी दोस्त, तुम भाग्यशाली हो। मेरा सुंदर भाई तुमसे प्यार करता है।
यह कहते हुए राजकुमारी चित्रा ने सुवर्णा की ओर देखा।
उसने कहा..
मेरी सहेली सुवर्णा, तुम क्या ढूँढ रही हो? हम तुम्हारे बारे में बात कर रहे हैं और तुम ध्यान नहीं दे रही हो? मेरे भाई को तुमसे प्यार हो गया है।
(क्या लता चिड़िया बनकर रह जाएगी? क्या जादूगर का जादू खत्म हो जाएगा? पढ़ते रहिए)
- कौशिक दवे