Dravani Haveli Ka Rehasya in Hindi Horror Stories by Radhika books and stories PDF | डरावनी हवेली का रहस्य

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डरावनी हवेली का रहस्य

गर्मी की एक उमस भरी रात थी। रमेश और उसकी पत्नी अनीता, अपनी बेटी सारा के साथ, एक पुरानी हवेली की ओर बढ़ रहे थे, जो उनके गाँव से कुछ मील दूर जंगल के बीचों-बीच बनी थी। यह हवेली उनके परिवार की पुरानी संपत्ति थी, जिसे उनके दादाजी ने बनवाया था। रमेश के पिता ने हमेशा उस हवेली के बारे में चुप्पी साध रखी थी, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद, रमेश को उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

"पापा, ये जगह इतनी सुनसान क्यों है?" सारा ने कार की पिछली सीट से पूछा, उसकी आवाज में हल्का डर झलक रहा था।

"बेटा, ये पुरानी हवेली है। यहाँ कोई नहीं रहता, इसलिए सुनसान लगती है," रमेश ने जवाब दिया, लेकिन उसकी आवाज में भी एक अनजानी बेचैनी थी। अनीता चुपचाप खिड़की से बाहर देख रही थी, जहाँ घने जंगल के पेड़ अंधेरे में डरावने सायों की तरह नजर आ रहे थे।

रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा था, और कार की हेडलाइट्स जंगल की अंधेरी पगडंडी को मुश्किल से रोशन कर पा रही थीं। अचानक, कार का इंजन खाँसने लगा और रुक गया।

"ये क्या हुआ?" अनीता ने घबराते हुए पूछा।

"पता नहीं, शायद इंजन गर्म हो गया है," रमेश ने कहा और कार से उतरकर बोनट खोला। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया। तभी, सारा ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा, "पापा, वहाँ देखो! कोई है!"

रमेश और अनीता ने उस दिशा में देखा, जहाँ सारा इशारा कर रही थी। जंगल के बीच एक धुंधली सी छाया खड़ी थी, जो पलक झपकते ही गायब हो गई।

"शायद तुम्हें भ्रम हुआ, सारा," रमेश ने हँसते हुए कहा, लेकिन उसका चेहरा पीला पड़ गया था।

कुछ देर बाद, कार फिर से शुरू हुई, और वे हवेली के सामने पहुँचे। हवेली पुरानी थी, लेकिन उसकी भव्यता अभी भी बरकरार थी। ऊँचे-ऊँचे खंभे, जटिल नक्काशी, और टूटी-फूटी खिड़कियाँ इसे रहस्यमयी बना रही थीं। दरवाजे पर एक बड़ा ताला लटक रहा था, जिसे रमेश ने अपनी जेब से निकाली चाबी से खोला।

हवेली के अंदर कदम रखते ही ठंडी हवा का एक झोंका उनके चेहरों से टकराया। हवा में सड़ां room temperature।

"ये क्या था?" अनीता ने पूछा, उसकी आवाज काँप रही थी।

"शायद हवा," रमेश ने जवाब दिया, लेकिन उसका मन भी अशांत था।

वे हवेली के मुख्य हॉल में पहुँचे, जहाँ पुराने फर्नीचर पर धूल की मोटी परत जमी थी। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें टँगी थीं, जिनमें रमेश के दादाजी और उनके परिवार के लोग नजर आ रहे थे। तस्वीरों में कुछ चेहरों को देखकर सारा को अजीब सा लगा।

"पापा, इन तस्वीरों में कुछ लोग ऐसे दिखते हैं जैसे... जैसे वे हमें देख रहे हों," सारा ने धीमी आवाज में कहा।

"बस तुम्हारा वहम है," रमेश ने हँसकर टाल दिया, लेकिन उसने भी उन तस्वीरों को ध्यान से देखा। एक तस्वीर में एक महिला थी, जिसके चेहरे पर उदासी और गुस्सा दोनों झलक रहे थे। उसकी आँखें ऐसी थीं मानो वे सचमुच जीवित हों।

उस रात, परिवार ने हवेली के एक कमरे में रात बिताने का फैसला किया। अनीता ने कुछ खाना बनाया, और वे सब थके-हारे सो गए। लेकिन आधी रात को, सारा की चीख से रमेश और अनीता की नींद टूट गई।

"मम्मी, वहाँ कोई था! एक औरत! उसने मुझे छुआ!" सारा रोते हुए बोली।

"कोई नहीं था, बेटा। तुमने सपना देखा होगा," अनीता ने उसे गले लगाते हुए कहा, लेकिन उसका दिल भी डर से धड़क रहा था।

अगले दिन, रमेश ने हवेली की छानबीन शुरू की। उसे एक पुराना डायरी मिली, जो उसके दादाजी की थी। डायरी में एक औरत का जिक्र था, जिसका नाम राधिका था। वह रमेश के दादाजी की पहली पत्नी थी, जिसकी रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई थी। डायरी में लिखा था कि राधिका को हवेली में एक कमरे में बंद रखा गया था, और उसकी आत्मा अब भी हवेली में भटकती है।

"ये सब बकवास है," रमेश ने डायरी को बंद करते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज में विश्वास की कमी थी।

उसी रात, अनीता को अपने कमरे में अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। ऐसा लग रहा था जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। उसने रमेश को जगाया, लेकिन जब तक वह उठा, आवाजें बंद हो चुकी थीं।

"मुझे लगता है हमें यहाँ से चले जाना चाहिए," अनीता ने कहा।

"हम सिर्फ़ एक रात और रुकेंगे। मुझे कुछ काम निपटाने हैं," रमेश ने जवाब दिया।

लेकिन अगली रात और भी डरावनी थी। सारा ने फिर से दावा किया कि उसने उस औरत को देखा, जो अब उसके सपनों में भी आ रही थी। रमेश को भी अब अजीब अनुभव होने लगे थे। उसे रात में किसी के कदमों की आवाज सुनाई दी, और एक बार उसे लगा कि किसी ने उसका कंधा पकड़ा।

अगले दिन, रमेश ने गाँव के एक बुजुर्ग से हवेली के बारे में पूछा। बुजुर्ग ने बताया कि राधिका को रमेश के दादाजी ने धोखा दिया था। उसकी मृत्यु के बाद, हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगी थीं। लोग कहते थे कि राधिका की आत्मा बदला लेने के लिए भटक रही है।

रमेश ने फैसला किया कि वह हवेली में एक पूजा करवाएगा ताकि राधिका की आत्मा को शांति मिले। उसने एक पंडित को बुलाया, और पूजा शुरू हुई। लेकिन पूजा के दौरान, हवेली में अजीब सी हलचल होने लगी। खिड़कियाँ अपने आप खुलने-बंद होने लगीं, और कमरे में ठंडी हवा चलने लगी।

अचानक, सारा ने चीखते हुए कहा, "वो यहाँ है! वो मुझे देख रही है!"

पंडित ने पूजा तेज की, और उसने राधिका की आत्मा से बात करने की कोशिश की। उसने कहा, "राधिका, तुम्हें जो दुख हुआ, उसके लिए हम माफी माँगते हैं। कृपया हमें छोड़ दो।"

तभी, एक तेज हवा का झोंका आया, और हवेली का मुख्य दरवाजा जोर से बंद हो गया। सारा बेहोश हो गई, और अनीता डर के मारे काँप रही थी।

पंडित ने पूजा पूरी की, और उसने राधिका की आत्मा को शांति देने के लिए कुछ मंत्र पढ़े। धीरे-धीरे, हवेली में शांति छाने लगी। सारा को होश आया, और उसने कहा कि उसने राधिका को जाते हुए देखा।

रमेश और उसका परिवार तुरंत हवेली छोड़कर शहर वापस चला गया। उन्होंने उस हवेली को हमेशा के लिए बंद कर दिया और कभी वापस नहीं लौटे। लेकिन सारा को आज भी रात में कभी-कभी उस औरत की फुसफुसाहट सुनाई देती थी, जो उसे याद दिलाती थी कि कुछ आत्माएँ कभी पूरी तरह शांत नहीं होतीं।