akhari khat in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | आख़िरी खत

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आख़िरी खत

आविर – एक शांत, गहराई में डूबा रहने वाला लड़का, जो अपनी पेंटिंग्स से जज़्बात बयां करता है।

अनिका – ज़िंदगी से भरपूर, सपनों की दुनिया में जीने वाली एक लड़की, जिसे पुराने खत बहुत पसंद हैं।कहानी की शुरुआत:

शिमला के एक पुराने किताबों की दुकान में, अनिका को एक पुरानी डायरी मिलती है — जिसकी आखिरी पन्नी पर एक अधूरा खत लिखा होता है।खत में लिखा होता है:

"अगर ये खत तुम्हें मिले, तो समझना मैंने तुम्हें हमेशा चाहा... बस कह नहीं पाया। मैं हर तस्वीर में तुम्हारी आँखें बनाता रहा, और हर खामोशी में तुम्हारा नाम सुनता रहा..."

अनिका को यह पढ़ते ही ऐसा लगता है जैसे यह खत उसी के लिए लिखा गया हो।वो उस लेखक को ढूंढने का फैसला करती है।कहानी का मोड़:

कई हफ्तों की तलाश के बाद अनिका एक पहाड़ी गांव पहुंचती है जहाँ उसे मिलता है — आविर।वो एक अकेले पहाड़ों में रहने वाला पेंटर है, जो कभी शहर छोड़ चुका था क्योंकि उसने जिससे प्यार किया था, उसे खो दिया था — बिना इज़हार किए।

अनिका उसकी पेंटिंग्स देखती है — हर चेहरे में एक ही लड़की की आंखें बनी होती हैं — उसी जैसी आंखें, जो अनिका की थीं!सच का खुलासा:

अनिका समझ जाती है कि खत उसी ने नहीं लिखा था, पर वो लड़की वही थी — जिसकी आँखों से आविर मोहब्बत करता था।

सालों पहले एक बस स्टॉप पर आविर ने उसे पहली बार देखा था।एक बार देखा, और उम्रभर के लिए अपनी कला में बसाया।

वो कभी अनिका का नाम नहीं जान पाया... पर खत लिखा, अधूरा छोड़ दिया — शायद किस्मत उसे फिर लाएगी। और किस्मत उसे लाई।अंत:

अनिका, वो अधूरा खत निकालती है और आविर को देती है।फिर खुद से एक नया खत उसे देती है:

"अब ये कहानी अधूरी नहीं... क्योंकि वो लड़की अब सामने है, और वो भी तुम्हें चाहती है।"

आविर पहली बार मुस्कुराता है... और उनकी कहानी एक आखिरी खत से नहीं,बल्कि पहले वादे से शुरू होती है "आख़िरी खत" कहानी का दूसरा भाग — जो तुम्हें और भी गहराई से जोड़ देगा इस मोहब्बत में ❤️✨ आख़िरी खत –

भाग 2

"खामोशियाँ जो चीखती थीं..."

⛰️ पिछले भाग से आगे…

अनिका ने जब वो खत आविर को दिया, तो उसके हाथ कांप रहे थे…आविर ने उसे देखा… पहली बार ठीक से देखा…और जैसे वक़्त थम गया।

उसकी आँखों में जो कहानी थी, वो शब्दों में बयां नहीं हो सकती थी।अनिका बस एक ही बात सोच रही थी —"कैसे कोई बिना मिले भी इतनी मोहब्बत कर सकता है?"

🎨 सच की परतें खुलती हैं...

आविर ने धीरे से कहा,“मैंने तुम्हें पहली बार देखा था एक बस स्टैंड पर… तुम बारिश में भीग रही थीं, लेकिन तुम्हारा चेहरा… मानो मेरी हर अधूरी पेंटिंग को ज़िंदा कर रहा हो…”

अनिका सन्न थी।“तुमने कभी बात क्यों नहीं की?” वो धीरे से बोली।

आविर मुस्कुराया, एक टूटी हुई मुस्कान के साथ—“मैंने डर को चुना था… खो देने के डर को। लेकिन तुम्हें खो दिया, बिना कभी पाया ही नहीं।”

☕ पहला साथ...

अगले कुछ दिन अनिका वही गाँव में रही।हर सुबह वो आविर के पास जाती, उसके साथ चाय पीती, उसकी बनाई पुरानी पेंटिंग्स देखती।

एक दिन उसने कहा —“तुम मेरी आँखें बार-बार बनाते थे... अब क्या बनाओगे?”

आविर बोला —“अब तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी मुस्कान, और वो अधूरा खत जो अब पूरा हो चुका है।”

🌌 रात की वो पहली बात…

एक शाम दोनों पहाड़ी किनारे बैठकर तारों को देख रहे थे।अनिका ने कहा —“अगर तुम मुझे पहले बता देते... शायद हम पहले मिलते।”

आविर बोला —“शायद... लेकिन तब ये प्यार इतना गहरा नहीं होता।अब जब मिला हूँ, तो खोने का डर नहीं... क्योंकि तुमने खुद आकर वो ‘आख़िरी खत’ पढ़ा — जो मेरे दिल में थI

अगर तुम्हें ये भाग अच्छा लगा, तो मैं तीसरा भाग भी लिखती हूँ —जहाँ दोनों के बीच एक गहरा इम्तिहान, एक पुरानी रुकावट, और फिर एक वादा आएगा ❤️