Pahli Nazar ki Khamoshi - 2 in Hindi Anything by Mehul Pasaya books and stories PDF | पहली नज़र की खामोशी - 2

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पहली नज़र की खामोशी - 2


🔥 एपिसोड 2 – अजनबी एहसास



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1. नैना की सुबह और भीतर की बेचैनी


सुबह के सात बजे थे। नैना की अलमारी के दरवाज़े खुले थे।

वो एक-एक साड़ी को देख रही थी, लेकिन हर रंग उसे फीका लग रहा था।


लाल रंग की वही साड़ी — जो पिछली शाम उसने पहनी थी — अब भी स्टूल पर neatly तह करके रखी थी।


उस साड़ी में ना जाने क्या था…

या शायद उस साड़ी में जो उसने महसूस किया…

वो आज भी उसकी त्वचा पर सिहरन बनकर ठहरी थी।


उसने खुद से सवाल किया —

"क्या वो आरव था... या सिर्फ मेरी कल्पना?"

"एक आर्किटेक्ट... और मैं एक लाइब्रेरियन... बस एक मुलाकात में इतना असर?"



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2. दूसरी मुलाक़ात – अनजाने शहर की एक पहचानी गली


नैना को किताब खरीदनी थी – एक रेयर कलेक्शन।

वो पुरानी किताबों की मंडी पहुँची।


भीड़ थी, शोर था…

लेकिन एक कोने में खड़ा शख्स उसे तुरंत पहचान में आ गया —

वही – आरव।

नीली शर्ट, गाढ़ी निगाहें और एक अनकहा आकर्षण।


आरव ने पहले उसे देखा, फिर मुस्कराया।


"आप फिर मिल गईं," उसने कहा।

"या आप मुझे ढूँढ रही थीं?"


नैना चौंकी, फिर मुस्कुराई, "शायद किताबों ने बुला लिया।"


आरव ने उसके हाथ से किताब ली और बोला,

"इसे पढ़िएगा… इसमें एक किरदार है, जो बिल्कुल आप जैसा है — खामोश, लेकिन बोलने से ज़्यादा कहने वाला।"



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3. कॉफी टेबल पर पहली बार दिल की खिड़की खुली


किताबों की मंडी के बाद, आरव ने बिना ज़्यादा कहे उसे पास के एक छोटे कैफे में बैठने का इशारा किया।

नैना ने हिचकिचाकर हाँ कर दी।


आरव ने ध्यान से नैना की बातें सुनी —

उसका किताबों के प्रति प्रेम, अकेलेपन में चाय की चुस्की लेना,

और वो लाल साड़ी जिसमें वो अक्सर खुद से मिलती थी।


"आपकी आवाज़ बहुत धीमी है," आरव ने कहा,

"लेकिन हर शब्द मानो मेरे अंदर उतरता जा रहा है।"


नैना ने पहली बार उसकी आँखों में सीधे देखा —

वहाँ कोई जल्दबाज़ी नहीं थी,

बस एक धैर्य, एक सुकून।



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4. स्पर्श नहीं, पर एहसास गहरा


कैफ़े से निकलते वक्त हल्की बारिश शुरू हो गई थी।


आरव ने अपनी जैकेट उतारकर नैना के कंधों पर डाल दी।

वो नहीं चौंकी… सिर्फ देखती रही।


उसने कुछ नहीं कहा, पर उसकी धड़कन ने सब कह दिया।


जैकेट उसके कंधों पर थी,

लेकिन आरव की नज़रों का साफ-साफ स्पर्श उसकी त्वचा तक उतर आया था।


आरव ने कहा,

"इस बारिश में अगर भीगते हैं, तो कुछ ग़म उतर जाते हैं।

पर कुछ एहसास चुपचाप भीगकर भीतर तक समा जाते हैं।"


नैना चुप थी।

पर भीतर एक कोना…

आरव की बातों में भीग चुका था।



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5. किताब की आखिरी पंक्तियाँ और नैना का उलझन


घर पहुंचकर नैना ने वही किताब पढ़ना शुरू की।

पन्ने पलटते-पलटते उसे एक लाइन मिली:


> "कुछ लोग शब्दों से नहीं, खामोशी से छूते हैं... और वो छुअन सबसे गहरी होती है।"




वो देर तक उस लाइन को पढ़ती रही…

जैसे किसी ने उसकी ही कहानी लिख दी हो।



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6. आरव का स्केच और नैना का नाम


दूसरी तरफ, आरव अपने स्टूडियो में बैठा था।


उसने नैना का चेहरा स्केच किया —

नर्म आँखें, हल्की मुस्कान, और लाल साड़ी में खोई सी छवि।


नीचे एक शब्द लिखा:

"नैना – किताबों के शहर की खामोश कविता"



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7. एपिसोड का समापन – दूरी में बढ़ती नज़दीकी


रात में दोनों ने एक-दूसरे को कोई मैसेज नहीं किया।


न कोई कॉल, न कोई इमोजी…


पर दोनों ही अपने-अपने कमरे की खिड़

की से चाँद को देख रहे थे।

और शायद वही चाँद…

उनकी खामोश बातचीत का गवाह बन चुका था।



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✨ एपिसोड 2 समाप्त – "अजनबी एहसास"