🌧️ एपिसोड 8 – जब बारिश रहमत बन जाए
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1. बिन बुलाए मेहमान – बारिश की रात
शाम होते-होते आसमान में अजीब बेचैनी थी।
नैना लाइब्रेरी से घर लौट रही थी,
जब अचानक तेज़ बारिश शुरू हो गई —
बिजली कड़की, बादल गरजे।
बिना छाते के, भीगते हुए वो अपनी बिल्डिंग की सीढ़ियाँ चढ़ी,
पर दरवाज़ा खोलते ही उसके सिर में तेज़ चक्कर आया…
बुखार था — और बहुत तेज़।
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2. आरव की बेचैनी – एक नशेड़ी की तरह दरवाज़े तक दौड़ना
आरव को नैना की आवाज़ सुनाई नहीं दी दो दिन से।
ना कोई मैसेज, ना कॉल।
कुछ तो गलत था…
रात के 9 बजे, भीगते हुए आरव नैना के घर पहुँच गया।
दरवाज़ा थोड़ी सी खुली थी।
अंदर गया तो देखा —
नैना ज़मीन पर बैठी थी, काँपती हुई,
चेहरा तप रहा था, होंठ सूखे।
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3. आरव का फैसला – आज की रात, मैं छोड़ नहीं सकता
आरव ने नैना को बाँहों में उठाया —
उसके शरीर से गर्मी जैसे बाहर निकल रही थी।
“मुझे अस्पताल नहीं, घर चाहिए…” नैना ने धीमी आवाज़ में कहा।
आरव ने कुछ नहीं कहा।
उसने नैना को अपनी कार में बिठाया,
और सीधा अपने घर ले गया।
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4. पहली बार – नैना आरव के घर में
आरव का घर शांत, साफ़ और सौम्य था —
जैसे उसका स्वभाव।
नैना को उसने सीधे अपने कमरे में रखा,
बिस्तर पर, गरम कंबल के नीचे।
आरव ने खुद चाय बनाई —
अदरक और तुलसी की गंध पूरे कमरे में फैल गई।
जब नैना की आँखें थोड़ी खुलीं,
उसने देखा —
आरव उसके पाँव दबा रहा था… चुपचाप।
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5. एक अजीब बात – आरव की आँखों में भी आँसू थे
नैना ने हल्की आवाज़ में पूछा:
"तुम क्यों रो रहे हो?"
आरव ने उसकी हथेली थामी और कहा:
"क्योंकि जब तुम बीमार हुई,
तो मुझे अहसास हुआ कि…
मैं सिर्फ तुम्हें पसंद नहीं करता,
मैं तुमसे डरता हूँ... तुम्हें खोने से।"
नैना ने पहली बार उसके आँसू पोछे।
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6. एक टूटा हुआ आदमी – आरव की सच्चाई
आरव बोला:
**"जब मैं छोटा था, माँ को हार्ट अटैक आया था।
पापा ऑफिस में थे।
मैंने फोन किया... बार-बार, पर उन्होंने उठाया नहीं।
माँ मर गई।
उस दिन से…
जब भी कोई अपने करीब बीमार होता है,
मुझे डर लगने लगता है…
कि कहीं मैं फिर से खो न दूँ।"**
नैना चुप थी।
उसने बस अपना हाथ उसकी छाती पर रखा —
जहाँ उसका दिल धड़क रहा था।
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7. पहली बार – दो डर एक-दूसरे में溶 गए
बारिश बाहर अब भी थम नहीं रही थी।
कमरे में हल्का अंधेरा था।
नैना ने खुद को थोड़ा खींचा —
और धीरे से आरव के सीने से लग गई।
“आज मुझे भी डर नहीं लग रहा…” उसने कहा।
आरव ने उसका माथा चूमा —
एक ऐसा चुम्बन जिसमें वासना नहीं थी,
बल्कि एक ताप था — जैसे ठंडी रात में आग की पहली लौ।
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8. आधी रात – जब मौन ने वादा किया
रात के दो बजे थे।
बिजली चली गई।
नैना ने धीमे से कहा:
"अगर मैं कल ठीक ना हुई, तो...?"
आरव ने तुरंत जवाब दिया:
"तब मैं तुम्हारे लिए ठीक हो जाऊँगा।
और अगर तुम चली भी गई...
तो तुम्हारे हिस्से की चाय पीकर
तुम्हारी डायरी की आखिरी पंक्तियाँ मैं पूरा करूँगा।"
नैना ने मुस्कुरा कर आँखें बंद कर लीं।
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9. सुबह – जब धूप वापस आई
अगली सुबह,
नैना की बुखार उतर चुका था।
खिड़की से धूप अंदर आई,
और पहली चीज़ जो उसने देखी —
वो थी आरव की नींद में झुकी हुई गर्दन,
जो उसके बिस्तर के पास वाली कुर्सी पर सो गया था।
नैना ने उसके गाल को छुआ,
और हल्की फुसफुसाहट में कहा:
"अब तुम सिर्फ मेरी खामोशी नहीं,
मेरे जीवन की आवाज़ हो।"
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🔚 एपिसोड 8 समाप्त – जब बारिश रहमत बन जाए