आज इस शोर भरे मेट्रो में भी मुझे अकेला पन लग रहा था , मेरे चारों तरफ कितने लोग थे जो इस समय अपने काम से वापस घर जा रहे थे । कुछ फोन पर बातें कर रहे थे तो कुछ फोन देख रहे थे। कुछ तो जोड़ो में बैठे थे , और अपनी ही बातों में गुम थे । और मैं इन सब को देख रहा था ।
मैं! मैं आज ही इतना अकेला महसूस कर रहा था । मैं जो रोज इन्ही लोगो में एक था आज मैं एक दम से अकेला हो गया था ।
मैं जो रोज इन्ही रास्तो से जाया करता था । आज वो मेरे लिए अजनबी से हो गये थे। और यही मेट्रो जो रोज मुझे मेरे ऑफिस से घर तक का रास्ता तै कराती थी । आज ये भी बेगानी सी लगने लगी थी ।
पीछले चार सालों से जो सब कुछ अपना अपना सा लग रहा था वो आज एक दम से पराया हो गया था । और मैं इन सब में बस चला जा रहा था । उदास सा । और ये उदासी ,मेरी साथी भी थी । पीछले चार साल की ।जिस के चलते मेने सब से नाता तोड़ रखा था ।बस खुदसे और खुद की इस उदासी से खुश था । इतना के अपने रिश्तो को भी बस दूनिया दारी के लिए निभा रहा था । पर क्यूं किस के लिए खुद के लिए जा किसी और के लिए ।
(तभी उस मेट्रो के गेट खुले तो सब लोग बाहर जाने लगे। )
मैं कितना खुश था इतना के बता नही सकता। एक मिनट सब कुछ बताने से पहले मेरे बारे में कुछ जान लो । मेरा नाम इंद्र है और मैं इस मेट्रो सीटी में एक एम एन सी कंपनी में काम करता हूं अच्छी पोस्ट है , अब आप सब ये मत कहना के अगर इतनी ही अच्छी पोस्ट है तो गाड़ी कहां है , वो भी है । पर मुझे ट्रेफिक में फंसना अच्छा नही लगता ।वैसे भी मैं ऑफिस के खत्म होने से दो घंटे बाद ही घर जाता हूं तो बस मुझे ट्रेफिक में रहने से अच्छा चलते रहना पसंद है । पर शायद अपनी जिदगी के इन चार सालो में मैं रूक गया था ।कहीं पर और आज जाकर मुझ होश आया है ।
अब चलते है मेरी कहानी पर मेरी जानी के इंद्र की ।
तो आज मैं बहुत खुश था बहुत आखिर बात ही एसी थी। क्यूकि आज मुझे मेरा प्यार मिला। जिसे चार साल पहले देखा था आज वो प्यार मिला एसे ही मेरी ही कंपनी में वो किसी काम से आई थी ।उस समय हाफ टाइम था ।जब मेने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया । वो आज भी वैसी ही थी जैसी उस समय थी । और खुद वो आगे आई और मुझे मिली मैं भी उसको अच्छे से मिला। आखिर उसके पीछे कभी मेने भी अपने दिन और रातें खराब की थी ।
"अच्छा इंद्र अभी तो मैं काम से आई हूं एक घंटे में फ्री हो जाऊंगी तो मिल कर बात करते है। "
मेने भी हां करदी ।मुझे भी उस से मिलने की उतनी ही जल्दी थी।
पुरे एक घटे बाद हम दोनो ही निकल गये पास ही वो हॉटल रूम में रूकी थी ।तो कहीं दूर जाने की जरूरत भी नही पड़ी ।
हम दोनो ही उस के रूम में थे ।उसने आते ही चाय और कुछ स्नेक्स ऑर्डर कर दिये थे । मैं तो बस उसे देखता ही रह गया था। जो खुश मिजाज सी मेरे सामने बैठी थी ।
"और बताओ कैसे हो",उसने जानी पीहू ने कहा तो मैं बस सिर हिला कर रह गया ।क्यूंकि मेरा सारा ध्यान तो बस उसे देखने में ही था , उसकी बाते करने का अंदाज उसके बैठने का अंदाज खुद को एक सलीके से रखने का अंदाज जिस पर में उस समय फिदा हो गया था। आज भी वो सब वैसी ही थी । जर्रा सा भी फर्क नही आया था ।
आज भी वो कुर्ते और पजामा में थी बाल खुले हुए थे आंखो में काजल और हाथ में घड़ी ।
"इंद्र कहां खो गये ।"
"बस कुछ नही", मेने कहा और सिर दूसरे तरफ घुमा लिया क्युकि मैं बस एक टक उसे ही देखे जा रहा था ।मेरी गलती भी थी इस में ।
"चलो लो चाय पीयो " पीहू ने कहा तो मैं उसे देखने लगा जिसने मेरे आगे कप कर रखा था । मैं हैरान था के चाय कब आई ।
"बस करो इंद्र ,चाय पकड़ो और ये एसे देखना बंद करो अच्छा दोस्त है अब हम।" पीहू ने कहा तो मै उसे देखने लगा
अच्छे दोस्त मुझे समझ नही आया था। पर फिर भी मेने चाय का कप ले लिया ।तो पीहू ने भी अपनी चाय ली और घूंट भरते हुए मुझे देखने लगी । मैं तो उसे ही देख रहा था ।
तो वो मुस्कुरा दी ।"मेरी शादी है दो महीने बाद , उसके बाद मैं लंडन चली जाऊंगी वैसे उम्मीद नही थी मुझे के हम ऐसे मिलेंगे ", पीहू ने कहा तो मै हैरान सा उसे देखने लगा । लंडन वोतो पहले से ही जाना चाहती थी आखिर रास्ता मिल ही गया लंडन जाने का ।
"कैसी चल रही है जिन्दगी", उसने पुछा तो मैं जो अपने ख्यालों में था उसे देखने लगा । फिर चेहरे पर स्माईल लाते हुए "बहुत अच्छी चल रही है ।वैसे बहुत बहुत मुबारक हो तुमको शादी की", मेने कहा
तो पीहू मुस्कुरा दी ।"अच्छा अंकल अंटी कैसे है दी कैसी है" , उसने कहा ।
"पापा , पापा तो चार साल पहले चल बसे मम्मी बिस्तर पर है और दी अपने घर पर खुश है ",मेने जवाब दिया। तो पीहू मुझे देखने लगी ।
"तुम्हारी पत्नी कैसी है ",उसने पुछा तब मुझे याद आया के हा मेरी तो पत्नी भी है। चार साल पहले उसकी वजह से ही तो मैं पीहू से दूर हूआ था ।
"हां अच्छी है ",मेने आम से लहजे में कहा तो पीहु जो मुझे ही देख रही थी उसने कप टेबल पर रखा और मुझे देखने लगी ।
"अच्छी बस इतना ही। दीदी ने एक बार डीपी लगाई थी बहुत सूंदर है वो तो", पीहू ने कहा ।
तो मैं उसे देखने लगा ।पर कहा कुछ नही," तुम बताओ अपने बारे में ", घर परिवार कैसा है।
"सब ठीक है , उसने एक लंबी सांस लेते हुए कहा । फिर अपना फोन देखने लगी अभी अभी नोटीफिकेशन जो आई थी । और उसके चेहरे पर स्माईल आ गई । मैं बस उसे ही देख रहा था ।
"लो धीरज का मैसेज था के वो मुम्बई लेंड कर गया है दो दिन बाद यहां आयेगा और हम एक साथ ही घर जायेंगे", पीहू ने मुझे देख कहा।
ओ तो उसका नाम धीरज है, मेने चाय का आखरी घुट भरते हुए मन ही मन कहा और कप टेबल पर रख दिया ।
"अच्छा चलो ये सब छोड़ो तुम बताओ तुम्हारी पत्नी के बारे में , क्या खास बात है उसमें । "
मैं बस उसे देखता रहा कहा कुछ नही तो उसके चेहरे पर कुछ अजीब ही भाव आये ।" इंद्र सब ठीक है ना, तुम और तुम्हारी पत्नी मैं ", उसने कहा।
"हां सब ठीक है सही चल रही है लाइफ रात को घर जाता हूं मम्मी से बात करता हूं खाना खाता हूं और सो जाता हूं और सुबह फिर से ऑफिस बस यही चल रहा है", मेने कहा तो पीहू मुझे देखने लगी ।
"बच्चो के साथ नही खेलते सुबह से निकले रात को जाते हो बच्चे तो परेशान करते होगें ", पीहु ने कहा ।
तो मैं उसे देखने लगा ।" नही अभी नही अभी प्लॉन नही करे बच्चे। मम्मी को भी देखना होता है वो बिस्तर से उठ नही पाती खुद से । तो ऐसे में बच्चो के साथ सब कैसे हेंडल होगा ", मेने रूखे पन से कहा तो पीहूं चुप सी मुझे देखने लगी ।और फिर मुस्कुरा कर ।
"पता है इंद्र तुम मुझे हर बार कहते थे ना के हम लोग बच्चे जल्दी करेंगे मेने बस इस लिए पुछा था क्यूकि उस समय मेने कहा था के मुझे बच्चे नही चाहीये पर तुम तो बस यही कहते थे बच्चे और बच्चे। "
मैं उसे देखता ही रह गया ।हां ये बात सच थी मेने पता नही कितनी बार कहा था के शादी के बाद बच्चे जल्दी कर लेंगे इतना लंबा समय नही रखेंगे और आज मेने क्या कहा। कितना बदल गया था मैं ।
"चलो अपनी बीवी की फोटो तो दिखा ही दो ।"
अच्छा तो तुम पहले अपने धीरज की फोटो दिखाओ। मेरी शान बीन करने लग गई", मेने हल्का गुस्सा करते हुए कहा जो के बस नकली ही था ।
तो पीहू ने अपना फोन लिया और मेरे सामने कर दिया वालपेपर पर ही उसकी और एक लड़के की फोटो लगी थी ।दोनो बहुत ही खुश नजर आ रहे थे। लड़का भी सूंदर था पीहू की टक्कर का ।"कैसा है", उसने पुछा
"बहुत अच्छा", मेने कहा ।
"चलो अब तुम दिखाओ", उसने कहा तो मैं अपना फोन देखने लगा। और देखता ही रह गया । "अरे फोटो मांगी है तुम क्या ढूंढ ने लग गये ", पीहु ने कहा ।
"नही वो आज ना ये दूसरा फोन लेकर आया कल मेरा फोन चलना बंद हो गया था तो उसे घर छोड़ आया और ये दूसरा ले आया अभी इस में कोई फोटो है ही नही", मेने कहा तो पीहू ने सिर हिला दिया ।
"चलो कोई बात नही , वैसे एक बार देखा था उसे अच्छी है बहुत अच्छी लंबी तो मेरे से भी ज्यादा है , तुम्हारे बराबर ", पीहू ने कहा तो मैं उसे देख सिर हिला गया ।
"अच्छा सच सच बताना तुम खुश हो क्या मुझे लग नही रहा के तुम खुश हो", पीहू ने कहा तो मैं उसे देखने लगा ।
"नही सब ठीक है सब का सब ।"
"तो फिर चेहरे पर बारह क्यूं बज रखे है ", उसने कहा तो में हैरान सा रह गया ।उसने आज भी मेरे अंदर की उदासी को चेहरे से देख लिया था ।
"नही ना बस वो काम का बोझ ही इतना है अब क्या ही करूं ।"
"अच्छा तभी सोचूं के एसा क्या हो गया के तुम्हारे चेहरे की रौनक ही खो गई , वैसे दो दिन में व्रत भी आने वाला है और तुम्हारी भी जेब ढीली होने वाली होगी कही इस वजह से तो नही" , उसने कहा तो मैं उसे देखने लगा ।
"व्रत ", मेरे मूंह से एकदम से ये लफज निकले ।
रब राखा
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