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जिंदगी के रंग by Raman in Hindi Novels
आज इस शोर भरे मेट्रो में भी मुझे अकेला पन लग रहा था , मेरे चारों तरफ कितने लोग थे जो इस समय  अपने काम से वापस घर  जा रहे...