हिमालय की ठंडी हवाओं में एक जगह है, काली घाटी, जहाँ रात में कोई नहीं जाता। वहाँ रहती थी चंद्रिका, एक चुड़ैल… पर जैसी कहानियों में होती हैं वैसी नहीं। उसके अंदर भी दिल था, बस वो इंसानों की तरह धड़कता नहीं था।“क्या तुम्हें पता है, दर्द क्या होता है?”चंद्रिका ने खुद से पूछा, जब वह पहाड़ी की चट्टान पर बैठी, अपने बालों को हवा में उड़ते देख रही थी। उसकी आँखों में लाल चमक थी, पर दिल इंसानों से भी ज्यादा नर्म था।एक दिन बर्फ पड़ रही थी, तभी एक यात्री आया – आरव। उसके कपड़े भीग चुके थे, और वह ठंड से काँप रहा था। चंद्रिका ने पेड़ के पीछे से उसे देखा।“काश, मैं इसे छू सकती… बिना मारे,”उसने मन में सोचा।आरव ज़मीन पर बैठ गया, उसके होठों से ठंडी साँस निकल रही थी।“कौन है वहाँ?” आरव की आवाज़ काँप रही थी।चंद्रिका धीरे-धीरे उसके सामने आई। उसकी आँखें नीली हो गई थीं, बर्फ की चमक उसके चेहरे पर पड़ रही थी।“डर मत… मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगी,” उसकी आवाज़ में उदासी थी।आरव ने उसकी तरफ देखा। उसकी आँखों में डर के साथ-साथ एक जिज्ञासा भी थी।“क्या तुम… चुड़ैल हो?” आरव ने मुस्कुराते हुए पूछा।चंद्रिका ने नज़रें झुका ली, “हाँ, पर दिल है… पत्थर नहीं।”उसके बाद आरव हर रात पहाड़ी पर आने लगा। कभी एक दिया लेकर, कभी एक गर्म चादर लेकर।“तुम मुझसे डरते नहीं?”चंद्रिका पूछती।“पता नहीं, पर तुम्हारे साथ सुकून मिलता है…”आरव की बातें चंद्रिका के काले दिल में उजाला कर जातीं।एक रात आरव ने उसके बाल कान के पीछे किए और कहा,“तुम बहुत खूबसूरत हो।”चंद्रिका की आँखों से आँसू निकले, जो बर्फ पर गिरते ही पिघल गए।लेकिन यह प्रेम कहानी इतनी आसान नहीं थी।गाँव में आरव की शादी रूही नाम की लड़की से तय हो गई। यह सुनकर चंद्रिका का दिल टूट गया। उस रात पूरी काली घाटी में उसकी चीख गूंज उठी।“मैं तुम्हें किसी और का नहीं होने दूंगी आरव… कभी नहीं…”उस रात पहाड़ों पर शेर की दहाड़ गूंजी। लोगों ने लाल साया पहाड़ पर उड़ता हुआ देखा। अगली सुबह रूही की माँ की लाश जंगल में मिली। गाँव वाले बोले,“यह चुड़ैल का काम है।”आरव गुस्से में चंद्रिका के पास गया।“तुमने यह क्या किया?”चंद्रिका रो रही थी,“मैं बस तुम्हें अपना बनाना चाहती हूँ…”आरव ने उसकी आँखों में देखा, उनमें उसके लिए सच्चा प्यार था, लेकिन खून की गंध भी।रूही की शादी की तैयारी रुक गई। गाँव में डर फैल गया।“चुड़ैल लौट आई है…”लोग फुसफुसाते।एक रात आरव ने देखा, रूही के घर के ऊपर चंद्रिका का साया घूम रहा है, और पास ही शेर की दहाड़ गूंज रही थी।“चंद्रिका, रुक जाओ! तुम्हें क्या चाहिए?”आरव ने चिल्लाया।चंद्रिका ने मुस्कुराते हुए कहा,“मुझे तू चाहिए…”रूही की शादी की रात थी। पूरा गाँव खुशियों में डूबा था, लेकिन आसमान में काली घटाएँ छा रही थीं। शादी की रात अचानक शेर गाँव में घुस आया, लोग भाग गए। उसके पीछे चंद्रिका आई, उसके बाल हवा में बिखरे थे, आँखों में लाल चमक थी।रूही ने देखा, चंद्रिका उसके सामने खड़ी है।“त..तुम क्या चाहती हो?”रूही काँपती आवाज़ में बोली।“मैं बस उसे चाहती हूँ, जिसे तू चाहती है।”चंद्रिका ने उसकी आँखों में देखा, और रूही बेहोश हो गई। ...... बाकी की कहानी भाग 2 में देखें।