🌸 एपिसोड 3: दोस्ती या धोखा?
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कॉलेज की लाइब्रेरी
आरव के गुलाब और चिट्ठी ने संजना के मन में कुछ हलचल पैदा कर दी थी। वो पहली बार मुस्कराई थी — उस लड़के के लिए जिसे वो घमंडी समझती थी।
लेकिन संजना को खुद पर भरोसा नहीं था। उसका दिल पहले भी टूटा था… और वो नहीं चाहती थी कि फिर से किसी रिश्ते में उलझे।
लाइब्रेरी में आरव आया, और बोला,
“गुलाब पसंद आया?”
“सिर्फ गुलाब नहीं, शब्द भी अच्छे थे।”
संजना ने जवाब दिया।
“तो फिर दोस्ती की शुरुआत हो सकती है?”
उसने हाथ आगे बढ़ाया।
संजना ने एक पल रुककर उसका हाथ थामा।
“ठीक है। हम दोस्त हैं, सिर्फ दोस्त।”
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🧩 पुरानी तस्वीर, नया तूफान
शाम को, कैंटीन में माया और संजना साथ बैठी थीं।
माया, संजना की बचपन की दोस्त थी — वही जिसने हमेशा उसका साथ दिया था। माया कॉलेज की 'फोटोग्राफी क्लब' में थी।
“अरे देख, ये तस्वीर तो देख!”
माया ने कैमरा दिखाया।
तस्वीर में था — आरव और एक लड़की, बहुत करीब। कोई पार्टी थी, शायद कोई पुराने दिनों की।
“ये कौन है?”
संजना ने हल्का सा पूछा।
“अरे ये तो शायद आरव की एक्स-गर्लफ्रेंड है। सिया नाम था शायद। इन दोनों के अफेयर की तो बहुत चर्चा थी। अचानक ब्रेकअप हुआ था।”
संजना की मुस्कान हल्की पड़ गई।
“ओह…”
“क्यों? फर्क पड़ा क्या?”
माया ने शरारती अंदाज़ में पूछा।
“नहीं… बस यूँ ही पूछ लिया।”
लेकिन अंदर कुछ चुभा था।
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📚 प्रोजेक्ट का नया पड़ाव – एक साथ, एक शाम
कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए प्रोफेसर ने कहा कि स्टूडेंट्स को फील्ड वर्क करना होगा — यानी सामाजिक इंटरव्यू, फ़ोटो डॉक्युमेंटेशन, आदि।
“तो हमें बाहर जाना होगा। किसी गाँव या लोकल NGO में,” संजना बोली।
“मैं ड्राइव करूँगा, तुम बस रास्ता बताओ,” आरव ने कहा।
“मैं बताऊँगी नहीं, तुम समझोगे।”
“तुम बहुत poetic हो,” आरव मुस्कुरा दिया।
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🚗 सड़कें, बातें और महसूस होती नज़दीकियाँ
गाड़ी में बैठकर दोनों निकले एक NGO की ओर।
बीच में बारिश शुरू हो गई।
“हर बार बारिश के साथ कुछ न कुछ होता है हमारे बीच,” आरव बोला।
“शायद बारिश गवाह बनना चाहती है।”
“किस चीज़ की?”
आरव ने हल्के से मुस्कराकर पूछा।
संजना ने खिड़की की ओर देखा —
“किसी कहानी की शुरुआत की… या फिर उसके अंत की।”
आरव चुप हो गया।
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🏡 NGO में मुलाकात
वो NGO में पहुँचे जहाँ विधवाओं और बुजुर्ग औरतों की देखरेख होती थी।
एक बूढ़ी महिला — शांति देवी — ने संजना का हाथ पकड़कर कहा,
“बिटिया, तेरा चेहरा बहुत साफ़ है… दिल भी वैसा ही है ना?”
संजना भावुक हो गई।
शांति देवी ने आरव की ओर देखा,
“और तुम… थोड़ा उलझा हुआ दिखता है बेटा, लेकिन रास्ता सही पकड़ लोगे।”
आरव के मन में जैसे कोई दरार भर गई हो।
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🕯️ NGO से लौटते वक्त
गाड़ी की खिड़की से संजना बाहर देख रही थी। अचानक उसने पूछा:
“तुम्हारा और सिया का क्या था?”
आरव चौंका।
“तुमने पूछा… तो बता देता हूँ।
हम साथ थे… लेकिन वो रिश्ता सच्चा नहीं था। मैं तब खुद को नहीं जानता था। वो रिश्ता सिर्फ दिखावे का था… और एक दिन उसने मुझे छोड़ दिया — एक पार्टी में किसी और के साथ चली गई।”
“और तुम्हें फर्क पड़ा?”
“पड़ा था… पर उससे ज़्यादा इस बात का कि मैंने खुद को खो दिया था। अब जो भी करूँगा, दिल से करूँगा।”
संजना चुप रही।
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📱 रात – एक मैसेज
आरव का मैसेज आया:
> “आज तुम्हारा साथ कुछ शांत कर गया। तुम्हारे जैसा दोस्त होना सौभाग्य है… अगर कभी दोस्ती से आगे कुछ महसूस हुआ तो बताना। जबरदस्ती नहीं करूंगा।”
संजना देर तक उस मैसेज को देखती रही।
फिर मुस्कराकर जवाब लिखा:
> “फिलहाल दोस्ती काफ़ी है। लेकिन कुछ रिश्ते वक़्त माँगते हैं…”
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🔚 एपिसोड 3 समाप्त
अगला एपिसोड 4: “बीच रास्ते में…”
जहाँ आरव और संजना की कार एक सुनसान जगह में खराब हो जाती है… और कुछ अनकही बातें पहली बार खुलती हैं।
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