Tere Mere Darmiyaan - 6 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियाँ - 6

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तेरे मेरे दरमियाँ - 6


🌸 तेरे मेरे दरमियाँ – एपिसोड 6

"जो सामने दिखे, वो पूरा सच नहीं होता…"




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जयपुर से लौटे तीन दिन हो चुके थे।
कॉलेज की रुटीन दोबारा अपनी रफ्तार में लौट रही थी… लेकिन संजना और आरव के लिए बहुत कुछ बदल चुका था।

आरव अब पहले जैसा नहीं रहा था। उसके मज़ाक में अब न तीखापन था, न उसकी बातों में ताने।
और संजना?
वो भी अब आरव को सिर्फ एक “घमंडी लड़का” नहीं मानती थी।
उसके शब्दों में, उसके मौन में, और उसकी आँखों में जो कहानी छिपी थी — संजना उसे पढ़ने लगी थी।


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🏫 कॉलेज कैंपस – दोपहर 2:00 बजे

संजना लाइब्रेरी के बाहर खड़ी थी। उसका मन कहीं और था।
क्लास से निकलते ही वो सीधे यहाँ आ गई थी, क्योंकि वो जानती थी — आरव वहीं मिलेगा।

और ठीक उसी पल, पीछे से वो आवाज़ आई जो अब अजनबी नहीं लगती थी।

"तुम्हें हर बार ढूंढना पड़ेगा क्या?"
आरव की आवाज़ में हल्की सी शरारत और अपनापन था।

"या शायद मैं तुम्हें वहीं मिल जाती हूँ, जहाँ तुम्हें मुझे ढूंढना होता है,"
संजना ने बिना पलटे जवाब दिया।

आरव कुछ कदम आगे आया और उसकी बगल में खड़ा हो गया।

"कल माँ का फोन आया था," उसने अचानक कहा, "वो पूछ रही थी तुम्हारे बारे में।"

"मेरे बारे में?"
संजना का दिल जैसे एक पल को थम गया।

"हाँ। मैंने जयपुर की तस्वीरें भेजी थीं। तुम भी थी उनमें। माँ ने पूछा — ये लड़की कौन है जो तुम्हारी आँखों में सुकून लेकर आई है?"

संजना चुप हो गई। हवा अचानक ठंडी लगने लगी।


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🌇 [सीन – गर्ल्स हॉस्टल, संजना का कमरा]

रात हो चुकी थी।
पूजा, उसकी रूममेट, बिस्तर पर लेटी थी और मोबाइल चला रही थी।

"तू और आरव… कुछ चल रहा है क्या?"
पूजा ने सीधा सवाल पूछ लिया।

संजना जो डायरी लिख रही थी, रुक गई।

"पता नहीं… कुछ है। मगर मुझे डर लगता है, पूजा।
डर इस बात का नहीं कि वो क्या है…
डर इस बात का है कि अगर वो मेरी ज़िंदगी से चला गया, तो मैं फिर से वैसी अकेली हो जाऊंगी जैसी पापा के जाने के बाद हो गई थी।"

पूजा चुप हो गई।


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🌟 [सीन – कॉलेज हॉल – सेमिनार अनाउंसमेंट]

अगले दिन कॉलेज में एक नई घोषणा होती है।

“राज्य स्तरीय यूथ कांफ्रेंस के लिए कॉलेज की ओर से 2 प्रतिनिधि भेजे जाएंगे।”

सभी की नज़रें संजना और आरव की ओर थीं।

लेकिन प्रोफेसर मीणा ने नाम लिया —
“आरव मल्होत्रा… और अदिति कपूर।”

संजना एक पल को हिल गई।

अदिति?
कॉलेज की सबसे ग्लैमरस लड़की, और आरव की बचपन की फ्रेंड।
आरव चुप था। उसने न तो कोई विरोध किया, न ही कोई उत्साह दिखाया।

संजना चुपचाप लाइब्रेरी की ओर चल पड़ी।


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📚 [सीन – लाइब्रेरी, दोपहर 3:00]

आरव उसे वहीं मिला, जैसे हमेशा मिलता था।

"तुम ठीक हो?"
उसने पूछा।

"हाँ, बिल्कुल। तुम्हें क्यों चिंता होनी चाहिए? अब तो अदिति तुम्हारी नई पार्टनर है।"

"संजना…"
आरव की आवाज़ धीमी हो गई।

"मैंने ये सेलेक्शन नहीं माँगा था। और अदिति बस मेरी दोस्त है।"

"हाँ… शायद तुम्हारी माँ को भी अब वो सुकून देने लगी होगी जो कभी उन्होंने मेरे नाम से महसूस किया था,"
संजना का लहजा सख्त हो गया था।

आरव उसकी आँखों में देख रहा था।

"तुम्हें क्या लगता है, मैं अदिति के साथ खुश रहूँगा?"

"मुझे नहीं पता। लेकिन शायद मैं अब तुम्हें लेकर खुश नहीं रह पाऊँगी,"
संजना ने जवाब दिया और उठकर चल दी।


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🌧️ [सीन – बारिश, कैंपस के बाहर]

संजना अकेली बस स्टॉप पर खड़ी थी।
बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।

आरव दौड़ता हुआ आया।

"संजना, तुम्हारे बिना सब अधूरा है… मैंने किसी और को कभी उस नज़र से नहीं देखा जैसे तुम्हें देखता हूँ।"

संजना की आँखों में आँसू थे, बारिश से छुपे हुए।

"तुम जब कहोगे कि अब सब ठीक है… तब मैं यकीन करूँगी। लेकिन फिलहाल… मुझे खुद से बात करनी है।"

आरव चुप हो गया।


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🌃 [सीन – आरव का कमरा, रात 10:00]

आरव अपनी मम्मी से फोन पर बात कर रहा था।

"माँ, मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूँ।
मैंने पहली बार किसी को अपने दिल से देखा था।
पर शायद मैं बहुत देर से समझा ये बात…"


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📖 [सीन – संजना की डायरी]

"शायद मोहब्बत इतनी आसान नहीं होती…
ये सिर्फ नज़दीकियों से नहीं, समझ से बनती है।
और मुझे नहीं पता… मैं और आरव उस समझ की शुरुआत तक पहुँच भी पाए या नहीं।"


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📆 तीन दिन बाद – यूथ कांफ्रेंस का दिन

कॉलेज की बस जाने को तैयार थी।
आरव बाहर खड़ा था, बैग हाथ में।
अदिति पास आकर बोली—

"चलें?"

आरव ने एक पल सोचा…
और फिर जवाब दिया —

"नहीं अदिति। मैं नहीं जा रहा।"

"क्या? क्यों?"

"क्योंकि मैं किसी और के साथ सफर करके किसी और को पीछे नहीं छोड़ सकता।"


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📞 [सीन – संजना का फोन बजता है]

आरव का नाम स्क्रीन पर चमक रहा था।

"हेलो?"

"बस एक बार मिल लो… आखिरी बार नहीं, पर शायद सबसे ज़रूरी बार।"


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🌆 [सीन – कॉलेज की छत – शाम 6:30]

सूरज डूब रहा था। हवा ठंडी थी।

संजना खड़ी थी, और आरव उसके सामने।

"मैं तुम्हारे बिना भी रह सकता था, संजना।
लेकिन वो ज़िंदगी अधूरी होती।
मैंने पहली बार किसी को इतनी गहराई से महसूस किया है।
और शायद पहली बार किसी से माफ़ी भी माँगना चाहता हूँ… दिल से।"

संजना की आँखों में आँसू थे, लेकिन मुस्कान भी।

"मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम ऐसा कहोगे… लेकिन अब जब कहा है, तो सुन लिया।
पर आरव… ये सब आसान नहीं होगा।"

"मैंने आसान कभी माँगा ही नहीं था… बस तुम्हारा साथ माँगा है।"

संजना ने उसकी तरफ देखा।

"तो चलो… फिर से शुरुआत करते हैं। न दोस्त की तरह, न दुश्मन की तरह… बस दो इंसानों की तरह जो एक-दूसरे को समझना चाहते हैं।"


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🔚 एपिसोड 6 समाप्त


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📌 अगले एपिसोड में:

कॉलेज में फैलती अफवाहें, अदिति की नाराज़गी और आरव–संजना के रिश्ते पर पहला बड़ा इम्तिहान…


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