मैंने अपने मरने की वीडियो देखी है"
(एक सिंगल-शॉट हॉरर कहानी – अंत तक सिहर जाओगे)
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28 दिसंबर की रात थी। ठंड अपने पूरे शबाब पर थी।
कमरा बंद था, हीटर चालू… और मैं, अनिकेत, देर रात YouTube पर aimless scrolling कर रहा था। थकान थी, लेकिन नींद नहीं आ रही थी।
तभी एक वीडियो रिकमेंड में आया –
"Aniket’s Last Night – 3:07 AM | LIVE"
मैं ठिठक गया।
वीडियो पर जो चेहरा था… वो मेरा था।
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पहली सोच ये आई कि किसी ने कोई deepfake बनाया होगा।
लेकिन फिर देखा – वीडियो LIVE था।
और उसमें बैकग्राउंड में मेरी ही कमरे की दीवार दिख रही थी — वही पोस्टर, वही घड़ी, वही किताबें।
लेकिन ये LIVE कैसे हो सकता है… जब मैं खुद यहीं बैठा हूँ?
क्लिक करते ही स्क्रीन पर अंधेरा छाया।
कुछ सेकंड बाद एक हल्की रोशनी में कैमरे के सामने कोई बैठा दिखा — वो मैं था।
मेरे जैसी ही शर्ट पहने, वही ब्रेसलेट, वही आंखें… लेकिन चेहरा उतरा हुआ, जैसे मौत को देख चुका हो।
फिर उसने कुछ कहा…
> “अगर तुम ये वीडियो देख रहे हो, तो समझो मैं मर चुका हूँ। या... अभी कुछ मिनट बाकी हैं।”
मेरे शरीर में जैसे बर्फ घुल गई।
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मैंने फोन चेक किया — वक़्त था: 2:48 AM
वीडियो में उसने कहा:
> “3:07… यही आख़िरी समय है। मैंने ये सब नहीं चाहा था…”
उसकी आंखों में डर नहीं था — एक अजीब-सी शांति थी, जैसे उसने अपनी मौत को स्वीकार कर लिया हो।
और फिर… अचानक कैमरा मेरी स्क्रीन के सामने झुका — और वहाँ एक फ़ोल्डर खुला दिखा:
“LAST MOMENTS”
ठीक वैसा ही फोल्डर, जो पिछले हफ्ते मेरे लैपटॉप में खुद-ब-खुद बन गया था, और जिसे मैं delete करने की कोशिश में 4 बार crash झेल चुका था।
क्या ये कोई सपना है? या… कोई मेरे साथ खेल रहा है?
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मैंने वीडियो pause किया और अपने लैपटॉप का वो फोल्डर खोला।
अंदर एक ही फाइल थी – “final_clip.mov”
मैंने काँपते हाथों से उसे play किया।
स्क्रीन ब्लैक रही… फिर एक धीमी-सी फुसफुसाहट आई:
> “तू अब पीछे नहीं जा सकता, अनिकेत… ये सिर्फ़ तेरा अंत नहीं, औरों की शुरुआत है…”
और फिर स्क्रीन पर मुझे दिखा —
एक कैमरा मेरी आंखों के अंदर से देख रहा था… मैं खुद को बिस्तर पर लेटे हुए देख रहा था…
और जैसे-जैसे वीडियो आगे बढ़ा — मैं खुद अपनी ही मौत को होता देख रहा था।
2:59 AM
अब मैं बुरी तरह घबरा चुका था।
मैंने फोन उठाया — दोस्त राहुल को कॉल करने लगा… पर कॉल कट गया।
स्क्रीन पर फिर वही LIVE वीडियो चालू हो गई —
अब उसमें लिखा था:
> “Viewer 1: Aniket Sharma
Viewer 2: Rahul Verma (Just Joined)”
मैंने काँपते हाथों से मोबाइल देखा — Rahul का नाम… लेकिन फोन ऑफ था।
Rahul वीडियो क्यों देख रहा है? वो तो ऑनलाइन भी नहीं था!
तभी कमरा अंधेरे में डूब गया।
हीटर बंद। लाइट गुल।
बस लैपटॉप की स्क्रीन जल रही थी — और उसमें एक मैसेज:
> "The watchers will follow. Death is contagious."
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3:04 AM
दरवाज़े पर खट...खट…खट
तीन बार।
मैं चिल्लाया — “कौन है?”
कोई जवाब नहीं।
मैंने दरवाज़ा खोला — कोई नहीं।
पर जब मुड़ा — कमरे के अंदर, आईने में कोई खड़ा था।
वो मैं नहीं था…
वो मेरी ही शक्ल वाला कोई और था — मेरा चेहरा, लेकिन आँखें काली और खाली।
वो फुसफुसाया:
> "तेरा समय ख़त्म हुआ। अब अगला दर्शक कौन?"
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3:07 AM
मैं ज़ोर से चीखा, लेकिन आवाज़ बाहर नहीं निकली।
मेरे कानों में तेज़-तेज़ गूंज रही थी वही आवाज़:
"Death is contagious… Next viewer… Rahul Verma."
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फिर सबकुछ ब्लैक हो गया।
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सुबह 9 बजे।
राहुल की माँ ने दरवाज़ा तोड़ा।
राहुल की लाश बिस्तर पर थी — उसकी आंखें खुली थीं, और लैपटॉप स्क्रीन पर एक वीडियो चल रहा था:
"Rahul’s Last Night – 3:07 AM | LIVE"
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कहानी ख़त्म… या शायद अब तुम्हारी बारी है…
योंकि तुमने भी ये पढ़ा है… और वो वीडियो… अब तुम्हारे मन में चल रहा है।
क्या तुमने भी स्क्रीन की तरफ देखा था…?
क्या वो आवाज़… अब तुम्हारे कमरे में भी गूंज रही है?