सोनिया के जबड़े कसते चले गए, दरअसल बात यह है राहुल खन्ना का तो बस कम्पनी में पैसा लगा था और बाकी सारी भागदौड़ मेरे पति करते थे । आज जो इतनी बड़ी कंपनी सबको दिखाई दे रही है, यह सब मेरे पति ने अपने बलबूते पर खड़ी की थी। इसलिए मेरे पति राहुल को उसके पैसे देखकर, उसको कंपनी से बाहर निकालने वाले थे ? की फिर मेरे पति का खून हो गया और कातिल आपके सामने है, पर आप उस कातिल को बेकसूर मान रहे हैं।
"ऐसा क्या हुआ ? श्रीकांत ने पूछा की आपके पति राहुल खन्ना को उसके हिस्से के पैसे देकर कंपनी से बाहर निकालना चाहते थे ?"
"सोनिया ने जैसे आग उगली हो, क्योंकि एक दो साल से हमारे बिजनेस में इनकम कम होने लगी थी। जब मेरे पति को पता चला, तो वह गुस्से से पागल हो गए और कहने लगे इतनी मेहनत से मैंने यह कम्पनी खड़ी करी है। वो साला राहुल अपनी जेब भर रहा हैं।"
"अच्छा अब बात समझ में आई, जब आपके पति को सारी बात पता था तो राहुल खन्ना को कम्पनी से बाहर क्यों नही किया ?"
"यही बात है की मेरे पति आज जिंदा नही है वरना राहुल खन्ना सड़क पर होता ।"
श्रीकांत बोला, "आज के समय में सारा बिजनेस राहुल खन्ना के हाथ में आ गया।"
"यह तो कोई अंधा भी कह सकता है।" की मेरे पति का खून राहुल खन्ना ने किया है । क्योंकि किसी और को क्या फायदा होगा मेरे पति को मार कर ?
"वैसे ! कह तो आप ठीक रही हैं सोनिया जी, पर कानून सबूत मांगता है दलीलें नहीं चलती कोर्ट में ?"
"यह आप का काम है इंस्पेक्टर साहब सबूत ढूंढना जो मुझे पता था वो मैंने आपको बता दिया ।"
"हमारी पूरी कोशिश रहेगी, कि जल्द से जल्द राहुल खन्ना को फांसी के फंदे तक पहुंचाया जा सके। अब हम इजाजत चाहते हैं ।"
फिर श्रीकांत व राम सिंह दोनो जीप में बैठे ओर जीप लेकर राहुल खन्ना के घर की ओर चल दिए ।
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"जीप चलते हुए राम सिंह बोला, सर अभी तो राज की बाते ओर सामने आयेगी राहुल खन्ना के घर जाकर ?"
जीप राहुल खन्ना के घर पास आगे रुकी ।
राम सिंह ने बेल बजाई।
दरवाजा राधा ने खोला, इस समय घर पे राधा और दुर्गा राहुल की मां थी साजन ऑफिस में गया हुआ था ।
राधा चाय बनाने के लिए किचन में चली गई ।
श्रीकांत व राम सिंह सोफे पर बैठे, राहुल खन्ना का घर बहुत आलीशान था महंगे सोफा सेट , कीमती कालीन , ड्राइंगरूम काफी बड़ा था । दीवार पर एक 48 इंची एल. सी. डी. लगी हुई थी।
दुर्गा देवी इस समय माता रानी के भजन सुन रही थी। श्रीकांत को देखते हुए , दुर्गा देवी बोली आईए इंस्पेक्टर साहब बैठिये ।
"माफी चाहता हूं माता जी , जो आपसे कुछ सवाल करने आए थे ?"
दुर्गा देवी मरे हुए स्वर में बोली अब क्या रहे गया ? इंस्पेक्टर साहब मेरे बेटे को तो आपने गिरफ्तार कर ही रखा है।
"दरअसल हमें आपसे कुछ सवाल करने हैं, ताकि हम सच का पता लगा सके। क्योंकि हमें ऐसा लगता हैं की आपके बेटे राहुल खन्ना को किसी गहरी साजिश में फंसाया गया हैं । अगर आप हमारे अभी सावलो के सही जवाब देती है तो हम आपके बेटे को बेगुनाह साबित कर सकेगें ?"
"बेटा पूछो क्या पूछना चाहते हों ।"
श्रीकांत ने पहला सवाल किया , आपको क्या लगता है क्या आप का बेटा खून कर सकता है ?
"नहीं बेटे, मुझे मेरे बेटे राहुल पर पूरा विश्वास हैं वह किसी का बुरा नहीं कर सकता । मैने अपने दोनो बच्चों को ऐसे संस्कार दिए है और आप तो खून करने की कहे रहे हैं । मेरा बेटा कभी भी किसी का बुरा सोच भी नही सकता, मेरे बेटे को जरूर फंसाया जा रहा है । अगर मेरा बेटा अमित बजाज का खून करता ? तो उसके घर पर क्यों करता ? अगर मेरे बेटे को अमित बजाज का खून करना होता, तो घर के बाहर करता ताकि पकड़ा नहीं जा सके ।"
श्रीकांत सोचते हुए बोला , कह तो आप सही रही हैं माताजी पर सारे सबूत राहुल खन्ना की ओर इशारा कर रहे हैं की अमित बजाज का खून राहुल ने किया ?
दुर्गा देवी बोली चलो मान लेते हैं लेकिन फायदा किसको हुआ ?
राम सिंह बोला सोनिया जी को, श्रीकांत और राम सिंह एक –दूसरे का चेहरा देखने लगे, दोनों के चेहरे पे ऐसे भाव आए । ऐसा भी तो हो सकता है ?
राम सिंह बोला, सर इस तरह से तो हमने सोचा ही नहीं ?
दुर्गा देवी हाथ नचाते हुए बोली, सोनिया के चाल - चलन भी अच्छे नहीं हैं । उसकी भोली - भाली सूरत पे मत जाना ? हमारे घर पर जब सोनिया आती हैं तो मेरे दोनों बेटे को ऐसे देखती हैं, जैसे कोई प्यासा किसी कुए को देखता है।
माता जी आपका शुक्रिया ।
अब हम चलते हैं दोनों जीप में बैठे और चल दिए ।
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